जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आंदोलन में पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मुकदमे में पूर्व विधायक संयम लोढ़ा व अन्य की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए अंतरिम आदेश पारित किया है. ये आंदोलन सिरोही में संत पोमजी महाराज की पत्नी सत्तु बाई के हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर हुआ था. पूर्व विधायक लोढ़ा व अन्य की ओर से मामले को झूठा बताते हुए एफआईआर निरस्त करने की याचिका दायर की गई है. जस्टिस अरुण मोंगा की एकलपीठ में याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एमएस सिंघवी एवं अधिवक्ता अभिषेक मेहता व पुनीत सिंघवी ने पैरवी करते हुए मामले को झूठा बताया. इस पर कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए याचिकाकर्ताओं को पुलिस अनुसंधान में सहयोग करने के निर्देश दिए हैं.
मुकदमा राजनैतिक बदले की भावना : वरिष्ठ अधिवक्ता सिंघवी ने कोर्ट को बताया है कि यह मुकदमा राजनैतिक द्वेष के चलते दर्ज किया गया है. पुलिस ने अपने अधिकारों का दुरूपयोग किया है. आंदोलन विधिवत अनुमति लेकर किया जा रहा था, लेकिन पुलिस ने आंदोलन को दबाने के लिए झूठे आधार बनाकर बिना किसी साक्ष्य के मुकदमा दर्ज कर दिया. याचिका में बताया गया कि संयम लोढ़ा 15 साल सिरोही विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे हैं और उन्हें 2020-21 में राजस्थान विधानसभा में सर्वश्रेष्ठ विधायक के पुरुस्कार से सम्मानित किया गया है. वे कॉमनवेल्थ पार्लियामेंट्री ऐसोसिएशन राजस्थान इकाई (सीपीए) के सचिव भी रहे हैं. मुकदमा राजनैतिक बदले की भावना से उनको क्षति पहुंचाने के लिए दर्ज किया गया है.
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अधिवक्ता सिंघवी ने कोर्ट को बताया है कि संत पोमजी महाराज की पत्नी सत्तु बाई की दो माह पूर्व हुई हत्या को लेकर प्रशासन से पूर्व में स्वीकृति प्राप्त कर 28 जून को प्रदर्शन पुलिस अधीक्षक व जिला कलक्टर को ज्ञापन प्रस्तुत करने के लिए किया गया था. जिला परिषद कार्यालय के सामने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने गुपचुप तरीके से संयम लोढ़ा व अन्य नेता नरगिस कायमखानी, कोमल परिहार, तेजाराम हीरागर, राजेन्द्र उर्फ राजाराम मेघवाल के खिलाफ धारा 103, 353, 427, 505 और सार्वजनिक सम्पत्ति तोड़-फोड़ कानून की धारा 3 में झूठा मुकदमा दर्ज कर दिया. ये लोग शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर हत्या के मामले में कार्रवाई की मांग कर रहे थे. राज्य सरकार की ओर से लोक अभियोजक विक्रम शर्मा ने नोटिस प्राप्त किया.