ETV Bharat / state

केन्द्र व राज्य सरकार बताए कि तकनीकी आधार पर आदेश जारी क्यों किया- हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि केंद्र व राज्य सरकार बताए कि तकनीकी आधार पर आदेश क्यों जारी किया गया.

Rajasthan High Court,  State Government should explain
राजस्थान हाईकोर्ट.
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 3, 2024, 8:48 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जीएसटी विभाग की ओर से कंप्यूटर निर्मित फार्म में तकनीकी आधार पर आदेश जारी करने पर केन्द्र व राज्य सरकार सहित जीएसटी विभाग के स्पेशल व असिस्टेंट कमिश्नर से जवाब देने के लिए कहा है. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने यह आदेश मां लक्ष्मी एंटरप्राइजेज की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता डीपी शर्मा ने बताया कि असिस्टेंट कमिश्नर जीएसटी ने याचिकाकर्ता फर्म का रिफंड आवेदन पत्र स्वीकार कर उसकी राशि को कंज्यूमर वेलफेयर अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया था. इस कार्रवाई को याचिकाकर्ता ने विभागीय अपील के जरिए चुनौती दी, लेकिन उसकी अपील भी एक लाइन के आदेश से मशीनी अंदाज में खारिज कर दी. मामला हाईकोर्ट में आने पर याचिकाकर्ता फर्म की ओर से कहा कि विभाग की ओर से दिया आदेश कंप्यूटर द्वारा निर्मित फार्म में था और उसमें दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया है.

पढ़ेंः महाधिवक्ता की नियुक्ति में देरी न्यायोचित है या नहीं- हाईकोर्ट

आदेश में यह स्पष्ट नहीं किया कि एक बार रिफंड जारी होने के बाद उसे कंज्यूमर वेलफेयर अकाउंट में ट्रांसफर क्यों किया गया. जीएसटी विभाग के अफसरों की ओर से पारित आदेश भी अर्द्ध न्यायिक श्रेणी में ही आता है. इसलिए ऐसे आदेश को मशीनी अंदाज में जारी नहीं किया जा सकता. इलेक्ट्रॉनिक कैश लेजर की राशि बैंक अकाउंट के समान होती है और इसे कंज्यूमर वेलफेयर अकाउंट में स्थानान्तरित नहीं किया जा सकता. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने केन्द्र व राज्य सरकार सहित संबंधित अफसरों से जवाब देने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जीएसटी विभाग की ओर से कंप्यूटर निर्मित फार्म में तकनीकी आधार पर आदेश जारी करने पर केन्द्र व राज्य सरकार सहित जीएसटी विभाग के स्पेशल व असिस्टेंट कमिश्नर से जवाब देने के लिए कहा है. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने यह आदेश मां लक्ष्मी एंटरप्राइजेज की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता डीपी शर्मा ने बताया कि असिस्टेंट कमिश्नर जीएसटी ने याचिकाकर्ता फर्म का रिफंड आवेदन पत्र स्वीकार कर उसकी राशि को कंज्यूमर वेलफेयर अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया था. इस कार्रवाई को याचिकाकर्ता ने विभागीय अपील के जरिए चुनौती दी, लेकिन उसकी अपील भी एक लाइन के आदेश से मशीनी अंदाज में खारिज कर दी. मामला हाईकोर्ट में आने पर याचिकाकर्ता फर्म की ओर से कहा कि विभाग की ओर से दिया आदेश कंप्यूटर द्वारा निर्मित फार्म में था और उसमें दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया है.

पढ़ेंः महाधिवक्ता की नियुक्ति में देरी न्यायोचित है या नहीं- हाईकोर्ट

आदेश में यह स्पष्ट नहीं किया कि एक बार रिफंड जारी होने के बाद उसे कंज्यूमर वेलफेयर अकाउंट में ट्रांसफर क्यों किया गया. जीएसटी विभाग के अफसरों की ओर से पारित आदेश भी अर्द्ध न्यायिक श्रेणी में ही आता है. इसलिए ऐसे आदेश को मशीनी अंदाज में जारी नहीं किया जा सकता. इलेक्ट्रॉनिक कैश लेजर की राशि बैंक अकाउंट के समान होती है और इसे कंज्यूमर वेलफेयर अकाउंट में स्थानान्तरित नहीं किया जा सकता. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने केन्द्र व राज्य सरकार सहित संबंधित अफसरों से जवाब देने को कहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.