जयपुर. राजस्थान में आज दूसरे चरण की 13 लोकसभा सीटों पर मतदान जारी है. इन 13 सीटों पर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों के साथ ही पार्टी के कई दिग्गजों की साख भी जुड़ी हुई है. सिरोही-जालोर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी वैभव गहलोत के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूरी ताकत लगाई है. जबकि टोंक-सवाई माधोपुर सीट पर कांग्रेस को बढ़त दिलाने में पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी कड़ी मेहनत की है. राजस्थान की सबसे हॉट सीट बाड़मेर-जैसलमेर और बासंवाड़ा-डूंगरपुर में भी वोटिंग जारी. आइए देखते हैं इन 13 सीटों में किस सीट पर कांग्रेस के किस दिग्गज नेता की प्रतिष्ठा जुड़ी है.
सिरोही-जालोर : इस सीट पर सबकी निगाह है, क्योंकि यहां से अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत चुनावी मैदान में है. अशोक गहलोत ने इस बार अपने बेटे की चुनावी नैया पार लगाने के लिए इस सीट पर घर-घर जाकर वोट मांगने के साथ ही गुजरात से लेकर दक्षिण भारत के कई शहरों का दौरा भी किया है. इस सीट से अशोक गहलोत की साख सीधे तौर पर जुड़ी हुई है. यहां वैभव गहलोत का मुकाबला भाजपा के लुंबाराम चौधरी से है. प्रियंका गांधी ने भी इस क्षेत्र में सभा की थी.
टोंक-सवाई माधोपुर : इस सीट पर कांग्रेस के हरिश्चंद्र मीना चुनाव लड़ रहे हैं. वे पूर्व उप मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट के करीबी हैं. गुर्जर मतदाताओं की बहुलता वाली इस सीट पर सचिन पायलट का अच्छा प्रभाव है. वे खुद भी टोंक से लगातार दूसरी बार विधायक हैं. उन्होंने हरिश्चंद्र मीना के लिए कड़ी मेहनत इस सीट पर की है. हरिश्चंद्र मीना का मुकाबला भाजपा से दो बार के सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया से है.
अजमेर : कांग्रेस ने अजमेर डेयरी के चेयरमैन रामचंद्र चौधरी को मैदान में उतारा है. उनका मुकाबला भाजपा के सांसद भगीरथ चौधरी से है. इस सीट पर रामचंद्र चौधरी के समर्थन में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा जुटे हुए हैं. गठबंधन के चलते रालोपा नेता हनुमान बेनीवाल ने भी रामचंद्र चौधरी के समर्थन प्रचार किया था.
पाली : इस सीट पर कांग्रेस ने युवा-महिला चेहरे के रूप में संगीता बेनीवाल पर दांव खेला है. जो लंबे समय से संगठन से जुड़ी हैं और पार्टी की जिलाध्यक्ष भी रही. वह दो बार बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष भी रही हैं. पूर्व सीएम अशोक गहलोत की करीबी मानी जाती हैं. ऐसे में इस सीट से भी अशोक गहलोत की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है.
जोधपुर : इस सीट पर कांग्रेस ने रियाल स्टेट कारोबार से जुड़े करणसिंह उचियारड़ा को चुनावी मैदान में उतारा है. वे सचिन पायलट के करीबी माने जाते हैं. जोधपुर अशोक गहलोत का गृहक्षेत्र भी है. ऐसे में इस सीट से अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों की साख जुड़ी हुई है. करणसिंह उचियारड़ा का मुकाबला दो बार के सांसद और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से है.
बाड़मेर-जैसलमेर : यह राजस्थान की एकमात्र सीट है. जो त्रिकोणीय संघर्ष में फंसी है. कांग्रेस ने रालोपा छोड़कर पार्टी में आए उम्मेदाराम बेनीवाल को मैदान में उतारा है. उन्हें कांग्रेस में लाने में प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की अहम भूमिका बताई जा रही है. जबकि पूर्व मंत्री हरीश चौधरी और हेमाराम चौधरी का यह गृह इलाका है. ऐसे में पार्टी के इन सभी दिग्गज नेताओं की साख इस सीट से जुड़ी हुई है. यहां भाजपा के कैलाश चौधरी और निर्दलीय रविंद्र सिंह भाटी भी मैदान में है.
