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बाल सुधार गृह से बच्चों के भागने और बाहर धमकियां देने की घटनाओं पर हाईकोर्ट ने रिपोर्ट की तलब

राजस्थान हाईकोर्ट ने बाल सुधार गृह से बच्चों के भागने और बाहर धमकियां देने की घटनाओं पर जयपुर पुलिस आयुक्त समेत अन्य से रिपोर्ट तलब की है.

High Court calls for report,  juvenile home
बाल सुधार गृह से बच्चों के भागने और बाहर धमकियां देने की घटनाओं पर हाईकोर्ट ने रिपोर्ट की तलब.
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 20, 2024, 9:50 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बाल सुधार गृह से बच्चों के भागने और लोगों को धमकियां मिलने के मामलों पर सख्ती दिखाते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के प्रमुख सचिव व निदेशक तथा जयपुर के पुलिस आयुक्त से रिपोर्ट तलब की है. न्यायाधीश अशोक कुमार जैन ने एक निगरानी याचिका खारिज करने के साथ ही ऐसी घटनाओं को लेकर स्वप्रेरणा से तीनों अधिकारियों को नोटिस जारी किए हैं.

याचिकाकर्ता के खिलाफ जयपुर के हरमाड़ा थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी. जिसके खिलाफ रिवीजन को महानगर-द्वितीय क्षेत्र की अधीनस्थ अदालत ने खारिज कर दिया. प्रार्थी पक्ष ने याचिकाकर्ता किशोर के लंबे समय से संप्रेषण गृह में होने के आधार पर राहत देने की मांग की है. सरकारी पक्ष ने याचिकाकर्ता के अब वयस्क होने का तर्क देते हुए कहा कि दो बार पीड़ित परिवार को फोन कर धमकियां दी जा चुकी हैं.

पढ़ेंः बाल सुधार गृह से बच्चे फरार होने के मामले में केयर टेकर और गार्ड गिरफ्तार, एक बाल अपचारी निरुद्ध

इस पर कोर्ट ने स्थिति को गंभीर मानते हुए याचिकाकर्ता को जमानत का लाभ देने से इनकार कर दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले में निर्देश दिया कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के प्रमुख सचिव व निदेशक आठ सप्ताह में तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करें. वहीं, जयपुर पुलिस आयुक्त संप्रेषण गृह से संबंधित पांच साल की घटनाओं का विवरण पेश करें.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बाल सुधार गृह से बच्चों के भागने और लोगों को धमकियां मिलने के मामलों पर सख्ती दिखाते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के प्रमुख सचिव व निदेशक तथा जयपुर के पुलिस आयुक्त से रिपोर्ट तलब की है. न्यायाधीश अशोक कुमार जैन ने एक निगरानी याचिका खारिज करने के साथ ही ऐसी घटनाओं को लेकर स्वप्रेरणा से तीनों अधिकारियों को नोटिस जारी किए हैं.

याचिकाकर्ता के खिलाफ जयपुर के हरमाड़ा थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी. जिसके खिलाफ रिवीजन को महानगर-द्वितीय क्षेत्र की अधीनस्थ अदालत ने खारिज कर दिया. प्रार्थी पक्ष ने याचिकाकर्ता किशोर के लंबे समय से संप्रेषण गृह में होने के आधार पर राहत देने की मांग की है. सरकारी पक्ष ने याचिकाकर्ता के अब वयस्क होने का तर्क देते हुए कहा कि दो बार पीड़ित परिवार को फोन कर धमकियां दी जा चुकी हैं.

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इस पर कोर्ट ने स्थिति को गंभीर मानते हुए याचिकाकर्ता को जमानत का लाभ देने से इनकार कर दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले में निर्देश दिया कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के प्रमुख सचिव व निदेशक आठ सप्ताह में तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करें. वहीं, जयपुर पुलिस आयुक्त संप्रेषण गृह से संबंधित पांच साल की घटनाओं का विवरण पेश करें.

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