जयपुर. प्रदेश की भजनलाल सरकार जुलाई के पहले सप्ताह में अपना पूर्ण बजट पेश कर सकती है. इसको लेकर वित्त विभाग ने तैयारी तेज कर दी है. पहले ऑनलाइन वेबसाइट के जरिए और अब वन टू वन संवाद के जरिए अलग-अलग संगठनों के सुझाव लिए जा रहे हैं. इसी कड़ी में गुरुवार को पहली बैठक में कर्मचारी संगठनों को आमंत्रित किया गया है. मुख्यमंत्री कार्यालय के कन्वेंशन सेंटर में हुई इस प्री-बजट बैठक में प्रदेश के सभी छोटे-बड़े कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि पानी समस्याओं के साथ आगामी बजट को लेकर अपने सुझाव दिए, लेकिन इन सबके बीच इस बैठक में वित्त मंत्री की गैरमौजूदगी ने सियासी चर्चाओं को गर्म कर दिया. इसके साथ ही विपक्ष को हमला बोलने का मौका मिल गया.
आपणो अग्रणी राजस्थान में कर्मचारियों की भूमिका अग्रणी : मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार की लोककल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में कर्मचारियों की अहम भूमिका है. उनकी सक्रियता के कारण ही स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा, आधारभूत ढ़ांचे जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों की योजनाओं का लाभ धरातल तक पहुंच रहा है और अन्त्योदय की परिकल्पना साकार हो रही है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कर्मचारी हितों के प्रति संवेदनशील है और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्मचारी राजस्थान-परिवार की प्रगति का प्रमुख माध्यम है. गांव हो या शहर या सचिवालय, हर स्तर पर उनकी सक्रियता से छोटे-बड़े कार्य संपादित होते हैं.
प्रदेश के विकास, लोगों के कल्याण और समाज के उत्थान के कार्यों में उनकी भूमिका से ही आपणो अग्रणी राजस्थान का लक्ष्य प्राप्त हो सकेगा. उन्होंने कहा कि कार्मिकों की वास्तविक समस्याओं का समाधान करना राज्य सरकार का कर्तव्य है, साथ ही, राज्य सरकार उन कार्मिकों को सम्मानित करने के लिए संकल्पबद्ध है जो गुड-गवर्नेंस के लिए प्रतिबद्ध होकर कार्य कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्मचारी संगठनों के महत्वपूर्ण सुझाव आगामी बजट को समावेशी बनाने में कारगर साबित होंगे. राज्य सरकार सकारात्मक सुझावों का संवेदनशीलता के साथ परीक्षण कर उन्हें बजट में शामिल करने का हर संभव प्रयास करेगी. साथ ही, उन्होंने सभी विभागों के मंत्रियों को कर्मचारियों-अधिकारियों से संवाद कर उनकी आवश्यकताओं को सुनने और उनका समाधान करने के निर्देश भी दिए.
कर्मचारियों के सुझाव : सरकार बनने के बाद यह पहला मौका है, जब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा कर्मचारी संगठनों से न केवल संवाद किया, बल्कि बजट में उन्हें किस तरह की राहत दी जाए उस पर भी सुझाव लिए. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ के प्रदेश महावीर शर्मा ने कहा कि अच्छी बात है कि पूर्ववर्ती सरकारों की तर्ज पर इस बार भी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा बजट से पूर्व कर्मचारियों से या अन्य वर्गों से संवाद कर किया और उनसे बजट संबंधी सुझाव लिए. बैठक में 8 लाख कर्मचारियों के प्रतिनिधियों ने खुले रूप से सीएम के सामने अपने अपने सुझाव रखे. जिसमें ओपीएस को लेकर फैले भ्रम को दूर करने, कर्मचारियों की वेतन विसंगति को दूर करने, पूर्व में बनी कमेटियों की रिपोर्ट सार्वजनिक करने, कर्मचारियों से समय समय पर द्विपक्षीय वार्ता करने सहित कई सुझाव दिए है.
इसके साथ, अनिवार्य सेवानिवृत्ति को लेकर जारी आदेश पर कर्मचारियों सरकार के सामने अपनी आपत्ति दर्ज दर्ज करायी. उधर राजस्थान नर्सेज एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष प्यारेलाल चौधरी ने कहा कि सरकार ने अच्छे वातावरण में प्री बजट सुझाव लिए हैं. नर्सिग कर्मचारियों की और से एमएसीपी वेतन विसंगति को दूर करने, समय पर नर्सिंग स्टाफ की पदोन्नति करने, संविदा कर्मचारियों की नियमित करना, राजकीय चिकित्सकों की अनुपस्थति में नर्सिंग स्टाफ को दवा खिलने का अधिकार देना, जिससे मरीजों को परेशानी नहीं हो और ग्रामीण क्षेत्र में पीएससी पर एक्स-रे और ईसीजी मशीन उपलब्ध उपलब्ध करने सहित कई सुझाव दिए गए. सरकार ने आश्वस्त दिया कि इन सुझावों पर विचार किया जाएगा.
वित्त मंत्री की अनुपस्थिति पर सियासत : उधर, प्री-बजट बैठक में वित्त मंत्री गैरमौजूदगी पर सियासी पारा दिन भर गरमाया रहा. दरअसल, प्रदेश के बजट का मसौदा तय करने के लिए दोपहर 3 बजे प्री-बजट बैठक प्रस्तावित थी. इस बैठक में 47 विभागों के प्रतिनिधियों के साथ ही विभिन्न विभागों के उच्च अधिकारियों को शामिल होना था. पूर्ण बजट को लेकर हुई पहली प्री बजट बैठक में वित्त मंत्री दीया कुमारी का नाम नहीं था, जबकि प्रोटोकॉल के हिसाब से बैठक के नोटिस में बतौर वित्त मंत्री दीया कुमारी का नाम होना चाहिए था. इस मुद्दे पर कांग्रेस ने सरकार को घेरा तो पहले मुख्यमंत्री के दिल्ली दौरे का हवाला देते हुए बैठक निरस्त कर दी गई, लेकिन मामला ज्यादा बढ़ा तो अब दोपहर 3 बजे बैठक वापस बुलाई गई है.
खास बात यह है कि अब नए सिरे से जारी नोटिस में साफ किया गया है कि वित्त मंत्री (उप मुख्यमंत्री) जयपुर में नहीं हैं. ऐसे में उनके कार्यालय से उनके वीडियो कॉन्फ्रेंस से उनके जुड़ने का कहा गया, लेकिन करीब ढाई घंटे से अधिक चली इस सुझाव बैठक में वित्त मंत्री दीया कुमारी वीसी से भी नहीं जुड़ीं. सूत्रों की मानें तो वो जयपुर से बहर हैं. इसलिए बैठक में शामिल नहीं हुईं, लेकिन जिस तरह से बिना वित्त मंत्री को आमंत्रित किए बैठक बुलाई गई, उसने भाजपा के अंदरखाने चल रहे सियासी घमासान को बाहर ला दिया.