जोधपुर. केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि उनके खिलाफ इस चुनाव में कई झूठ प्रचारित करने का प्रयास किया गया. इमसें सांसद फंड, विकास और बाद में संजीवनी, यह बुझे हुए कारतूस हैं. इसके इस्तेमाल से कुछ हासिल नहीं होगा, क्योंकि मैंने कोई पाप नहीं किया था. बुधवार को भाजपा के मीडिया सेंटर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में शेखावत ने कहा कि संजीवनी मामले में सरकार ने अपने पूरे संसाधनों का उपयोग किया. लाखों-करोडो रुपये सिर्फ इसलिए खर्च किए कि मुझे फंसाया जा सके, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि जब सरकार के मुखिया कुछ हासिल नहीं कर सके तो (करण सिंह का नाम लिए बगैर) उनकी अर्नगल बातों से कुछ फर्क नहीं पड़ेगा. जनता सब जानती है.
सैम पित्रोदा की नीति, मनमोहन का आधार : शेखावत ने कांग्रेस के नेता सैम पित्रोदा के बयान, जिसमें उन्होंने कहा कि अमेरिका में व्यक्ति की मौत के बाद उसकी संपत्ति पूरे परिवार को नहीं मिलती है, सरकार के पास बड़ा हिस्सा जाता है, जो गरीबों के काम आता है, पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पित्रोदा मनमोहन सरकार के सलाहकार रहे हैं. इस बयान को 2006 में मनमोहन सिंह के बयान से जोड़कर देखिए जो समझ आता है कि जो इस तरह की संपत्ति होगी, उन पर पहला अधिकार मुसलमानों का होगा. घुसपैठियों को भी भारत की संपत्ति बांटने की बात है. यह दुर्भाग्य की स्थिति है. कांग्रेस की नीति होती तो सबसे पहले हर काम अल्पसंख्यकों के लिए पहले होते, उसके बाद गरीब का नंबर आता.
पिछले से आसान चुनाव : शेखावत से पूछा गया कि क्या इस बार का चुनाव थोड़ा टफ है? इस पर शेखावत ने कहा कि पिछले चुनाव में अशाोक गहलोत के पुत्र से मुकाबला था. हमारी प्रदेश में सरकार नहीं थी. हमारे लोकसभा क्षेत्र के अधिकांश भाजपा विधायक चुनाव हार चुके थे. पूरी सरकार वैभव गहलोत के लिए काम कर रही थी. परिस्थितियां प्रतिकूल थीं, लेकिन फिर भी जनता ने मोदीजी को मजबूत करने के लिए मुझे जीताया था. इस बार उससे कहीं आसान चुनाव है, जीत का अंतर भी पिछली जीत से अधिक होगा.
कम मतदान से भाजपा को नुकसान सिर्फ भ्रम : शेखावत ने कहा कि यह बीते जमाने की बात हो गई, जब यह धारणा होती थी कि कम मतदान से भाजपा को नुकसान होगा. पिछले सालों से हमारी सरकारें कई जगह बन रही हैं, केंद्र में बनी है. ऐसे में कम मतदान से कोई फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन यह चिंता का विषय है कि मतदान कम क्यों हुआ? इसके लिए चुनाव आयोग, सभी राजनीतिक दल और सामान्य लोगों को सोचना होगा, कहां कमी रह गई , क्येाकि प्रयास अधिक से अधिक मतदान का होना चाहिए.