रायपुर: राजधानी रायपुर के एनआईटी के स्टूडेंट ने मंगलवार की दोपहर को अपने शरीर पर बारूद बांधकर विस्फोट कर दिया. गंभीर रूप से घायल छात्र को एम्स में भर्ती कराया गया है. पूरा मामला राजधानी रायपुर के सरस्वती नगर थाना क्षेत्र का है.
शरीर में विस्फोटक बांधकर खुदकुशी की कोशिश: छात्र का नाम दीक्षांत है. जो एनआईटी मेटलर्जी डिपार्टमेंट का स्टूडेंट है. मंगलवार दोपहर वह रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी कैंपस के पास स्थित सूखे हुए तालाब के पास विस्फोटक लेकर पहुंचा. उसने विस्फोटक को अपनी कमर में बांधा और फिर उसमें आग लगा दी. आग लगने के बाद जमकर ब्लास्ट हुआ जिससे वह घायल होकर जमीन पर गिर पड़ा. इलाका सुनसान होने के कारण किसी को इस बात की खबर भी नहीं लगी. कुछ देर बाद जब उसे होश आया तो वह खुद अपने पैरों से लड़खड़ाते हुए चलकर सड़क किनारे पहुंचा. वहां से गुजर रहे लोगों ने उसकी गंभीर हालत देखी और डायल 112 में फोन किया. कुछ देर बाद पुलिस पहुंची और उसे रायपुर के एम्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया.
छात्र को अस्पताल पहुंचाने के बाद पुलिस टीम घटनास्थल पहुंची. जहां पुलिस को बारूद के निशान और सुतली मिली. इससे साफ था कि दीक्षांत ने खुदकुशी की पूरी प्लानिंग कर रखी थी. यह भी जानकारी निकलकर सामने आई है कि घायल दीक्षांत इसके पहले भी दो से तीन बार आत्महत्या की कोशिश कर चुका है. सुसाइड करने के पहले उसने अपनी बहन को इसकी जानकारी दी. फिलहाल खुदकुशी के कारणों का खुलासा नहीं हो पाया है. जांच जारी है. बताया जा रहा है कि पहले भी 2 से 3 बार छात्र ने खुदकुशी की कोशिश की है.
डिप्रेशन या दबाव में छात्र करते हैं खुदकुशी की कोशिश: छात्र के इस तरह के आत्मघाती कदम पर ETV भारत ने मनोचिकित्सक सुरभि दुबे से बातचीत की. उनका कहना है कि "कोई भी स्टूडेंट स्कूल कॉलेज या किसी संस्था में प्रवेश लेता है तो उस समय उनका मानसिक परीक्षण करना अनिवार्य किया जाना चाहिए. उस समय यह भी देखना चाहिए कि वह नशे का आदि तो नहीं है अगर ऐसा है तो इसकी जानकारी सीवी या असेसमेंट में जरूर उल्लेख करना चाहिए. ऐसा देखने में आता है कि कुछ बच्चे स्कूल कॉलेज या कोचिंग इंस्टिट्यूट के कैंपस में आने के बाद नशा करते हैं जिससे उन्हें नशे की लत लग जाती है. नशा करने के दौरान या नशा जब शरीर को छोड़ता है तो स्टूडेंट्स इस तरह की आत्मघाती कदम उठा लेते हैं. कुछ छात्र मानसिक रोगी भी हो सकते हैं जिसमें इस तरह के कृत्य स्टूडेंटस के द्वारा किया जा सकता है. इसके पीछे स्टूडेंट में डिप्रेशन और दबाव भी हो सकता है. ऐसे में खास तौर पर यह ध्यान रखना होगा कि मनोचिकित्सक या किसी काउंसलर से काउंसलिंग भी कराया जाना चाहिए.