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रायसेन नगरपालिका का ऐसा गांव जहां कभी बिजली नहीं पहुंची, सड़क और पानी भी नहीं - Raisen Village peepalkheda problems

रायसेन जिला मुख्यालय से महज 3 किमी दूर स्थित पीपलखेड़ा में आज तक बिजली नहीं पहुंच सकी है. इस गांव में न तो सड़क है और न पानी की सुविधा. लोग कैसे अपना जीवन बसर करते होंगे, इसे समझा जा सकता है. खास बात ये है कि ये गांव रायसेन नगरपालिका के तहत आता है.

Raisen Village peepalkheda problems
रायसेन जिला मुख्यालय से महज 3 किमी दूर पीपलखेड़ा की समस्याएं (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 29, 2024, 6:22 PM IST

रायसेन नगरपालिका का ऐसा गांव जहां कभी बिजली नहीं पहुंची (ETV BHARAT)

रायसेन। देश की आजादी के 77 साल पूरे होने के बाद भी मध्य प्रदेश में कई ऐसे गांव जहां आज तक बिजली सुविधा नहीं पहुंची है. सरकार भले ही ग्रामीण क्षेत्रों मे अटल ज्योति योजना के माध्यम से 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने के दावे करे लेकिन हकीकत इससे उलट है. रायसेन जिला मुख्यालय से सटे रायसेन के वार्ड नंबर 1 मे आने वाले पीपलखेड़ा गांव में आज तक बिजली नहीं पहुंची. भीषण गर्मी में यहां के ग्रामीण नीम के पेड़ के नीचे दोपहर का वक्त काटते हैं. वहीं रात में ग्रामीणों को हमेशा कीड़े-मकोड़ों के काटने का डर रहता है.

आज तक सड़क भी नहीं बन सकी

आलम यह है कि अगर गांव में कोई बीमार पड़ जाए तो शहर तक पहुंचाने के लिए सड़क तक नहीं है. ग्रामीणों को कच्चा रास्ता पार करते हुए रायसेन शहर पहुंचना पड़ता है, जो शहर से 3 किलोमीटर की दूरी पर है. ETV भारत से पीपलखेड़ा के ग्रामीणों ने अपना दर्द बयां किया. 25 वर्षीय शाहरुख बताते हैं "यहां ना रोड की सुविधा है और ना लाइट की. पानी भी नहीं है. मैंने अपनी उम्र में कभी यहां लाइट नहीं देखी." दानिश बताते हैं "हमारे गांव में बिजली तो छोड़िए मूलभूत सुविधाएं भी नहीं हैं. यह गांव आता तो नगरपालिका में है पर सुविधा कुछ भी नहीं है. ना लाइट है और ना पानी. ट्यूबवेल से हमें पानी भरना पड़ता है."

गांव में कोई भी पढ़ा-लिखा नहीं है

ग्रामीण बताते हैं कि यहां शायद ही आपको कोई पढ़ा-लिखा मिले. स्कूल में जो होमवर्क मिलता है बच्चे लाइट न होने के कारण उसे घर पर नहीं कर पाते. जो बच्चे यहां पर थोड़ा पढ़े भी हैं तो उन्हें ना हिंदी आती है ना ही इंग्लिश. गांव की सबसे बड़ी समस्या लाइट की है. यह गांव पहाड़ी क्षेत्र में है. यहां गर्मी बहुत ज्यादा पड़ती है. गांव में एकमात्र हैंडपंप है जो कभी चलता है और कभी नहीं चलता.

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कागजों में बिजली स्वीकृत हो चुकी है

वहीं, इस मामले में बिजली कंपनी के जीएम चंद्रकांत पंवार से बात की गई तो उन्होंने कैमरे पर कुछ भी कहने से मना कर दिया. उन्होंने अपने रिकॉर्ड के पत्र को देखकर बताया "पीपलखेड़ा गांव में दो साल पहले योजना के तहत विद्युतीकरण का काम स्वीकृत हो चुका है. लेकिन एस्टीमेट के हिसाब से जिस स्थान से गांव में पोल लगाकर लाइट ले जाना है वहां कुछ लोग विवाद कर पोल नहीं लगने दे रहे हैं." इस बारे में रायसेन नगर पालिका की अधिकारी सुरेखा जाटव का पक्ष लेने के लिए फोन किया तो उन्होंने रिसीव ही नहीं किया.

