जयपुर: राजस्थान के कर्मचारी एक बार फिर आंदोलन की राह पर हैं. जलदाय विभाग के कर्मचारियों के ऊपर लगाई गई राजस्थान आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम (रेस्मा) के खिलाफ कर्मचारी एकीकृत महासंघ आंदोलन की घोषणा की है. एकीकृत महासंघ ने कहा कि सरकार नियमित सेवाएं जारी रख अपने हकों की मांग कर रहे जलदाय कर्मचारियों पर सरकार ने जबरन रेस्मा लगाकर हिटलरशाही का उदाहरण दिया है, जिसे महासंघ किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगा. सरकार अपने इस आदेश को जल्द वापस ले, नहीं तो प्रदेशव्यापी आंदोलन के लिए तैयार रहे.
लोक कल्याण नीति के विपरीत निर्णय : अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी एकीकृत महासंघ के अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से बजट 2024-25 की घोषणा में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के कार्यों को राजस्थान वॉटर सप्लाई एवं सीवरेज कॉरपोरेशन को स्थानांतरण किया जाना प्रस्तावित किया है, जिसमें जलदाय विभाग की परीसंपत्तियों को आरडब्ल्यूएसएससी (RWSSC) को स्थानांतरित करने के साथ ही सभी जल योजनाओं को मय स्टाफ के चरणबद्ध रूप से बोर्ड में समायोजित करने की घोषणा की गई है. देश आजाद होने के बाद से ही जलदाय विभाग राज्य सरकार के अधीन है. जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग को आरडब्ल्यूएसएससी के अधीन किए जाने पर जलदाय विभाग एक बोर्ड के रूप में हो जाएगा और राज्य सरकार का परोक्ष रूप से कोई नियंत्रण नहीं रहेगा.
राज्य की भौगोलिक, पर्यावरण और जल संसाधनों की विषम परिस्थितियों को देखते हुए उस पर होने वाले वित्तीय, व्यय भार एवं संसाधन जुटाने की आवश्यकता के मद्देनजर सरकार को जलदाय विभाग को अपने पास ही रखना आवश्यक है, वर्तमान में आम जनता को पीने के पानी की व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा जब से विभाग बना है तब से बहुत ही कम दर पर उपलब्ध करवाई जाती रही है, बोर्ड बनाए जाने के बाद आम जनता पर भी पेयजल की दरों को अनाधिकृत रूप से बढ़ाया जाएगा, जिससे आमजन में भी सरकार के प्रति रोष बढ़ेगा.
आदेश हिटलरशाही का प्रतीक : गजेंद्र सिंह ने कहा कि महासंघ एकीकृत के घटक संगठन राजस्थान वॉटर वर्क्स कर्मचारी संघ द्वारा उक्त आदेशों को निरस्त करवाने बाबत लगातार लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन किया जा रहा है. जलदाय विभाग में कर्मचारियों द्वारा पेयजल सप्लाई सुचारू रखते हुए अपने हकों को बचाने के लिए श्रमिक हितों में आंदोलन किया जा रहा है, लेकिन जलदाय विभाग के प्रमुख शासन सचिव द्वारा आंदोलन को कुचलने के लिए परिपत्र जारी कर कर्मचारियों के सभी प्रकार के अवकाश पर रोक लगाते हुए आंदोलन करने पर द राजस्थान एसेंशियल सर्विस मेंटिनेस एक्ट, 1970 (रेस्मा) के तहत कार्यवाही करने के आदेश जारी किए गए हैं जो कि कतई न्यायोचित नहीं है और हिटलर शाही का प्रतीक है, जिसका महासंघ एकीकृत कड़े शब्दों में विरोध करता है.
राज्य सरकार कभी अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का आदेश जारी कर और कभी रेस्मा लगाने का आदेश जारी कर राज्य कर्मचारियों में भय पैदा कर रही है. महासंघ एकीकृत सरकार से मांग करता है कि सरकार राज्य कर्मचारियों पर दमनात्मक कार्यवाही बंद करते हुए उक्त आदेशों को वापस लेवे अन्यथा महासंघ एकीकृत को मजबूर होकर आंदोलनात्मक कदम उठाना पड़ेगा, जिनकी समस्त जिम्मेदारी राजस्थान सरकार की होगी.