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उत्तर से पूर्वोंत्तर को जाने वाली ट्रेनों की बढ़ेगी रफ्तार; लेट-लतीफी में भी होगा सुधार - Rail Budget 2024 - RAIL BUDGET 2024

गोरखपुर कैंट से वाल्मीकि नगर रेलखंड देश के उत्तरी भाग को पूर्वोत्तर से जोड़ता है. दोहरीकरण पूरा होने से गाड़ियों की संख्या बढ़ेगी समय का पालन और परिचालन क्षमता में वृद्धि होगी पूर्वोत्तर की पूर्वोत्तर भाग के क्षेत्र के लिए कम समय में सामानों की धुलाई भी आसान हो सकेगी. उत्तर प्रदेश और बिहार से देश के अन्य भागों में आवागमन आसान हो सकेगा.

उत्तर से पूर्वोंत्तर को जाने वाली ट्रेनों की बढ़ेगी रफ्तार.
उत्तर से पूर्वोंत्तर को जाने वाली ट्रेनों की बढ़ेगी रफ्तार. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 3, 2024, 4:57 PM IST

गोरखपुर: उत्तर भारत से होते हुए पूर्वोत्तर को जाने वाली ट्रेनों की गति बढ़ाने और पूर्वोत्तर के राज्यों तक समय से पहुंचने के लिए गोरखपुर से वाल्मीकि नगर रेलखंड के दोहरीकरण का कार्य अब तेजी के साथ पूरा हो जाएगा. रेल मंत्रालय ने इस कार्य को पूरा करने के लिये 1121 करोड़ का बजट आवंटित कर दिया है.

पूर्व में इस कार्य के लिए मिट्टी भराई और फेनसिंग का कार्य प्रारंभ हो चुका है, लेकिन अब रेल पटरी बिछाने के लिये धन का आवंटन हो जाने से इस कार्य के जल्द पूरा होने की उम्मीद है. दोहरीकरण का कार्य पांच चरणों में पूरा किया जाएगा. इसके पूरा होने से करीब 96 किलोमीटर का रेल मार्ग दुरुस्त हो जाएगा.

गोरखपुर कैंट (छावनी स्टेशन) से वाल्मीकि नगर रेलखंड देश के उत्तरी भाग को पूर्वोत्तर से जोड़ता है. दोहरीकरण पूरा होने से गाड़ियों की संख्या बढ़ेगी. समय का पालन और परिचालन क्षमता में वृद्धि होगी. यही नहीं पूर्वोत्तर भाग क्षेत्र के लिए कम समय में सामानों की ढुलाई भी आसान हो सकेगी. उत्तर प्रदेश और बिहार से देश के अन्य भागों में आवागमन आसान हो सकेगा.

गोरखपुर कैंट से वाल्मीकि नगर रेलखंड देश के उत्तरी भाग को पूर्वोत्तर से जोड़ता है. दोहरीकरण पूरा होने से गाड़ियों की संख्या बढ़ेगी समय का पालन और परिचालन क्षमता में वृद्धि होगी पूर्वोत्तर की पूर्वोत्तर भाग के क्षेत्र के लिए कम समय में सामानों की धुलाई भी आसान हो सकेगी. उत्तर प्रदेश और बिहार से देश के अन्य भागों में आवागमन आसान हो सकेगा.

गोरखपुर कैंट स्टेशन जहां से वाल्मीकि नगर तक दोहरीकरण का कार्य होगा. इस स्टेशन से प्रतिदिन करीब 150 से 160 ट्रेनों का आवागमन होता है, जिसमें यात्री और मालगाड़ी दोनों ट्रेनें शामिल हैं. बिहार के नरकटियागंज और वाल्मीकि नगर रूट पर जाने के लिए गोरखपुर कैंट स्टेशन से ही छठ ट्रेन भी ओरिजिनेट होने लगी हैं. इस स्टेशन पर पूर्वोत्तर से आने वाली ट्रेनों के ठहराव का रेलवे का जो प्लान है, उसको देखते हुए स्टेशन को सेटेलाइट स्टेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है. लेकिन छावनी से वाल्मीकि नगर 96 किलोमीटर का रेलखंड जो दोहरीकरण किया जाएगा. उसमें इस दौरान कुल मार्ग पर 9 क्रॉसिंग स्टेशन, तीन हॉल्ट स्टेशन, 10 बड़े और 43 छोटे और एक महत्वपूर्ण पुल को भी बनाया जाएगा. बहुत जल्द इस पर कार्य शुरू हो जाएगा.

पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने बताया है कि यात्रियों की लगातार बढ़ती भीड़ और उनकी मांग को देखते हुए ही, पूर्वोत्तर रेलवे के प्रस्ताव को रेलवे बोर्ड के साथ रेल मंत्रालय दोनों ने हरी झंडी दिया था, जिसके बाद इस पर मिट्टी भराई और कुछ कार्य प्रारंभ हो चुका है. लेकिन, अब दोहरीकरण के लिए बजट का आवंटन हो जाने से इस कार्य के पूर्ण होगा.

रेलवे ने इसे पांच चरणों में पूरा करने का प्लान भी तैयार कर लिया है. वहीं बिहार से आने वाले वह यात्री जो कैंट स्टेशन पर आकर उतरते हैं और आगे की यात्रा के लिए गोरखपुर जंक्शन जाकर ट्रेन पकड़ते हैं, वह अपनी समस्याओं का जिक्र भी करते हैं.

पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने बताया कि वाल्मीकि नगर रूट के दोहरीकरण में जो पांच चरण का कार्य शुरू होगा, उसमें पहले चरण में करीब 16 किलोमीटर से अधिक की दूरी कैंट से पिपराइच के बीच में निर्मित की जाएगी. दूसरे चरण में पिपराइच से कप्तानगंज करीब 18 किलोमीटर, तीसरे चरण में कप्तानगंज-सिसवा बाजार करीब 26 किलोमीटर और चौथे चरण में सिसवा बाजार से पनियहवा तक करीब 21 किलोमीटर और पांचवें चरण में पनियहवा से बाल्मीकि नगर 13 किलोमीटर का निर्माण कार्य पूरा होगा.

मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि कैंट स्टेशन से कप्तानगंज के मध्य मिट्टी संबंधित कार्य किया जा रहा है. शेष कार्य हेतु निविदा फाइनल की जा रही है. जिसके बाद निर्माण प्रक्रिया और दोहरीकरण के कार्य में तेजी लाई जाएगी. इसके बन जाने से गाड़ियों की गति बढ़ेगी. समय पालन पर चालान क्षमता में वृद्धि होगी. प्रतिदिन गोरखपुर रेलवे स्टेशन से करीब 90000 से अधिक यात्रियों का आवागमन होता है.

आने वाले 50 वर्षों में यह संख्या करीब 168000 प्रतिदिन की होगी. ऐसा पूर्वोत्तर रेलवे ने आंकलन किया है और उसके अनुकूल भविष्य का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है. 11000 से अधिक यात्री एसी बोगी में प्रतिदिन यात्रा करते हैं. दोहरीकरण हो जाने से ट्रेनों के विलंब होने की जो स्थिति आधे घंटे से लेकर डेढ़ घंटे तक हो जाया करती है वह थम जाएगी.

ये भी पढ़ेंः मेडिकल एजुकेशन का हब बन रहा गोरखपुर, विश्वविद्यालयों में इस वर्ष बढ़ीं एमबीबीएस की 300 सीटें

गोरखपुर: उत्तर भारत से होते हुए पूर्वोत्तर को जाने वाली ट्रेनों की गति बढ़ाने और पूर्वोत्तर के राज्यों तक समय से पहुंचने के लिए गोरखपुर से वाल्मीकि नगर रेलखंड के दोहरीकरण का कार्य अब तेजी के साथ पूरा हो जाएगा. रेल मंत्रालय ने इस कार्य को पूरा करने के लिये 1121 करोड़ का बजट आवंटित कर दिया है.

पूर्व में इस कार्य के लिए मिट्टी भराई और फेनसिंग का कार्य प्रारंभ हो चुका है, लेकिन अब रेल पटरी बिछाने के लिये धन का आवंटन हो जाने से इस कार्य के जल्द पूरा होने की उम्मीद है. दोहरीकरण का कार्य पांच चरणों में पूरा किया जाएगा. इसके पूरा होने से करीब 96 किलोमीटर का रेल मार्ग दुरुस्त हो जाएगा.

गोरखपुर कैंट (छावनी स्टेशन) से वाल्मीकि नगर रेलखंड देश के उत्तरी भाग को पूर्वोत्तर से जोड़ता है. दोहरीकरण पूरा होने से गाड़ियों की संख्या बढ़ेगी. समय का पालन और परिचालन क्षमता में वृद्धि होगी. यही नहीं पूर्वोत्तर भाग क्षेत्र के लिए कम समय में सामानों की ढुलाई भी आसान हो सकेगी. उत्तर प्रदेश और बिहार से देश के अन्य भागों में आवागमन आसान हो सकेगा.

