जयपुर. राज्य सरकार ने हाल ही राजस्थान सेवा नियम 1951 के नियम-26 में संशोधन किया है, जिसके चलते अब अस्थाई पदोन्नति पर भी वेतन भत्तों के लाभ मिल सकेंगे. साथ ही सभी विभागों में पदोन्नतियां भी पूरी हो सकेगी. यही नहीं, अस्थाई पदोन्नत कार्मिक यदि अगले पद पर पदोन्नति की योग्यता रखता है, तो उसके अगले पद पर पदोन्नत होने के रास्ते भी खुल गए हैं. हालांकि अस्थाई पदोन्नति में वहीं कार्मिक पदोन्नत होंगे, जो स्थाई पदोन्नति की योग्यता रखते हैं. ऐसे में शिक्षक संगठनों ने शिक्षा विभाग में चार सालों से अटकी तृतीय श्रेणी से लेकर जिला शिक्षा अधिकारी पद तक अस्थाई वैकल्पिक पदोन्नति की प्रक्रिया अपनाने की मांग उठाई है.
प्रदेश में अब तक कोर्ट में मामला होने पर सरकार पेड सैलरी पर पदोन्नतियां करती थी और आजकल लगभग सभी विभागों में कोर्ट के मामले बढ़ने के कारण पदोन्नतियां अटकी हुई है. लेकिन अब राज्य सरकार ने राजस्थान सेवा नियम 1951 के नियम 26 में संशोधन किया है. ऐसे में अब तक पदोन्नति पर वेतन भत्तों का जो लाभ स्थाई राज्य कर्मचारी और एसीपी कर्मचारियों को दिया जाता था, वो अब अस्थाई कार्मिकों को भी मिलेगा. इस पर राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के अंजनी कुमार ने कहा कि सरकार का ये फैसला स्वागत योग्य है. हालांकि अब मांग यही है कि तृतीय श्रेणी शिक्षकों को वरिष्ठ अध्यापक के रिक्त पड़े 25 हजार पदों पर पदोन्नत करें. ताकि कक्षा 9 और 10 के छात्रों को शिक्षक उपलब्ध हो और इन शिक्षकों को वेतन भत्तों का लाभ मिल सके.
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थर्ड ग्रेड का भी करें प्रमोशन : उन्होंने कहा कि सरकार ने जिस तरह प्रधानाचार्य को जिला शिक्षा अधिकारी पद पर पदोन्नति किया है, उसी तरह तृतीय श्रेणी अध्यापकों को भी वरिष्ठ अध्यापक पद पर पदोन्नत करे. इससे उन्हें वेतन भत्तों का लाभ मिलेगा और तृतीय श्रेणी के पद रिक्त होने पर स्थानांतरण होने की संभावना भी बढ़ेगी. उन्होंने तृतीय श्रेणी शिक्षकों के अलावा अन्य कैडरों के भी न्यायालय वाद के कारण फैसला आने तक अस्थाई वैकल्पिक पदोन्नति की मांग की है.
डीपीसी के रास्ते खुले : वहीं राजस्थान शिक्षक संघ एकीकृत के महामंत्री डॉ. रनजीत मीणा ने कहा कि तृतीय श्रेणी शिक्षक 4 वर्ष से लंबित डीपीसी की मांग कर रहे थे. इस संशोधन से उसके रास्ते खुले हैं. अब इन शिक्षकों की अस्थाई पदोन्नति की जा सकेगी. इससे उन्हें स्थाई पदोन्नति की तर्ज पर वेतन परिलाभ मिलना शुरू हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि शिक्षक संगठनों ने पहले भी कई बार ये मांग उठाई है, जिसे अब राज्य सरकार ने धरातल पर उतारने की कवायद की है. भजनलाल कैबिनेट की 3 अगस्त को हुई बैठक में निर्णय किया गया है.