जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थानी भाषा को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अध्यापक भर्ती परीक्षा रीट में राजस्थानी भाषा को शामिल करने की संभावना तलाशने के निर्देश दिए हैं. जस्टिस डॉ पुष्पेन्द्रसिंह भाटी व जस्टिस योगेन्द्र कुमार पुरोहित की खंडपीठ के समक्ष पदमचंद मेहता व कल्याण सिंह की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. मामले की अगली सुनवाई 25 जुलाई को होगी.
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अशोक कुमार चौधरी ने पैरवी करते हुए बताया कि राजस्थानी भाषा राजस्थान में 4 करोड़ से अधिक लोग बोलते हैं, लेकिन प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को शिक्षा राजस्थानी भाषा में नहीं दी जा रही है. बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में यह प्रावधान है कि बच्चों को जहा तक संभव हो, मातृभाषा में शिक्षा उपलब्ध करवायी जानी चाहिए. नई शिक्षा नीति 2020 में भी यह प्रावधान किया गया है कि बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा दी जाए.
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राज्य सरकार रीट के माध्यम से अध्यापकों का चयन करती है, लेकिन उसमें भी उर्दू, सिंधी, गुजराती, अंग्रेजी इत्यादि भाषाओं को स्थान दिया गया है. जो मात्र कुछ हजार लोगों द्वारा बोली जाती है. जबकि करोड़ों लोगों द्वारा बोली जाने वाली राजस्थानी भाषा अभी तक उपेक्षित है. मातृभाषा में शिक्षा ना मिलने के कारण ना सिर्फ बच्चों के साथ अन्याय हो रहा है बल्कि राजस्थान अपनी संस्कृति भी खोता जा रहा है. क्योंकि भाषा के लुप्त होने की वजह से हजारों सालों के अनुभव और समृद्ध संस्कृति का हास होता है.
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता बीएल भाटी ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में देने के लिए प्रयासरत है और इस दिशा में लगातार कदम उठाए जा रहे हैं. कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई 25 जुलाई को मुकरर्र करते हुए राज्य सरकार को राजस्थानी को रीट में भाषा के तौर पर शामिल करने की संभावना तलाश करने के निर्देश दिए हैं.