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हादसों का 'कवच' बनेगा रेलवे का ये सिस्टम, आमने-सामने होने पर ऐसे रुक जाएंगी ट्रेन - Railway Kavach System Stop Accident

अब यदि एक ही ट्रैक पर दो ट्रेन आमने-सामने आ भी जाएं तो टेंशन लेने की जरूरत नहीं है. रेलवे का 'कवच सिस्टम' अब ऐसे एक्सीडेंट रोक देगा. ये वेब सिस्टम इतना पावरफुल है कि 400 मीटर दूर दोनों इंजन के ब्रेक ऑटोमेटिक लग जाएंगे.

RAILWAY KAVACH SYSTEM STOP ACCIDENT
कवच सिस्टम से अब नहीं होंगी रेल दुर्घटनाएं (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 25, 2024, 7:13 PM IST

West Central Railway Kavach System: पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में रेल हादसे के बाद पश्चिम मध्य रेलवे जोन में इस प्रकार के हादसों को राेकने के प्रयास शुरु हो गए हैं. अधिकारियों का ये दावा है कि साल 2025 तक वो पश्चिम मध्य रेलवे की सभी ट्रेनों में 'कवच सिस्टम' लगा देंगे. वेब आधारित इस सिस्टम के लगने के बाद एक ही ट्रैक पर आमने-सामने से आ रही ट्रेन रुक जाएंगी. इन ट्रेन के इंजनों में मौजूद ऑटोमेटिक ब्रेक खुद लग जाएंगे. इससे बड़ी दुर्घटनाओं को रोका जा सकेगा.

इस तरह काम करेगा 'कवच सिस्टम'

कवच सिस्टम दो स्थितियों में प्रभावी तरीके से रेल दुर्घटनाओं को रोकता है. पहला, यदि दो ट्रेन एक ही पटरी पर आमने-सामने से आ रही हैं तो ये ट्रेन 400 मीटर की दूरी पर अपने आप रुक जाएंगी. ये वेब सिस्टम इतना पावरफुल है कि ऑटोमेटिक ब्रेक हादसे की संभावना को देखते हुए एक्टिव हो जाएंगे. दूसरा, यदि कोई ट्रेन किसी अन्य ट्रेन के पीछे से आ रही है और उनके बीच दूरी कम हो गई है, तो ऐसी स्थिति में पीछे वाली ट्रेन का ब्रेक ऑटोमेटिक लग जाएगा. यदि ट्रेन के रास्ते में रेड लाइट या गेट आएगा तब भी कवच उसकी गति कम कर देगा.

कोटा मंडल में फिजिकल काम पूरा

कवच को सिग्नल सिस्टम, रेलवे ट्रैक और रेल इंजन पर इंस्टाल किया जाता है. वेब आधारित यह सिस्टम आपस में जुड़े रहते हैं. रेल इंजन के माइक्रो प्रोसेसर को वेब आधारित सिस्टम से रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए सिग्नल और रेलवे कंट्रोल सिस्टम से कनेक्ट किया जाता है. रेलवे अधिकारियों ने बताया कि पूरे पश्चिम मध्य रेलवे में यह काम चल रहा है. कोटा मंडल में मथुरा से लेकर नागदा तक फिजिकल काम पूरा हो गया है. इसके तहत आप्टिकल फायबर बिछाने, उपकरण लगाने, रेडियो टावर खड़े करने जैसे काम किए गए हैं. अब साफ्टवेयर अपडेट करने का काम चल रहा है, इसके बाद टेस्टिंग की जाएगी.

भोपाल और जबलपुर मंडल में शुरू होगा काम

भोपाल रेल मंडल में खंडवा से बीना तक कवच को लगाया जाना प्रस्तावित है. भोपाल रेल मंडल क्षेत्र के अंतर्गत करीब 150 किमी क्षेत्र ऐसा है, जो सेंसटिव है और उससे संबंधित ट्रैक और स्टेशन के साथ ही वहां से गुजरने वाली ट्रेनों के इंजनों पर कवच को इंस्टाल किया जाना है. 2025 तक अधिकारी यह काम पूरा किए जाने का दावा कर रहे हैं. इस तरह की घटनाएं-दुर्घटनाओं को लेकर भोपाल रेल मंडल की ओर से सतर्कता बरती जा रही है. इसको लेकर लगातार लोको पायलट और गार्ड को सेफ्टी सेमिनार का आयोजन कर जागरूक किया जा रहा है. जबलपुर मेन लाइन में कवच लगाये जाने के लिए टेंडर डाला गया है. इसके बाद काम शुरू होगा.

