जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से आबादी के बीच आई जेलों को शहर से बाहर शिफ्ट करने को लेकर रिपोर्ट पेश करने को कहा है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को कहा है कि पूर्व में 45 बिंदुओं पर दिए विस्तृत निर्देशों की पालना को लेकर भी जवाब पेश किया जाए. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.
सुनवाई के दौरान न्यायमित्र प्रतीक कासलीवाल ने कहा कि जेल के अंदर से अपराधी मोबाइल के जरिए नेटवर्क चला रहे हैं. कुछ माह पहले जेल के अंदर से मुख्यमंत्री के नाम धमकी भरा फोन किया गया. इसके अलावा लॉरेंस बिश्नोई ने तो जेल के अंदर से ही वीसी कर ली. इसके अलावा अपराधी जेल के अंदर से ही अपने वकीलों से बात करते हैं. ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि जेल के भीतर अपराधी मोबाइल का उपयोग नहीं कर रहे हैं. जेमर को लेकर साल 2019 से राज्य सरकार जवाब नहीं दे रही है.
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जेल के भीतर मॉनिटरिंग को लेकर लगे सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डिंग के स्टोरेज की कोई माकूल व्यवस्था नहीं है. न्यायमित्र की ओर से यह भी कहा गया कि जेल में जेल प्रहरियों की संख्या काफी कम है. जिसके चलते विचाराधीन कैदियों की पेशियां प्रभावित हो रही हैं. वहीं, प्रहरियों का वेतन पुलिस से कम होने के कारण नए प्रहरी नौकरियां छोडकर जा रहे हैं. इसके अलावा कई जेल अब आबादी के बीच आ गई हैं. इन्हें शहर से बाहर कर इनकी इमारतों में सरकारी ऑफिस खोल सकते हैं.
लखनऊ में इसी तरह जेल को बाहर शिफ्ट किया गया है. इस पर अदालत ने कहा कि एक कैदी को कितनी जगह चाहिए. यदि जेल आबादी से बाहर जाती है तो जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों की समस्या से भी निजात मिल जाएगी. वहीं, महाधिवक्ता की ओर से अदालत को जानकारी दी गई कि सुप्रीम कोर्ट ने सांगानेर खुली जेल को लेकर रजिस्ट्रार को निरीक्षण के लिए भेजा है. ऐसे में मामले की सुनवाई टाली जाए. इस पर न्यायमित्र ने कहा कि इस मुद्दे के अलावा अन्य बिंदुओं पर सुनवाई की जा सकती है. सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने विभिन्न बिंदुओं को लेकर राज्य सरकार से जवाब पेश करने को कहा है.