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उदयपुर : यहां सीधे तौर पर दो रिटायर्ड अधिकारियों में मुकाबला है. कांग्रेस ने सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ताराचंद मीना को टिकट दिया है. वे उदयपुर कलेक्टर रहे हैं और अशोक गहलोत के भरोसेमंद अफसर माने जाते थे. माना जाता है कि उन्हें टिकट दिलवाने में भी अशोक गहलोत की अहम भूमिका रही है. ऐसे इस सीट से भी अशोक गहलोत की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है. यहां रिटायर्ड परिवहन अधिकारी मन्नालाल रावत भाजपा के टिकट पर मैदान में है.
बांसवाड़ा-डूंगरपुर : इस सीट पर कांग्रेस ने भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप) के प्रत्याशी राजकुमार रोत को समर्थन दिया है. बाप से गठबंधन को लेकर अशोक गहलोत और दिल्ली के नेताओं ने काफी प्रयास किए हैं. ऐसे में इस सीट के परिणाम यह तय करेंगे की पार्टी का गठबंधन का स्टैंड सही था या गलत. भाजपा ने कांग्रेस छोड़कर आए महेंद्रजीत सिंह मालवीय को मैदान में उतारा है. जिनके लिए गोविंद सिंह डोटासरा ने खुलकर कहा था कि वे लोकसभा नहीं पहुंच पाएंगे.
चित्तौड़गढ़ : इस सीट पर कांग्रेस ने पूर्व सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना को मैदान में उतारा है. उदयलाल आंजना गहलोत सरकार में सहकारिता मंत्री रहे हैं. उनकी नामांकन सभा को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संबोधित किया था. प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और रालोपा नेता हनुमान बेनीवाल भी उनके समर्थन में वोट मांगने जनता के बीच गए हैं. आंजना का मुकाबला भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी से है.
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राजसमंद : पहले भीलवाड़ा से प्रत्याशी बनाए गए दामोदर गुर्जर को कांग्रेस ने सुदर्शन सिंह रावत के चुनाव लड़ने से इनकार करने के बाद राजसमंद शिफ्ट किया था. इस सीट का परिणाम यह तय करेगा कि पार्टी का यह फैसला कितना सही या गलत था. राजसमंद पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी का प्रभाव माना जाता है. जो खुद भी भीलवाड़ा से चुनाव लड़ रहे हैं. राजसमंद से भाजपा के टिकट पर महिमा सिंह मैदान में है. जो मेवाड़ के पूर्व राजघराने की सदस्य हैं.
भीलवाड़ा : इस सीट पर कांग्रेस ने विधानसभा के पूर्व स्पीकर डॉ. सीपी जोशी को मैदान में उतारा है. हालांकि, पहले दामोदर गुर्जर को भीलवाड़ा से टिकट दिया गया. लेकिन बाद में उन्हें राजसमंद शिफ्ट कर ब्राह्मण प्रत्याशी के रूप में सीपी जोशी को लाया गया. इस सीट पर सीपी जोशी के साथ ही आलाकमान के फैसले की भी साख दांव पर है.
कोटा : इस सीट पर कांग्रेस ने भाजपा छोड़कर आए प्रह्लाद गुंजल को टिकट दिया है. हाड़ौती में गुर्जर मतदाताओं पर पकड़ रखने वाले गुंजल को कांग्रेस में लाकर टिकट दिलवाने में अशोक गहलोत और गोविंद सिंह डोटासरा की अहम भूमिका रही है. ऐसे में कोटा सीट से इन दोनों नेताओं की साख भी जुड़ गई है. कोटा में प्रह्लाद गुंजल का मुकाबला भाजपा के ओम बिड़ला से है. वे लोकसभा के स्पीकर भी हैं. बिड़ला और गुंजल राजनीती के शुरुआती दौर के साथी रहे हैं.
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झालावाड़-बारां : कांग्रेस ने इस सीट से उर्मिला जैन भाया को मैदान में उतारा है. वे पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया की पत्नी हैं. उनका मुकाबला भाजपा के दुष्यंत सिंह से है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेटे हैं और चार बार सांसद रह चुके हैं.