जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नियमों में प्रावधान होने के बावजूद दिव्यांगजनों को भर्तियों में अधिकतम आयु सीमा में पांच साल की छूट नहीं देने पर राज्य सरकार व एनएमसी पर 50-50 हजार रुपए हर्जाना लगाया है. वहीं, दिव्यांग को आयुसीमा में छूट देकर सीनियर रेजीडेंट पद पर नियुक्ति का आदेश दिया है. न्यायाधीश समीर जैन ने यह आदेश डॉ. शेख मोहम्मद अफजल की याचिका पर दिया.
याचिका में अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता ने नीट पीजी, 2020 में ओबीसी दिव्यांग कोटे से एमडी-पीडियाट्रिक की सीट पर दाखिला लिया. इसके आधार पर एक अगस्त 2023 को पीजी कोर्स पूरा कर लिया. इसके बाद याचिकाकर्ता का सीनियर रेजीडेंट के रूप में चयन हो गया, लेकिन 45 वर्ष से अधिक आयु होने के कारण नियुक्ति देने से इनकार कर दिया गया. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि एम्स जोधपुर व देश के कई मेडिकल कॉलेजों में दिव्यांगों को उनके वर्ग के आधार पर आयुसीमा में 10 से 15 साल तक की छूट दी जा रही है और ओबीसी के दिव्यांगों को अधिकतम आयु में 13 साल की छूट दी जा रही है.
एनएमसी की ओर से अधिवक्ता अंगद मिर्धा ने कहा कि याचिकाकर्ता आयु पार हो गया, इस मामले में कोर्ट को दखल करने का अधिकार नहीं है. विज्ञापन में नियुक्ति के समय अभ्यर्थी की आयु 45 साल से कम होने की शर्त रखी गई थी. वहीं, अतिरिक्त महाधिवक्ता जी एस गिल ने एनएमसी के तर्कों का समर्थन किया. कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनकर टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता को ओबीसी दिव्यांग वर्ग में प्रवेश दिया गया, लेकिन नियमों के अंतर्गत आयु सीमा में पांच साल की अतिरिक्त छूट देने के प्रावधान का पालन नहीं किया जा रहा. कोर्ट ने कहा कि यूएन कन्वेंशन के अंतर्गत दिव्यांगों को आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है, लेकिन आयु में छूट का लाभ देने से इनकार किया जा रहा है. दिव्यांगजन से संबंधित 2016 का कानून लाभ देने के उद्देश्य से बनाया गया और उसी के अंतर्गत आयुसीमा में छूट का प्रावधान किया गया. एक ओर सीनियर रेजीडेंट को आयु सीमा में छूट देने से मना किया जा रहा है, जबकि दूसरी ओर सीनियर मेडिकल प्रोफेसर की आयु 60 से बढ़ाकर 70 साल तक कर दी गई है.