जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती रोक के बावजूद भी नगर निगम के कर्मचारी को सेवा से हटाने के मामले में प्रमुख यूडीएच सचिव टी रविकांत और नगर निगम ग्रेटर की आयुक्त रुक्मणी रियाड सहित अन्य को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस उमाशंकर व्यास की एकलपीठ ने यह आदेश प्रदीप कुमार शर्मा की अवमानना याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
अवमानना याचिका में अधिवक्ता तरुण चौधरी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता वर्ष 1996 में नगर निगम की विद्युत विंग में हेल्पर कम स्टोर कीपर के पद पर लगा था. इसके बाद से वह लगातार इस पद पर काम कर रहा था. इस बीच वर्ष 2014 में उसे सेवा से हटा दिया गया. इस पर उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 26 अगस्त, 2014 को याचिकाकर्ता को हटाने पर रोक लगाते हुए उसे समान पद पर कार्य कराने के अंतरिम निर्देश दिए.
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निगम की ओर से यह रोक हटाने के लिए प्रार्थना पत्र भी पेश किया, लेकिन अदालत ने 26 अगस्त, 2017 को नगर निगम का यह प्रार्थना पत्र भी खारिज कर दिया. याचिका में कहा गया कि नगर निगम ने उसे वर्ष 2017 से वेतन देना बंद कर दिया और गत 25 मई को विद्युत विंग के अधिकारी ने मौखिक आदेश देते हुए याचिकाकर्ता को पद से हटा दिया. इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि याचिकाकर्ता को सेवा से हटाने पर रोक को लेकर अदालत का 26 अगस्त, 2014 का आदेश वर्तमान में प्रभावी है और उस याचिका का अभी तक निस्तारण भी नहीं हुआ है. ऐसे में उसे सेवा से हटाना और वेतन रोकना गलत है. याचिका में गुहार की गई कि उसे बकाया वेतन दिया जाए और पुनः सेवा में लिया जाए. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.