ये भी पढ़ें:

कंचनजंघा एक्सप्रेस दुर्घटना : कहां रह गया 'कवच', जिसका रेल मंत्री करते थे गुणगान

पश्चिम बंगाल में मालगाड़ी से टकराई कोलकाता जा रही कंचनजंघा एक्सप्रेस, पांच की मौत, 30 घायल, रेल मंत्री दार्जलिंग रवाना

शत प्रतिशत हादसे रुकेंगे

पश्चिम मध्य रेलवे के सीपीआरओ हर्षित श्रीवास्तव ने बताया कि "कवच सिस्टम लगने के बाद शत प्रतिशत रेल हादसों में कमी आएगी. कोटा रेल मंडल में कवच से संबंधित फिजिकल काम पूरा हो गया है, साफ्टवेयर अपडेट होना बाकी है. वहीं भोपाल और जबलपुर रेल मंडल में भी टेंडर खुलने के बाद काम शुरु हो जाएगा."

West Central Railway Kavach System: पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में रेल हादसे के बाद पश्चिम मध्य रेलवे जोन में इस प्रकार के हादसों को राेकने के प्रयास शुरु हो गए हैं. अधिकारियों का ये दावा है कि साल 2025 तक वो पश्चिम मध्य रेलवे की सभी ट्रेनों में 'कवच सिस्टम' लगा देंगे. वेब आधारित इस सिस्टम के लगने के बाद एक ही ट्रैक पर आमने-सामने से आ रही ट्रेन रुक जाएंगी. इन ट्रेन के इंजनों में मौजूद ऑटोमेटिक ब्रेक खुद लग जाएंगे. इससे बड़ी दुर्घटनाओं को रोका जा सकेगा.

इस तरह काम करेगा 'कवच सिस्टम'

कवच सिस्टम दो स्थितियों में प्रभावी तरीके से रेल दुर्घटनाओं को रोकता है. पहला, यदि दो ट्रेन एक ही पटरी पर आमने-सामने से आ रही हैं तो ये ट्रेन 400 मीटर की दूरी पर अपने आप रुक जाएंगी. ये वेब सिस्टम इतना पावरफुल है कि ऑटोमेटिक ब्रेक हादसे की संभावना को देखते हुए एक्टिव हो जाएंगे. दूसरा, यदि कोई ट्रेन किसी अन्य ट्रेन के पीछे से आ रही है और उनके बीच दूरी कम हो गई है, तो ऐसी स्थिति में पीछे वाली ट्रेन का ब्रेक ऑटोमेटिक लग जाएगा. यदि ट्रेन के रास्ते में रेड लाइट या गेट आएगा तब भी कवच उसकी गति कम कर देगा.

कोटा मंडल में फिजिकल काम पूरा

कवच को सिग्नल सिस्टम, रेलवे ट्रैक और रेल इंजन पर इंस्टाल किया जाता है. वेब आधारित यह सिस्टम आपस में जुड़े रहते हैं. रेल इंजन के माइक्रो प्रोसेसर को वेब आधारित सिस्टम से रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए सिग्नल और रेलवे कंट्रोल सिस्टम से कनेक्ट किया जाता है. रेलवे अधिकारियों ने बताया कि पूरे पश्चिम मध्य रेलवे में यह काम चल रहा है. कोटा मंडल में मथुरा से लेकर नागदा तक फिजिकल काम पूरा हो गया है. इसके तहत आप्टिकल फायबर बिछाने, उपकरण लगाने, रेडियो टावर खड़े करने जैसे काम किए गए हैं. अब साफ्टवेयर अपडेट करने का काम चल रहा है, इसके बाद टेस्टिंग की जाएगी.

भोपाल और जबलपुर मंडल में शुरू होगा काम

भोपाल रेल मंडल में खंडवा से बीना तक कवच को लगाया जाना प्रस्तावित है. भोपाल रेल मंडल क्षेत्र के अंतर्गत करीब 150 किमी क्षेत्र ऐसा है, जो सेंसटिव है और उससे संबंधित ट्रैक और स्टेशन के साथ ही वहां से गुजरने वाली ट्रेनों के इंजनों पर कवच को इंस्टाल किया जाना है. 2025 तक अधिकारी यह काम पूरा किए जाने का दावा कर रहे हैं. इस तरह की घटनाएं-दुर्घटनाओं को लेकर भोपाल रेल मंडल की ओर से सतर्कता बरती जा रही है. इसको लेकर लगातार लोको पायलट और गार्ड को सेफ्टी सेमिनार का आयोजन कर जागरूक किया जा रहा है. जबलपुर मेन लाइन में कवच लगाये जाने के लिए टेंडर डाला गया है. इसके बाद काम शुरू होगा.

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शत प्रतिशत हादसे रुकेंगे

पश्चिम मध्य रेलवे के सीपीआरओ हर्षित श्रीवास्तव ने बताया कि "कवच सिस्टम लगने के बाद शत प्रतिशत रेल हादसों में कमी आएगी. कोटा रेल मंडल में कवच से संबंधित फिजिकल काम पूरा हो गया है, साफ्टवेयर अपडेट होना बाकी है. वहीं भोपाल और जबलपुर रेल मंडल में भी टेंडर खुलने के बाद काम शुरु हो जाएगा."

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