गढ़वा: जिले में मुख्यमंत्री पशुधन योजना में भारी अनियमितता बरती जा रही है. योजना के तहत पशुपालकों के बीच बांटने वाली उच्च नस्ल के पशुओं का वितरण न कर निम्न कोटि वाली नस्ल के पशुओं का वितरण हो रहा है. योजना में वेंडर और अधिकारियों का आरोप लग रहा है.
वेडरों ने खोली पोल
झारखंड सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना मुख्यमंत्री पशुधन योजना में कैसे गोलमाल हो रहा है इस गणित को समझिए. दरअसल, 2022-23 में आई राशि से मुख्यमंत्री पशुधन योजना में पशुपालकों को वेंडर के माध्यम से बकरी, मुर्गी, सुकर, गाय के यूनिट का वितरण किया गया. पशुपालकों को योजना का लाभ जरूर मिला, लेकिन जैसे ही वर्ष बदला उसी यूनिट को दिखाकर योजना में राशि की हेराफेरी की तैयारी शुरू हो गई.
वित्तीय वर्ष 2023-24 की योजना में कुल सात करोड़ रुपए की राशि विभाग को आए थे. लेकिन सरकार ने ढाई करोड़ की राशि वापस ले ली, बाकि बचे साढ़े चार करोड़ रुपए निकालने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं. अधिकारी और वेंडर के डर से लाभुक कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. अधिकारी अपने चहेते वेंडर के माध्यम से पशुओं की सप्लाई कर रहे हैं.
इसका भेद तब खुला जब दूसरे वेंडर जिसे कार्य आवंटित नहीं हुआ तो उसने विभाग की सारी पोल खोल कर रख दी. इसके लिए डीसी से लेकर मुख्यमंत्री तक को शिकायत की गई है, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है. योजना में जितने वजन की बकरी देनी चाहिए उतने वजन की बकरी न देकर कम वजन की बकरी दी जा रही है. विभाग द्वारा एक ही यूनिट की बकरी को दिखाकर दूसरे बकरी यूनिट की राशि निकाली जा रही है.
लाभुक अपने आप को कर रहे हैं ठगा महसूस
जिले के मझिआंव प्रखंड के पशुपालक रवि भूषण दुबे ने कहा कि उन्हें विभाग द्वारा उच्च नस्ल की गाय मिलनी थी, जो प्रतिदिन 7 से 8 लीटर दूध देती है. लेकिन उन्हें ऐसी नस्ल की गाय नहीं दी गई. उन्होंने कहा कि मेरे साथ ठगी की गई है. पशुपालक ने कहा कि उन्हें निम्न नस्ल की गाय दी गई जो 7 लीटर की जगह सात सौ ग्राम दूध देती है. जिससे वह खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.
आरोपों को अधिकारी ने किया खारिज
इस संबंध में जिला पशुपालन पदाधिकारी ने ऐसी किसी भी योजना में अनियमितता होने से इनकार किया है. अधिकारी ने कहा कि योजना के तहत सभी को लाभ दे रहे हैं. हालांकि वितरण लिस्ट मांगने पर अधिकारी थोड़ा असहज होकर मिल जाने की बात कही है. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर विभाग सही काम कर रहा है तो फिर आंकड़ा देने से परहेज क्यों कर रहा है.
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