जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने गृह विभाग से पूछा है कि इस वर्ष 31 अगस्त तक प्राप्त डीएनए सैंपल में से कितने प्रकरणों में जांच रिपोर्ट 10 दिन के बाद दी गई. इसके अलावा भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता के प्रावधानों के तहत क्या प्रदेश में विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं की संख्या में वृद्धि और उनमें प्रशिक्षित विशेषज्ञ व मानव संसाधनों को बढ़ाने के लिए कोई एक्शन प्लान तैयार किया गया है. अदालत ने पूछा है कि गत 1 अप्रैल तक एफएसएल के लंबित 18282 प्रकरण कितने समय से लंबित हैं और वह किस क्षेत्र के हैं. सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश इस संबंध में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान में एकल पीठ की ओर से भेजे जमानत प्रकरण पर सुनवाई करते हुए दिए.
अदालत ने कहा कि पूर्व में राज्य सरकार की ओर से पेश शपथ पत्र से पता चलता है कि नमूनों के डीएनए परीक्षण के लिए कोई मानक समय निर्धारित नहीं है. प्रयोगशालाओं के वैज्ञानिकों की ओर से औसतन पांच से सात दिन का समय लिया जा रहा है. वहीं जघन्य अपराधों के मामलों को प्राथमिकता से लिया जा रहा है. वहीं इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए पचास संविदाकर्मी लगाए गए हैं और नियमित पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी है.
वहीं एफएसएल निदेशक की रिपोर्ट से पता चलता है कि प्रदेश में छह क्षेत्रीय प्रयोगशालाएं और एक राज्य स्तरीय प्रयोगशाला कार्यरत है. ऐसे में भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता के प्रावधानों को देखते हुए गृह विभाग लंबित प्रकरणों और एफएसएल के संसाधनों को लेकर जानकारी पेश करें.