जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस विभाग में पिछले 30 साल से लांगरी पद पर काम कर रहे प्रार्थी को रेट के आदेश और हाईकोर्ट में राज्य सरकार की याचिका खारिज होने के बाद भी मंत्रालयिक वर्ग में एलडीसी पद पर पदोन्नति नहीं देने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने नोटिस की तामील होने के बाद भी राज्य सरकार की ओर से किसी के उपस्थित नहीं होने पर पूर्व डीजीपी उमेश मिश्रा व एसीएस गृह को 25 हजार रुपए के जमानती वारंट से तलब करते हुए 27 मई को हाजिर होने को कहा है. जस्टिस नरेन्द्र सिंह ने यह आदेश देवकरण की अवमानना याचिका पर दिए.
अवमानना याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता टोंक आरएसी में 27 जून 1994 को लांगरी के पद पर नियुक्त हुआ. उसने ट्रिब्यूनल के 25 जून 2001 के एक निर्णय के आधार पर लांगरी को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी मानने और उनके लिए मिनिस्ट्रियल कैडर के आरक्षित पदों पर पदोन्नति देने के लिए प्रतिवेदन दिया. कोई कार्रवाई नहीं हुई. जिस पर उसने रेट में अपील दायर की.
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रेट ने 15 नवंबर 2021 को आदेश जारी कर राज्य सरकार को उसे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए मिनिस्ट्रियल कैडर में रिजर्व एलडीसी के पद पर पदोन्नति देने के आदेश दिए. इस आदेश के खिलाफ पेश याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए राज्य सरकार को दो महीने में पालना करने के लिए कहा. इसके बावजूद भी उसे पदोन्नति नहीं दी गई. वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से दायर अवमानना याचिका में नोटिस की तामील होने के बाद भी राज्य सरकार व पुलिस विभाग की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ. इसे अदालत ने गंभीर मानते हुए पूर्व डीजीपी व एसीएस होम को 25 हजार रुपए के जमानती वारंट से तलब किया है.