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विभागीय मापदंड से कम परीक्षा परिणाम आने पर प्रिंसिपल और व्याख्याता पर कार्रवाई क्यों : हाईकोर्ट - Rajasthan High Court - RAJASTHAN HIGH COURT

Rajasthan High Court, राजस्थान हाईकोर्ट ने विभागीय मापदंड से कम परीक्षा परिणाम देने पर विभाग की ओर से प्रिंसिपल और व्याख्याता की वेतन वृद्धि रोकने पर प्रमुख शिक्षा सचिव व माध्यमिक शिक्षा निदेशक सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV BHARAT JAIPUR)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 3, 2024, 7:26 PM IST

जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने विभागीय मापदंड से कम परीक्षा परिणाम देने पर विभाग की ओर से प्रिंसिपल और व्याख्याता की वेतन वृद्धि रोकने पर प्रमुख शिक्षा सचिव और माध्यमिक शिक्षा निदेशक सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस अनूप ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश प्रिंसिपल महेंद्र तिवाड़ी व व्याख्याता नेमीचंद की ओर से दायर अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि वर्ष 2019-20 में याचिकाकर्ता कोटखावदा तहसील की सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत था. स्कूल के दो वरिष्ठ अध्यापकों का गणित व अंग्रेजी विषय का परीक्षा परिणाम मापदंड से कम आने पर विभाग ने याचिकाकर्ता की एक वार्षिक वेतन वृद्धि रोक ली. इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि एक कक्षा का परिणाम कम आने पर संबंधित विषय पढाने वाले शिक्षकों के स्थान पर याचिकाकर्ता को दंडित करना गलत है.

इसे भी पढ़ें - डेढ़ दशक पुराने प्रकरण का निस्तारण कर हाईकोर्ट ने दिए भुगतान के आदेश - Rajasthan High Court

इस परीक्षा परिणाम के अलावा हर साल स्कूल का उत्कृष्ट परिणाम रहता है. जिससे साबित है कि उसकी ओर से कोई लापरवाही नहीं बरती गई. वहीं, दूसरी याचिका में व्याख्याता नेमीचंद की ओर से कहा गया कि वह बधाल में हिंदी का स्कूल व्याख्याता है. सत्र 2015-16 में उसके विषय का परीक्षा परिणाम कम आने पर उसकी वेतन वृद्धि रोक ली गई, जबकि उसने पूरा सिलेबस पढ़ाया था.

इसके अलावा हर विद्यार्थी का पढऩे का स्तर भी एक समान नहीं होता है. ऐसे में एक साल का परीक्षा परिणाम कम आने पर उसे दंडित नहीं किया जा सकता. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने विभागीय मापदंड से कम परीक्षा परिणाम देने पर विभाग की ओर से प्रिंसिपल और व्याख्याता की वेतन वृद्धि रोकने पर प्रमुख शिक्षा सचिव और माध्यमिक शिक्षा निदेशक सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस अनूप ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश प्रिंसिपल महेंद्र तिवाड़ी व व्याख्याता नेमीचंद की ओर से दायर अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि वर्ष 2019-20 में याचिकाकर्ता कोटखावदा तहसील की सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत था. स्कूल के दो वरिष्ठ अध्यापकों का गणित व अंग्रेजी विषय का परीक्षा परिणाम मापदंड से कम आने पर विभाग ने याचिकाकर्ता की एक वार्षिक वेतन वृद्धि रोक ली. इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि एक कक्षा का परिणाम कम आने पर संबंधित विषय पढाने वाले शिक्षकों के स्थान पर याचिकाकर्ता को दंडित करना गलत है.

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इस परीक्षा परिणाम के अलावा हर साल स्कूल का उत्कृष्ट परिणाम रहता है. जिससे साबित है कि उसकी ओर से कोई लापरवाही नहीं बरती गई. वहीं, दूसरी याचिका में व्याख्याता नेमीचंद की ओर से कहा गया कि वह बधाल में हिंदी का स्कूल व्याख्याता है. सत्र 2015-16 में उसके विषय का परीक्षा परिणाम कम आने पर उसकी वेतन वृद्धि रोक ली गई, जबकि उसने पूरा सिलेबस पढ़ाया था.

इसके अलावा हर विद्यार्थी का पढऩे का स्तर भी एक समान नहीं होता है. ऐसे में एक साल का परीक्षा परिणाम कम आने पर उसे दंडित नहीं किया जा सकता. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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