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हाईकोर्ट ने कहा, इंदिरा गांधी नहर, कर भवन व कृषि भवन की जमीन का मुद्दा प्रशासनिक स्तर पर देखेंगे - Rajasthan High Court - RAJASTHAN HIGH COURT

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इंदिरा गांधी नहर, कर भवन व कृषि भवन की जमीन का मुद्दा प्रशासनिक स्तर पर देखा जाएगा.

RAJASTHAN HIGH COURT, LAND OF INDIRA GANDHI CANAL
राजस्थान हाईकोर्ट. (Etv Bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 24, 2024, 8:35 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट भवन के लिए वर्ष 1956 में आवंटित 30 बीघा जमीन में से 10 बीघा जमीन पर इंदिरा गांधी नहर मंडल, कर भवन व कृषि भवन बना होने और इनकी जमीन का उपयोग हाईकोर्ट द्वारा किए जाने के मुद्दे को प्रशासनिक स्तर पर देखा जाएगा. इसके साथ ही अदालत ने इस संबंध में दायर जनहित याचिका का निस्तारण कर दिया है. सीजे एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रहलाद शर्मा की पीआईएल पर दिए.

याचिकाकर्ता प्रहलाद शर्मा ने बताया कि वर्ष 1956 में हाईकोर्ट भवन के लिए तीस बीघा भूमि आवंटित की गई थी. वर्तमान में हाईकोर्ट बीस बीघा जमीन पर ही बना हुआ है. शेष दस बीघा जमीन पर इंदिरा गांधी नहर मंडल, कर भवन और कृषि भवन बना हुआ है. निचली अदालत परिसर में वकीलों, कोर्ट स्टाफ व पक्षकारों के वाहनों की पार्किंग के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. इसके चलते लोगों को कोर्ट परिसर के बाहर ही सड़क पर वाहन खडे़ करने पड़ते हैं और हर दिन सड़क पर जाम के हालात बने रहते हैं. कोर्ट परिसर में पक्षकारों के बैठने के लिए पक्षकार दीर्घाएं भी नहीं हैं.

पढ़ेंः विभाग की ओर से बताए अस्पताल में इलाज नहीं कराने के आधार पर वेतन रोकना उचित नहीं- हाईकोर्ट - Rajasthan High Court

इसी तरह हाईकोर्ट में भी वाहनों पार्किंग की जगह व वकीलों के चैंबर की कमी है. ऐेसे में हाईकोर्ट के पास की इंदिरा गांधी नगर मंडल की खाली पड़ी बिल्डिंग का उपयोग दूसरे किसी ऑफिस के लिए नहीं किया जाए और इन्हें भी हाईकोर्ट के उपयोग के लिए सौंपा जाए. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि मामले में हाईकोर्ट ने करीब दो साल पहले राज्य सरकार और हाईकोर्ट प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था, लेकिन अभी तक किसी भी पक्षकार का जवाब पेश नहीं हुआ. इस पर अदालत ने कहा कि इस मुद्दे पर न्यायिक आदेश देने के बजाए इसे प्रशासनिक स्तर पर देखा जाएगा. इसके साथ ही अदालत ने जनहित याचिका का निस्तारण कर दिया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट भवन के लिए वर्ष 1956 में आवंटित 30 बीघा जमीन में से 10 बीघा जमीन पर इंदिरा गांधी नहर मंडल, कर भवन व कृषि भवन बना होने और इनकी जमीन का उपयोग हाईकोर्ट द्वारा किए जाने के मुद्दे को प्रशासनिक स्तर पर देखा जाएगा. इसके साथ ही अदालत ने इस संबंध में दायर जनहित याचिका का निस्तारण कर दिया है. सीजे एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रहलाद शर्मा की पीआईएल पर दिए.

याचिकाकर्ता प्रहलाद शर्मा ने बताया कि वर्ष 1956 में हाईकोर्ट भवन के लिए तीस बीघा भूमि आवंटित की गई थी. वर्तमान में हाईकोर्ट बीस बीघा जमीन पर ही बना हुआ है. शेष दस बीघा जमीन पर इंदिरा गांधी नहर मंडल, कर भवन और कृषि भवन बना हुआ है. निचली अदालत परिसर में वकीलों, कोर्ट स्टाफ व पक्षकारों के वाहनों की पार्किंग के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. इसके चलते लोगों को कोर्ट परिसर के बाहर ही सड़क पर वाहन खडे़ करने पड़ते हैं और हर दिन सड़क पर जाम के हालात बने रहते हैं. कोर्ट परिसर में पक्षकारों के बैठने के लिए पक्षकार दीर्घाएं भी नहीं हैं.

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इसी तरह हाईकोर्ट में भी वाहनों पार्किंग की जगह व वकीलों के चैंबर की कमी है. ऐेसे में हाईकोर्ट के पास की इंदिरा गांधी नगर मंडल की खाली पड़ी बिल्डिंग का उपयोग दूसरे किसी ऑफिस के लिए नहीं किया जाए और इन्हें भी हाईकोर्ट के उपयोग के लिए सौंपा जाए. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि मामले में हाईकोर्ट ने करीब दो साल पहले राज्य सरकार और हाईकोर्ट प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था, लेकिन अभी तक किसी भी पक्षकार का जवाब पेश नहीं हुआ. इस पर अदालत ने कहा कि इस मुद्दे पर न्यायिक आदेश देने के बजाए इसे प्रशासनिक स्तर पर देखा जाएगा. इसके साथ ही अदालत ने जनहित याचिका का निस्तारण कर दिया है.

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