जयपुर. राजस्थान की पांच विधानसभा सीटों पर आगामी दिनों में होने वाले उपचुनाव को लेकर कांग्रेस ने कमर कस ली है. हर सीट पर चुनावी गतिविधियों के लिहाज से चार नेताओं की कमेटी बनाई गई है. प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस संबंध में आदेश जारी किया है.
झुंझुनू सीट पर सांसद बृजेंद्र सिंह ओला, प्रभारी महासचिव रामसिंह कस्वां, जिलाध्यक्ष दिनेश मूंड और विधायक मनोज मेघवाल को कमेटी में शामिल किया गया है, जबकि दौसा विधानसभा सीट पर सांसद मुरारीलाल मीणा, महासचिव पुष्पेंद्र भारद्वाज, जिलाध्यक्ष रामजीलाल ओड और विधायक रफीक खान को कमेटी में जगह मिली है. इसी तरह देवली-उनियारा सीट पर सांसद हरिशचंद्र मीना, प्रभारी महासचिव प्रशांत शर्मा, जिलाध्यक्ष हरिप्रसाद बैरवा और विधायक विकास चौधरी को कमेटी में शामिल किया गया है.
हनुमान के गढ़ में इनको जिम्मेदारी : खींवसर सीट के लिए जिलाध्यक्ष जाकिर हुसैन गैसावत, विधायक डूंगरराम गेदर, सेवादल के मुख्य संगठक हेमसिंह शेखावत और एनएसयूआई के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अभिषेक चौधरी को जिम्मा दिया गया है. इस सीट से विधायक बनने के बाद राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने नागौर से सांसद का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. वे पहले भी खींवसर से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं.
राजकुमार की सीट इनके हवाले : डूंगरपुर जिले की चौरासी सीट पर प्रभारी उपाध्यक्ष रतन देवासी, जिलाध्यक्ष वल्लभराम पाटीदार, विधायक पुष्करलाल डांगी और पूर्व विधायक रामलाल मीना को जिम्मेदारी दी गई है. चौरासी सीट से विधानसभा चुनाव में भारत आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत ने जीत दर्ज की थी. बाद में सांसद बनने के बाद उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया.
दो सीट कांग्रेस के खाते में : दरअसल, राजस्थान की पांच विधानसभा सीट से विधायक चुने गए नेता लोकसभा चुनाव में उतरे और जीत दर्ज की. इसके बाद उन्होंने विधायक के पद से इस्तीफा दे दिया. इसलिए अब झुंझुनूं, दौसा, देवली-उनियारा, खींवसर और चौरासी सीट पर उपचुनाव होने हैं. इन पांच में से तीन सीट कांग्रेस के खाते में थी. जबकि एक-एक सीट राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और भारत आदिवासी पार्टी के खाते में थी.
कांग्रेस की जीत की रणनीति तैयार करेगी कमेटी : यह चार सदस्यों की कमेटी संबंधित विधानसभा सीट पर संगठन की सक्रियता बढ़ाने की दिशा में काम करेगी. इस समिति में शामिल नेता ब्लॉक, मंडल और बूथ कांग्रेस कमेटियों की बैठक लेकर जमीनी कार्यकर्ताओं के साथ सीधा संवाद करेंगे. जमीन पर मतदाताओं से संवाद और जुड़ाव के लिए यह कमेटी रणनीति तैयार कर संबंधित सीट पर पार्टी की जीत सुनिश्चित करने की रूपरेखा तय करेगी.