रायसेन नगरपालिका का ऐसा गांव जहां कभी बिजली नहीं पहुंची (ETV BHARAT)

रायसेन। देश की आजादी के 77 साल पूरे होने के बाद भी मध्य प्रदेश में कई ऐसे गांव जहां आज तक बिजली सुविधा नहीं पहुंची है. सरकार भले ही ग्रामीण क्षेत्रों मे अटल ज्योति योजना के माध्यम से 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने के दावे करे लेकिन हकीकत इससे उलट है. रायसेन जिला मुख्यालय से सटे रायसेन के वार्ड नंबर 1 मे आने वाले पीपलखेड़ा गांव में आज तक बिजली नहीं पहुंची. भीषण गर्मी में यहां के ग्रामीण नीम के पेड़ के नीचे दोपहर का वक्त काटते हैं. वहीं रात में ग्रामीणों को हमेशा कीड़े-मकोड़ों के काटने का डर रहता है.

आज तक सड़क भी नहीं बन सकी

आलम यह है कि अगर गांव में कोई बीमार पड़ जाए तो शहर तक पहुंचाने के लिए सड़क तक नहीं है. ग्रामीणों को कच्चा रास्ता पार करते हुए रायसेन शहर पहुंचना पड़ता है, जो शहर से 3 किलोमीटर की दूरी पर है. ETV भारत से पीपलखेड़ा के ग्रामीणों ने अपना दर्द बयां किया. 25 वर्षीय शाहरुख बताते हैं "यहां ना रोड की सुविधा है और ना लाइट की. पानी भी नहीं है. मैंने अपनी उम्र में कभी यहां लाइट नहीं देखी." दानिश बताते हैं "हमारे गांव में बिजली तो छोड़िए मूलभूत सुविधाएं भी नहीं हैं. यह गांव आता तो नगरपालिका में है पर सुविधा कुछ भी नहीं है. ना लाइट है और ना पानी. ट्यूबवेल से हमें पानी भरना पड़ता है."

गांव में कोई भी पढ़ा-लिखा नहीं है

ग्रामीण बताते हैं कि यहां शायद ही आपको कोई पढ़ा-लिखा मिले. स्कूल में जो होमवर्क मिलता है बच्चे लाइट न होने के कारण उसे घर पर नहीं कर पाते. जो बच्चे यहां पर थोड़ा पढ़े भी हैं तो उन्हें ना हिंदी आती है ना ही इंग्लिश. गांव की सबसे बड़ी समस्या लाइट की है. यह गांव पहाड़ी क्षेत्र में है. यहां गर्मी बहुत ज्यादा पड़ती है. गांव में एकमात्र हैंडपंप है जो कभी चलता है और कभी नहीं चलता.

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कागजों में बिजली स्वीकृत हो चुकी है

वहीं, इस मामले में बिजली कंपनी के जीएम चंद्रकांत पंवार से बात की गई तो उन्होंने कैमरे पर कुछ भी कहने से मना कर दिया. उन्होंने अपने रिकॉर्ड के पत्र को देखकर बताया "पीपलखेड़ा गांव में दो साल पहले योजना के तहत विद्युतीकरण का काम स्वीकृत हो चुका है. लेकिन एस्टीमेट के हिसाब से जिस स्थान से गांव में पोल लगाकर लाइट ले जाना है वहां कुछ लोग विवाद कर पोल नहीं लगने दे रहे हैं." इस बारे में रायसेन नगर पालिका की अधिकारी सुरेखा जाटव का पक्ष लेने के लिए फोन किया तो उन्होंने रिसीव ही नहीं किया.

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