भरतपुर. पूर्व राजपरिवार के पारिवारिक विवाद मामले में अब राजस्थान जाट महासभा के प्रदेश अध्यक्ष राजाराम मील ने बयान जारी किया है. मील ने पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह के बेटे अनिरुद्ध सिंह की ओर से भरतपुर राजपरिवार का निकास करौली के यदुवंशी राजपूतों से बताने पर आपत्ति जताई है. उन्होंने इस बयान को घोर निंदनीय और गलत बताया है. साथ ही लिखा है कि ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत और अपने पूर्वजों के विरुद्ध अनिरुद्ध सिंह का आचरण मानसिक दिवालियापन का प्रतीक है. वहीं, अनिरुद्ध सिंह ने कहा है कि मेरे परिवार का इतिहास मैं अच्छी तरह से जानता हूं. मैं मानहानि का नोटिस दूंगा.
यह लिखा जाट महासभा ने : महासभा के प्रदेश अध्यक्ष राजाराम मील ने लिखा है कि इतिहासकार 'ज्ञात वंश' कुंवर रिसाल सिंह यादव, अंग्रेजी लेखक इलियट भाग 3, कालिका रंजन कानूनगो के 'हिस्ट्री ऑफ द जाट्स', 'भरतपुर का इतिहास' के लेखक रामवीर सिंह वर्मा आदि के ग्रंथों के आधार पर कृष्ण से लेकर भरतपुर के अंतिम नरेश तक भरतपुर राजपरिवार यदुवंशी जाट क्षत्रिय हैं. यदुवंश की वंशावली से ज्ञात होता है कि तहनपाल के कई पुत्र थे, जिनमें ज्येष्ठ पुत्र धर्मपाल से करौली के और तीसरे पुत्र मदनपाल से भरतपुर जाट राजवंश के सिनसिनवार व सोगरिया परिवार निकले. करौली का राजपरिवार जादोन राजपूत और भरतपुर का राजपरिवार जाट कहे जाते हैं. भरतपुर राजपरिवार का निकास करौली से नहीं, बल्कि करौली राजपरिवार का निकास भरतपुर के यदुवंशी जाटों से है.
जाट महासभा के प्रदेशाध्यक्ष मील ने लिखा है कि अनिरुद्ध सिंह का आचरण भरतपुर के महान जाट शासकों की प्रतिष्ठा और ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत तो है ही, उन्होंने अपने पिता जाट समाज के गौरव विश्वेंद्र सिंह के विरुद्ध भी घोर निंदनीय व्यवहार किया है. अनिरुद्ध सिंह के बयान से भारतवर्ष का जाट समाज आहत है और उनके कृत्य की घोर भर्त्सना करता है. वहीं, जाट महासभा की प्रेस विज्ञप्ति पर अनिरुद्ध सिंह ने सोशल मीडिया X पर पोस्ट कर लिखा है कि 'राजपूत भाई क्या कहते हैं? क्या मुझे इस आदमी को मानहानि का नोटिस भेजना चाहिए?'
यह है पूर्व राजपरिवार का विवाद : पूर्व राजपरिवार सदस्य और पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने अपनी पत्नी पूर्व सांसद दिव्या सिंह और बेटे अनिरुद्ध सिंह पर मारपीट करने, खाना नहीं देने, घर छोड़ने को मजबूर करने के गंभीर आरोप लगाए थे. पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने वरिष्ठ नागरिक के रूप में उपखंड अधिकारी के ट्रिब्यूनल में प्रार्थना पत्र पेश कर ये आरोप लगाए थे, जिसके बाद शुक्रवार को एसडीएम कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई, लेकिन कोई फैसला नहीं हो सका.
गहलोत से मांगी माफी : वहीं, पूर्व सांसद दिव्या सिंह और अनिरुद्ध सिंह ने विश्वेंद्र सिंह पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने बीते 30 साल में महाराजा सूरज की पूरी संपत्ति बेच दी. सिर्फ एक मोतीमहल बचा है. दिव्या सिंह का कहना है कि वो मरते दम तक मोतीमहल को बचाएंगी. 30 सालों में उनके साथ क्या हुआ, अगर ये बता दिया तो ऐसा न हो कि सुप्रीम कोर्ट तक केस पहुंच जाए. साथ ही उन्होंने पारिवारिक विवाद में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर भी आग में घी डालने का आरोप लगाया था, जिसके बाद पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया पर अपनी पत्नी और बेटे के आरोपों को झूठा और बेबुनियाद बताते हुए गहलोत से माफी मांगी थी.