जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश के छह जिलों में बजरी खनन के लिए प्रस्तावित 22 खनन पट्टों की ई-नीलामी विज्ञापन पर रोक लगाते हुए जवाब तलब किया है. हाईकोर्ट जस्टिस डॉ नुपूर भाटी की एकलपीठ में करौली निवासी याचिकाकर्ता सत्य स्वरूप सिंह जादौन की ओर से सीनियर एडवोकेट विकास बालिया ने याचिका पर पैरवी की.
सीनियर एडवोकेट बालिया ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने बजरी लीज एलओआई होल्डर्स वेलफेयर सोसायटी बनाम राजस्थान राज्य एवं अन्य की ओर से विशेष अनुमति याचिका में 11 नवम्बर 2021 को बजरी के खनन पट्टों की नीलामी को लेकर विशेष दिशा-निर्देश जारी किए थे. सीनियर एडवोकेट ने कहा कि राज्य सरकार बजरी खनन पट्टों की नीलामी से पहले खनन योग्य क्षेत्र का उचित सीमांकन, जिला सर्वे रिपोर्ट में खनन योग्य बजरी का आंकलन और सम्बंधित विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद नीलामी की कारवाई की जानी चाहिए थी.
पढ़ेंः माइनिंग सेक्टर के नाम एक और उपलब्धि, मेजर मिनरल्स के 79 ब्लॉक होंगे नीलाम
राज्य सरकार के खान एवं भू विज्ञान विभाग ने टोंक, भीलवाड़ा, नागौर, राजसमंद, जालौर तथा ब्यावर जिलों में 22 खनन पट्टों के लिए 15 फरवरी 2024 को एक ई-नीलामी नोटिस जारी करते हुए नीलामी प्रस्तावित कर दी. बालिया ने कहा कि खान विभाग ने 21 सितम्बर 2023 को एक पत्र जारी करते हुए टोंक को छोड़कर शेष 15 जिलों की सर्वे रिपोर्ट में आवश्यक डेटा सम्मिलित करने के लिए छह महिने का समय दिया था. अब तक 15 जिलों की सर्वे रिपोर्ट में यह डेटा सम्मिलित नही किया गया है. विभाग ने इसके लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया. इसके बावजूद 15 फरवरी 2024 को ई-नीलामी नोटिस जारी कर दिया, जो कि सर्वोच्च न्यायालय की ओर से दिए गए निर्देशों का उल्लंघन है. साथ ही बजरी खनन के लिए प्रवर्तन एवं निगरानी दिशा निर्देश 2020 का उल्लंघन है. हाईकोर्ट ने 15 फरवरी 2024 के ई-नीलामी आदेश पर रोक लगाते हुए 22 अप्रेल 2024 तक एएजी प्रवीण खंडेलवाल को जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने विभाग को अंतरिम आदेश को निरस्त करवाने के लिए आवेदन पेश करने की स्वतंत्रता दी है.