बिलासपुर: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के सहायक लोको पायलट स्नेह सिंह बघेल को नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया गया है. ये दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के लिए गौरव की बात है. यह प्रतिष्ठित निमंत्रण स्नेह सिंह बघेल की वंदे भारत ट्रेन टीम के एक प्रमुख सदस्य के रूप में अनुकरणीय सेवा समर्पण के लिए दिया गया है.
रेलवे कर्मचारियों और अधिकारियों ने दी बधाई: सहायक लोको पायलट स्नेह सिंह बघेल को इस प्रतिष्ठित समारोह में भाग लेने का निमंत्रण न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियों को दर्शाता है, बल्कि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के कर्मचारियों के समर्पण को भी दिखाता है. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के नागपुर मण्डल के अंतर्गत में गोंदिया लॉबी में कार्यरत स्नेह सिंह बघेल मिशन कर्मयोगी के तहत प्रशिक्षण प्राप्त रेलकर्मी हैं. बघेल 11 दिसंबर 2022 को बिलासपुर-नागपुर-बिलासपुर वंदेभारत एक्स्प्रेस शुभारंभ स्पेशल में भी चालक दल में शामिल हुए थे.महाप्रबंधक सहित दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों ने सहायक लोको पायलट स्नेह सिंह बघेल को इस उपलब्धि पर बधाई दी है.
वंदे भारत के लोको पायलट हैं बघेल: दरअसल, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की ओर से संचालित वंदे भारत ट्रेन बिलासपुर और नागपुर के बीच अपनी निर्बाध कनेक्टिविटी के लिए प्रसिद्ध है. अपनी गति क्षमताओं और एयरलाइन जैसी सुविधाओं, स्वचालित दरवाजे, सेंसर-आधारित नल और पूरी तरह से वातानुकूलित अंदरूनी हिस्सों जैसी शीर्ष सुविधाओं को स्थापित करती है. साथ ही वंदे भारत ट्रेन आधुनिक रेलवे परिवहन के लिए बेंचमार्क स्थापित करती है. यह ट्रेन छत्तीसगढ़ की संस्कारधानी बिलासपुर से हर दिन सुबह 6.45 बजे रवाना होती है. यहां से रायपुर, एजुकेशन हब दुर्ग-भिलाई, राजनांदगांव, मां बमलेश्वरी की नगरी डोंगरगढ़ तथा राइस सिटी के नाम से मशहूर गोंदिया को जोड़ते हुए 12.15 बजे नागपुर पहुंचती है. इसी तरह वापसी भी नागपुर से दोपहर 14.5 बजे निकलकर कर शाम 19.25 बजे बिलासपुर पहुंचती है.
बता दें कि वंदे भारत ट्रेन 'मेक इन इंडिया' को चिन्हांकित करती है, जो कि नवाचार और स्वदेशी विनिर्माण के लिए भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है. जैसे-जैसे राष्ट्र प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है. मोदी के विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए वंदे भारत ट्रेन जैसी पहल कनेक्टिविटी बढ़ाने और भारत की आर्थिक वृद्धि में योगदान देने में अहम भूमिका निभा रही है. इससे आने वाले वर्षों में यह तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी.