जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने नेशनल मेडिकल काउंसिल से मान्यता लिए बिना ही एमबीबीएस कोर्स संचालित करने वाली झुंझुंनू की सिंघानिया यूनिवर्सिटी के खिलाफ शिकायत मिलने के बाद भी राज्य सरकार की ओर से कार्रवाई नहीं करने को गंभीर माना है. इसके साथ ही अदालत ने अतिरिक्त मुख्य उच्च शिक्षा सचिव को मंगलवार को उपस्थित होकर बताने को कहा है कि सिंघानिया यूनिवर्सिटी के खिलाफ एनएमसी की ओर से शिकायत देने के बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं की. जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश सिंघानिया यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस करने वाली रंजना जांगड़ा व अन्य की याचिकाओं पर दिए.
सुनवाई के दौरान एनएमसी की ओर से कहा कि उन्होंने राज्य सरकार को समय रहते हुए सूचना दे दी थी कि सिंघानिया यूनिवर्सिटी को एमबीबीएस कोर्स चलाने की मंजूरी नहीं है. इसलिए यूनिवर्सिटी के एमबीबीएस कोर्स को बंद किया जाए. वहीं यूजीसी ने कहा कि उन्होंने तो केवल यूनिवर्सिटी को बीएड सहित अन्य कोर्स चलाने की मंजूरी दी थी, उन्होंने एमबीबीएस कोर्स चलाने के लिए कभी अनुमति नहीं दी थी. अदालत एनएमसी व यूजीसी का पक्ष जानने के बाद राज्य के एसीएस उच्च शिक्षा को उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है.
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मामले से जुड़े अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने बताया कि याचिकाकर्ताओं ने साल 2016-17 में नीट की परीक्षा दी थी और उसमें वे पात्र घोषित किए गए. इस दौरान सिंघानिया विवि ने एक विज्ञापन जारी कर एमबीबीएस कोर्स में प्रवेश के लिए आवेदन मांगे. जिस पर उन्होंने यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस कोर्स में प्रवेश ले लिया और 2022 में एमबीबीएस कोर्स भी कर लिया, लेकिन जब उन्होंने आरएमसी में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया तो उन्हें यह कहते हुए रजिस्ट्रेशन करने से मना कर दिया कि सिंघानिया यूनिवर्सिटी एनएमसी से मान्यता प्राप्त नहीं है. इसलिए उनकी एमबीबीएस कोर्स वैध नहीं है. इस कार्रवाई को हाईकोर्ट में चुनौती देते आरएमसी में उनका रजिस्ट्रेशन करवाने और उनकी एमबीबीएस की डिग्री को वैध करार देने का आग्रह किया.