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सरकारी वकील नहीं आ रहे कोर्ट में इसलिए प्रमुख सचिव को बुलाने के अलावा नहीं बचा विकल्प-हाईकोर्ट

Rajasthan High Court राजस्थान हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने सरकारी वकील के पेश होकर पक्ष नहीं रखने को गंभीर माना है.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट.
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 7, 2024, 8:04 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मुकदमों में राज्य सरकार की ओर से वकील के पेश होकर पक्ष नहीं रखने को गंभीर माना है. अदालत ने कहा कि पूर्व में मुख्य सचिव और प्रमुख विधि सचिव को सरकारी वकीलों की उपस्थिति के संबंध में कहा जा चुका है. इसके अलावा महाधिवक्ता भी इनकी उपस्थिति को लेकर अदालत को आश्वस्त कर चुके है, लेकिन अब तक कोई सुधार नहीं हुआ है. ऐसे में प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए अदालत के पास प्रमुख पंचायती राज सचिव और दौसा जिला परिषद के सीईओ को बुलाने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं बचा है. ऐसे में दोनों अधिकारी 11 मार्च को व्यक्तिशः या वीसी के जरिए अदालत में पेश होकर अपना स्पष्टीकरण पेश करें.

जस्टिस गणेश राम मीणा की एकलपीठ ने यह आदेश सुनीता शर्मा व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि पंचायती राज विभाग से जुड़े इस सेवा संबंधी मामले में अदालत ने गत 11 अक्टूबर को विभाग को नोटिस जारी किए थे, जो 11 जनवरी को अधिकारियों पर तामील हो गए. इसके बाद 16 फरवरी को सुनवाई के दौरान विभाग की ओर से कोई पेश नहीं हुआ. इसके चलते अदालत को मामले की सुनवाई टालनी पड़ी.

पढ़ेंः हाईकोर्ट ने पूर्व डीजीपी और एसीएस गृह को 25 हजार रुपए के जमानती वारंट से किया तलब

वहीं, इस बार भी सरकार की तरफ से पक्ष रखने के लिए कोई पेश नहीं हुआ. सरकार के इस तरह के सुस्त रवैये को लंबी अवधि के लिए बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. सरकार की ओर से पक्ष नहीं रखने के चलते आम गरीब आदमी के मुकदमे पर सुनवाई नहीं हो पाती है. इससे पूर्व अदालत मुख्य सचिव, प्रमुख विधि सचिव और महाधिवक्ता को भी इस संबंध में जानकारी दे चुकी है. ऐसे में अब दोनों अधिकारी अदालत में पेश होकर इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण पेश करें.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मुकदमों में राज्य सरकार की ओर से वकील के पेश होकर पक्ष नहीं रखने को गंभीर माना है. अदालत ने कहा कि पूर्व में मुख्य सचिव और प्रमुख विधि सचिव को सरकारी वकीलों की उपस्थिति के संबंध में कहा जा चुका है. इसके अलावा महाधिवक्ता भी इनकी उपस्थिति को लेकर अदालत को आश्वस्त कर चुके है, लेकिन अब तक कोई सुधार नहीं हुआ है. ऐसे में प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए अदालत के पास प्रमुख पंचायती राज सचिव और दौसा जिला परिषद के सीईओ को बुलाने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं बचा है. ऐसे में दोनों अधिकारी 11 मार्च को व्यक्तिशः या वीसी के जरिए अदालत में पेश होकर अपना स्पष्टीकरण पेश करें.

जस्टिस गणेश राम मीणा की एकलपीठ ने यह आदेश सुनीता शर्मा व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि पंचायती राज विभाग से जुड़े इस सेवा संबंधी मामले में अदालत ने गत 11 अक्टूबर को विभाग को नोटिस जारी किए थे, जो 11 जनवरी को अधिकारियों पर तामील हो गए. इसके बाद 16 फरवरी को सुनवाई के दौरान विभाग की ओर से कोई पेश नहीं हुआ. इसके चलते अदालत को मामले की सुनवाई टालनी पड़ी.

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वहीं, इस बार भी सरकार की तरफ से पक्ष रखने के लिए कोई पेश नहीं हुआ. सरकार के इस तरह के सुस्त रवैये को लंबी अवधि के लिए बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. सरकार की ओर से पक्ष नहीं रखने के चलते आम गरीब आदमी के मुकदमे पर सुनवाई नहीं हो पाती है. इससे पूर्व अदालत मुख्य सचिव, प्रमुख विधि सचिव और महाधिवक्ता को भी इस संबंध में जानकारी दे चुकी है. ऐसे में अब दोनों अधिकारी अदालत में पेश होकर इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण पेश करें.

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