जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने रोडवेज के चालक व परिचालकों को सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी उनकी 9,18 व 27 साल की सेवा का चयनित वेतनमान का लाभ समय पर नहीं देने पर रोडवेज के एमडी, कार्यकारी निदेशक व संबंधित डिपो के मैनेजर को याचिकाकर्ताओं के प्रतिवेदन का निपटारा एक महीने में करने का निर्देश दिया है. वहीं, अदालत ने याचिकाकर्ताओं को कहा है कि वे चयनित वेतनमान के संबंध में अपना प्रतिवेदन पेश करें. अदालत ने यह आदेश संजय कुमार वर्मा व अन्य की याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने बताया कि हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट पूर्व में आदेश जारी कर रोडवेज के कार्मिकों को चयनित वेतनमान का लाभ देने का निर्देश दे चुके हैं. इसके बावजूद भी याचिकाकर्ताओं को चयनित वेतनमान का लाभ नहीं दिया जा रहा है, बल्कि रोडवेज ने कर्मचारियों के चयनित वेतनमान को विभागीय पैनल्टी के चलते आगे बढा दिया है. यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दखल से इनकार करते हुए रोडवेज की एसएलपी को 13 जुलाई, 2022 को खारिज कर दिया.
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इसके बाद भी रोडवेज प्रशासन ने याचिकाकर्ताओं को चयनित वेतनमान का लाभ नहीं दिया है. ऐसे में रोडवेज की मनमानी के चलते याचिकाकर्ता कर्मचारियों को वापस अदालत में आना पड़ रहा है. इसलिए रोडवेज प्रशासन को निर्देश दिए जाए कि वह उन्हें चयनित वेतनमान का लाभ दें. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने रोडवेज को याचिकाकर्ताओं का मामला तय करने को कहा है.