जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश के बावजूद भी 30 जून को रिटायर होने वाले शिक्षाकर्मियों को एक वार्षिक वेतन वृद्धि और उससे जुडे़ परिलाभ अदा नहीं करने को गंभीरता से लिया है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में प्रमुख शिक्षा सचिव, शिक्षा निदेशक और जिला शिक्षा अधिकारी, करौली को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. अदालत ने पूछा है कि अदालती आदेश के बावजूद भी अब तक याचिकाकर्ताओं को परिलाभ अदा क्यों नहीं किया गए हैं. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने यह आदेश विष्णु दीक्षित व अन्य की अवमानना याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता शिक्षा विभाग में कई पदों पर रहे हैं. वहीं तय सेवा पूरी करने के बाद गत वर्षो में तीस जून को वे पद से रिटायर हो गए. याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार हर साल एक जुलाई को कर्मचारियों की वार्षिक वेतन वृद्धि करती है. यह वेतन वृद्धि संबंधित कर्मचारी के बीते एक साल में किए गए कार्य अवधि के आधार पर की जाती है. याचिकाकर्ता बीते एक साल तक सरकार के विभाग में काम करते रहे, लेकिन वार्षिक वेतन वृद्धि के एक दिन पूर्व ही वे रिटायर हो गए.
ऐसे में उन्हें वार्षिक वेतन वृद्धि और इससे जुडे़ परिलाभ नहीं दिए गए. इस पर उन्होंने पूर्व में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को एक वार्षिक वेतन वृद्धि और उससे जुडे़ परिलाभ अदा करने को कहा था. अवमानना याचिका में कहा गया कि तय अवधि बीतने के बाद भी अब तक उन्हें वार्षिक वेतन वृद्धि और उससे जुडे़ परिलाभ नहीं दिए गए हैं. ऐसे में दोषी अधिकारियों को दंडित किया जाए और याचिकाकर्ताओं को परिलाभ दिलाए जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.