रायसेन/भोपाल। केंद्रीय बाल संरक्षण आयोग ने औचक निरीक्षण किया तो पाया कि यहां जो बच्चे शराब बनाते हुए मिले, उनकी सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. इन बच्चों के हाथ की चमड़ी निरंतर केमिकल के संपर्क में रहने से जलती जा रही है. कई बच्चों के हाथों में स्थाई विकृति आ गई है. इसके बावजूद 200 से 250 रुपये के लिए ये बच्चे अपने शरीर को दांव पर लगाकर नौकरी करते मिले.
20 लड़कियों से भी बनवाई जा रही थी शराब
कारखाने में शराब बनाते हुए 18 वर्ष से कम आयु के 50 बच्चे पकड़े गए हैं. इनमें 20 लड़कियां भी शामिल हैं. कंपनी के अधिकारी पैसा बचाने के लिए नाबालिगों को काम रखते हैं. ये कर्मचारी भी किसी अन्य ठेकेदार द्वारा लाए जाते हैं. ऐसे में कंपनी इनको कम वेतन तो देती ही है, साथ ही कोई बड़ी दुर्घटना होने पर अपना पल्ला झाड़ लेती है. बता दें कि ये शराब फैक्ट्री आबकारी विभाग की देखरेख में संचालित हो रही है. आबकारी अधिकारी का कार्यालय भी इसी परिसर में है. लेकिन बच्चों से कंपनी द्वारा लिए जा रहे काम पर आबकारी विभाग ने कभी एक्शन नहीं लिया. केंद्रीय बाल आयोग की टीम ने राज्य सरकार को नोटिस भेजकर इस मामले में आबकारी अधिकारी पर कार्रवाई करने को कहा है.
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थाने में दर्ज कराई जा रही एफआईआर
इस मामले में बाल अधिकारी आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बताया "बाल श्रम निरोधक माह के अंतर्गत बाल आयोग को इसकी जानकारी बचपन बचाओ आंदोलन संस्था के द्वारा मिली थी. जिसके बाद हमने चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को कार्रवाई के लिए शराब फैक्ट्री में भेजा था. अब इस मामले में फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज कराई जा रही है."