पंचकूला: हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा 2025-26 के पाठ्यक्रम में बड़े बदलाव की तैयारी की जा रही है. नए पाठ्यक्रम में शामिल प्रश्न बच्चों की क्षमता मापन पर आधारित होंगे. जबकि ज्ञान आधारित (नॉलेज बेस्ड) प्रश्नों की संख्या कम की जाएगी. इसके लिए प्रदेश से विशेषज्ञ पीजीटी शिक्षकों का एक्सपर्ट पैनल गठित किया जाएगा.
पाठ्यक्रम में गुणात्मक सुधार
पीजीटी के चयनित विशेषज्ञों की कार्यशाला आयोजित की जाएगी. उसके बाद पैनल के अनुसार पाठ्यक्रम में बदलाव करते हुए गुणात्मक सुधार किए जाएंगे. हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा विशेषज्ञ पैनल गठित करने के लिए राज्य के पीजीटी शिक्षकों से गूगल फॉर्म के माध्यम से आवेदन मांगे गये हैं. इसके लिए सरकारी और प्राइवेट दोनों स्कूलों के पीजीटी शिक्षक आवेदन कर सकते हैं. इसके बाद शिक्षकों का चयन किया जाएगा.
पैनल में बेहतर पीजीटी होंगे शामिल
हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड नई शिक्षा नीति को पूर्ण तरीके से लागू करने पर काम कर रहा है. इस कड़ी में इससे पहले विभिन्न बोर्ड और विश्वविद्यालय के साथ एमओयू किया गया था. जबकि अब विशेषज्ञ पीजीटी शिक्षकों का पैनल बनाने की योजना है.
क्षमता मापन के सवालों की ट्रेनिंग
आवेदनों के आधार पर बेहतर पीजीटी का चयन कर पैनल तैयार किया जाएगा. पैनल में शामिल पीजीटी को मास्टर ट्रेनर के रूप में तैयार किया जाएगा, जिन्हें क्षमता मापन के सवालों पर आधारित प्रश्न पत्र तैयार करने की ट्रेनिंग दी जाएगी.
चेयरमैन ने दी जानकारी
हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डॉ. वीपी यादव ने बताया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत क्षमता मापन के सवालों की संख्या बढ़ाई जाएगी. जबकि नॉलेज बेस प्रश्नों की संख्या कम रहेगी. क्षमता मापन आधारित सवालों के प्रश्न पत्र तैयार करने के लिए एक्सपर्ट पैनल बनाया जाएगा. साथ ही चयनित एक्सपर्ट को मास्टर ट्रेनर के तौर पर तैयार किया जाएगा.
छात्रों के अनुकूल बनाई जा रही शिक्षा नीति
नई शिक्षा नीति के तहत हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड नीतियों, पाठ्यक्रम आदि में बदलाव कर रहा है. पिछले सत्र में दसवीं कक्षा में प्राप्त अंक और इंटरनल असेसमेंट के अंक जोड़कर कुल अंक की तालिका बनाने की योजना लागू की गई थी. इससे बोर्ड का दसवीं कक्षा का परिणाम 95 प्रतिशत से अधिक रहा था. इसके अलावा बोर्ड ने साल में दो बार दसवीं की सभी विषयों की परीक्षाएं कराने का सिस्टम लागू किया. पिछले सत्र में नौवीं और 11वीं कक्षा के पाठ्यक्रम में भी बदलाव किया गया था. वैकल्पिक प्रश्नों की संख्या बढ़ाई गई थी.