जयपुर : राज्य सरकार ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली उन किताबों, जिसमें 2002 के गोधराकांड का जिक्र किया गया है, उसे वापस मंगवा लिया है. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने किताबों में हत्यारों के महिमामंडन किए जाने की बात कही. उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने इन किताबों को अनुमोदित किया था. विभाग ने इस किताब के अलावा तीन और किताबों को वापस मंगवाया है.
राजस्थान सरकार ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों में वितरित की जा चुकी चार किताबों को वापस मंगवाने के आदेश जारी किए हैं. राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद ने जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वो कक्षा 9वीं से 12वीं तक पढ़ाई जा रही 'जीवन की बहार', 'चिट्टी एक कुत्ता और उसका जंगल फॉर्म' और कक्षा 11वीं, 12वीं में पढ़ाई जा रही 'अदृश्य लोग - उम्मीद और साहस की कहानी' और 'जीवन की बहार' की सभी कॉपियों को वापस मंगवाने के निर्देश दिए हैं. वापस मंगवाने के पीछे विभाग ने तकनीकी कारणों का हवाला दिया है.
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने दावा किया कि जिन पुस्तकों को वापस मंगवाया गया है, उसका चयन गोविंद सिंह डोटासरा ने किया था. राज्य में भाजपा सरकार बनने से पहले ही पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने इसका अनुमोदन कर दिया था. साथ ही पुस्तकें खरीद ली गईं और उनको बांट दिया गया.
हालांकि, जब इन पुस्तकों को पढ़ा गया तो पता चला कि गोधरा में जो हुआ था, उसकी नेगेटिव जानकारी दी गई है. अपराधी को अच्छा बताया गया है. ऐसे में पुस्तक में गोधराकांड के हत्यारों के महिमामंडन का प्रयास किया गया है, जो सही नहीं है. दिलावर ने कहा कि उस पुस्तक को वापस मंगा लिया गया है. ऐसे में अब बच्चे इसे नहीं पढ़ेंगे.
बता दें कि 'अदृश्य लोग- उम्मीद और साहस की कहानी' में '9 लंबे साल' नामक अध्याय में गोधराकांड में ट्रेन में लगी आग को आतंकी साजिश बताया गया है. वहीं, इस पुस्तक को वितरित करने के फैसले का प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी विरोध किया था. हालांकि, अब शिक्षा मंत्री दिलावर ने डोटासरा पर ही इस किताब का चयन करने का आरोप लगाया है.