गोरखपुर कैंट से वाल्मीकि नगर रेलखंड देश के उत्तरी भाग को पूर्वोत्तर से जोड़ता है. दोहरीकरण पूरा होने से गाड़ियों की संख्या बढ़ेगी समय का पालन और परिचालन क्षमता में वृद्धि होगी पूर्वोत्तर की पूर्वोत्तर भाग के क्षेत्र के लिए कम समय में सामानों की धुलाई भी आसान हो सकेगी. उत्तर प्रदेश और बिहार से देश के अन्य भागों में आवागमन आसान हो सकेगा.

गोरखपुर कैंट स्टेशन जहां से वाल्मीकि नगर तक दोहरीकरण का कार्य होगा. इस स्टेशन से प्रतिदिन करीब 150 से 160 ट्रेनों का आवागमन होता है, जिसमें यात्री और मालगाड़ी दोनों ट्रेनें शामिल हैं. बिहार के नरकटियागंज और वाल्मीकि नगर रूट पर जाने के लिए गोरखपुर कैंट स्टेशन से ही छठ ट्रेन भी ओरिजिनेट होने लगी हैं. इस स्टेशन पर पूर्वोत्तर से आने वाली ट्रेनों के ठहराव का रेलवे का जो प्लान है, उसको देखते हुए स्टेशन को सेटेलाइट स्टेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है. लेकिन छावनी से वाल्मीकि नगर 96 किलोमीटर का रेलखंड जो दोहरीकरण किया जाएगा. उसमें इस दौरान कुल मार्ग पर 9 क्रॉसिंग स्टेशन, तीन हॉल्ट स्टेशन, 10 बड़े और 43 छोटे और एक महत्वपूर्ण पुल को भी बनाया जाएगा. बहुत जल्द इस पर कार्य शुरू हो जाएगा.

पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने बताया है कि यात्रियों की लगातार बढ़ती भीड़ और उनकी मांग को देखते हुए ही, पूर्वोत्तर रेलवे के प्रस्ताव को रेलवे बोर्ड के साथ रेल मंत्रालय दोनों ने हरी झंडी दिया था, जिसके बाद इस पर मिट्टी भराई और कुछ कार्य प्रारंभ हो चुका है. लेकिन, अब दोहरीकरण के लिए बजट का आवंटन हो जाने से इस कार्य के पूर्ण होगा.

रेलवे ने इसे पांच चरणों में पूरा करने का प्लान भी तैयार कर लिया है. वहीं बिहार से आने वाले वह यात्री जो कैंट स्टेशन पर आकर उतरते हैं और आगे की यात्रा के लिए गोरखपुर जंक्शन जाकर ट्रेन पकड़ते हैं, वह अपनी समस्याओं का जिक्र भी करते हैं.

पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने बताया कि वाल्मीकि नगर रूट के दोहरीकरण में जो पांच चरण का कार्य शुरू होगा, उसमें पहले चरण में करीब 16 किलोमीटर से अधिक की दूरी कैंट से पिपराइच के बीच में निर्मित की जाएगी. दूसरे चरण में पिपराइच से कप्तानगंज करीब 18 किलोमीटर, तीसरे चरण में कप्तानगंज-सिसवा बाजार करीब 26 किलोमीटर और चौथे चरण में सिसवा बाजार से पनियहवा तक करीब 21 किलोमीटर और पांचवें चरण में पनियहवा से बाल्मीकि नगर 13 किलोमीटर का निर्माण कार्य पूरा होगा.

मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि कैंट स्टेशन से कप्तानगंज के मध्य मिट्टी संबंधित कार्य किया जा रहा है. शेष कार्य हेतु निविदा फाइनल की जा रही है. जिसके बाद निर्माण प्रक्रिया और दोहरीकरण के कार्य में तेजी लाई जाएगी. इसके बन जाने से गाड़ियों की गति बढ़ेगी. समय पालन पर चालान क्षमता में वृद्धि होगी. प्रतिदिन गोरखपुर रेलवे स्टेशन से करीब 90000 से अधिक यात्रियों का आवागमन होता है.

आने वाले 50 वर्षों में यह संख्या करीब 168000 प्रतिदिन की होगी. ऐसा पूर्वोत्तर रेलवे ने आंकलन किया है और उसके अनुकूल भविष्य का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है. 11000 से अधिक यात्री एसी बोगी में प्रतिदिन यात्रा करते हैं. दोहरीकरण हो जाने से ट्रेनों के विलंब होने की जो स्थिति आधे घंटे से लेकर डेढ़ घंटे तक हो जाया करती है वह थम जाएगी.

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