खूंटीः एनजीटी की रोक के बावजूद जिले में धड़ल्ले से अवैध बालू का खनन जारी है. दो सप्ताह पूर्व खनन विभाग ने तथाकथित जब्त की गई बालू की नीलामी कर एक करोड़, 58 लाख, 71 हजार का राजस्व जुटाया था. नीलामी के बाद छह एजेंसियों को खनन विभाग ने चालान परमिट दिया था. मामले में स्थानीय लोगों का आरोप है कि एजेंसियों को चालान मिलते ही चालान की आड़ में फिर से बालू का अवैध खनन और परिवहन शुरू हो गया है.
स्थानीय लोगों ने बालू की नीलामी पर उठाए सवाल
जिले के कर्रा प्रखंड क्षेत्र के जलंगा और बकसपुर इलाके में ग्रामीणों के विरोध के बाद बालू का अवैध कारोबार बंद हो गया था. लेकिन हाल के दिनों में उन क्षेत्रों के बकसपुर, जलंगा, लापा, कोटेंगसेरा और कौआ खाप के कुछ बालू घाटों से जब्त बालू का खनन विभाग की ओर से नीलामी कराई गई, जबकि मामले में स्थानीय लोगों का कहना है कि उन स्थानों पर बालू था ही नहीं. लोगों का आरोप है कि नीलामी के बाद से जिन एजेंसियों ने जब्त यार्ड लिया है, अब उन एजेंसियों से जुड़े लोग ही नदियों से बालू का अवैध उठाव कर बालू डंप करने में जुटे हुए हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि कर्रा और तोरपा प्रखंड क्षेत्र के कारो और छाता नदी से बालू का उठाव कर खनन माफिया देर रात तोरपा वाया खूंटी मुख्य मार्ग से बालू की ढुलाई कर रहे हैं.
खूंटी एसडीओ ने जांच कर कार्रवाई करने की कही बात
वहीं जिले के कर्रा और तोरपा प्रखंड क्षेत्र के नदियों से अवैध रूप से बालू उठाव और तथाकथित जब्त बालू की नीलामी मामले पर कोई भी अधिकारी खुलकर कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं. हालांकि मामले में एसडीओ अनिकेत सचान ने जांच कर कार्रवाई करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि खनन विभाग द्वारा दी गई रिपोर्ट के अनुसार जब्त बालू की नीलामी की प्रक्रिया दो सप्ताह पहले पूर्ण कराई गई थी. उन्होंने कहा कि अगर क्षेत्र में बालू नहीं होने के बाद भी अगर नीलामी हुई है तो इसकी जांच करा कर जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाएगी.
चालान की आड़ में अवैध बालू का खनन और परिवहन जारी
बता दें कि जिले बालू उठाव पर एनजीटी की रोक लगते ही खनन विभाग जब्त बालू की नीलामी कर राजस्व जुटाने में लग जाता है. गत वर्ष भी लाखों सीएफटी जब्त बालू की नीलामी कराकर करोड़ों का राजस्व जुटाया गया था. वहीं बालू माफियाओं ने सरकारी दर से कई गुना ऊंची बोली लगाकर बालू खरीद लिया था. उसके बाद चालान की आड़ में अवैध बालू का खनन और परिवहन का खेल शुरू किया गया था.
जीएमडीसी के अनुसार प्रति सीएफटी बालू की दर साढ़े सात रुपये है. लेकिन चालान लेने की होड़ में बालू माफिया 45 से 50 रुपये प्रति सीएफटी की दर से बोली लगाते हैं और बालू ने नाम पर चालान खरीदकर उसी चालान की आड़ में अवैध रूप से बालू खनन और परिवहन करते हैं.
खनन विभाग से इन्होंने खरीदा जब्त बालू
खनन विभाग के अनुसार कोटेंगसेरा से एक लाख, एक हजार, 94 सीएफटी बालू जब्त किया गया था. जिसे अवधेश गोप ने 42 लाख 70 हजार रुपये में डंप बालू खरीदा था. वहीं जलंगा स्तिथ कौआ खाप से 70000 सीएफटी जब्त बालू को 30 लाख 10 हजार की बोली लगाकर रांची के धुर्वा निवासी श्रवण सिंह ने खरीदा था. वहीं लापा से 70 हजार सीएफटी जब्त बालू को गुमला के बसिया निवासी पुरुषोत्तम साहू ने 41 लाख की बोली लगाकर खरीदा था.
वहीं बकसपुर से 30 हजार सीएफटी जब्त बालू को संध्या देवी ने 20 लाख 70 हजार की बोली लगाकर खरीदा था. वहीं लापा के मोरहाटोली से 30 हजार सीएफटी जब्त बालू को तोरपा निवासी संध्या देवी (श्रवण साहू) ने 21 लाख 11 हजार की बोली लगाकर खरीदा और कुलडा से 5 हजार सीएफटी बालू को मुरहू के अनुज कुमार ने 3 लाख 10 हजार रुपए की बोली लगाकर अपने नाम किया था. कुल मिलाकर खनन विभाग को एक करोड़, 58 लाख, 71 हजार का राजस्व प्राप्त हुआ.
स्थानीय लोगों का आरोप-जब ग्राउंड पर बालू ही नहीं, तो कैसे हो गई नीलामी
खनन विभाग का दावा है कि तोरपा प्रखंड क्षेत्र के कोटेंगसेरा से एक लाख एक हजार 94 सीएफटी बालू जब्त किया था. वहीं कर्रा प्रखंड के जलंगा स्तिथ कौआ खाप से 70000 सीएफटी बालू जब्त किया था. लापा से 70000 सीएफटी और लापा के मोरहाटोली से 30 हजार सीएफटी बालू, जबकि बकसपुर से 30 हजार सीएफटी बालू और तोरपा के कुलडा से 5 हजार सीएफटी बालू जब्त किया था. लेकिन स्थानीय लोगों का आरोप है कि ग्राउंड पर कहीं बालू था ही नहीं. साथ ही यह भी आरोप है कि जिन स्थलों पर खनन विभाग ने पूर्व में बालू जब्त कर नीलामी करा कर डेढ़ करोड़ का राजस्व जुटाया था, वहां एक भी बालू नहीं थे.
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