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प्रगति मैदान टनल में 'खामियों' पर PWD ने कंस्ट्रक्शन कंपनी को भेजा नोटिस, मांगा 500 करोड़ रुपए - लोक निर्माण विभाग

PWD issues notice to L&T: प्रगति मैदान सुरंग में 'खामियों' पर पीडब्ल्यूडी ने 3 फरवरी को L&T को नोटिस जारी किया था, जिसमें कंपनी से 15 दिनों के भीतर जवाब देने को कहा गया है. पीडब्ल्यूडी ने कंपनी को 500 करोड़ रुपये का नोटिस थमाया है.

प्रगति मैदान टनल
प्रगति मैदान टनल
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By PTI

Published : Feb 6, 2024, 7:13 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने प्रगति मैदान सुरंग परियोजना में कथित गंभीर खामियों को लेकर लार्सन एंड टूब्रो को नोटिस जारी किया है. साथ ही कंपनी से 500 करोड़ रुपये की टोकन राशि की मांग की. इसके अलावा अनुबंध के अनुसार लार्सन एंड टूब्रो (L&T) को टनल की तुरंत मरम्मत और सुधार कार्य शुरू करने के लिए कहा.

हालांकि, अब लार्सन एंड टूब्रो (L&T) ने PWD के खिलाफ 500 करोड़ रुपये का काउंटर क्लेम किया है. प्रगति मैदान टनल जून 2022 में शुरू होने के बाद से ही लीकेज और पानी भरने की समस्या से जूझ रहा है. कई बार टनल को बंद कर पानी निकालने और मरम्मत का काम किया जा चुका है. बावजूद उसके यह समस्या अभी भी बनी हुई है. यह टनल मथुरा रोड और इंडिया गेट सी-हेक्सागोन को रिंग रोड से जोड़ती है.

नोटिस 3 फरवरी को जारी किया गया था, जिसमें कंपनी से 15 दिनों के भीतर जवाब देने को कहा गया था. प्रधानमंत्री मोदी ने 19 जून, 2022 को प्रगति मैदान इंटीग्रेटेड ट्रांजिट कॉरिडोर परियोजना के हिस्से के रूप में 1.3 किलोमीटर लंबी सुरंग और पांच अंडरपास का उद्घाटन किया था. इसका उद्देश्य शहर के पूर्वी हिस्सों और उपग्रह शहरों के साथ मध्य दिल्ली के बीच कनेक्टिविटी को आसान बनाना है.

पिछले साल दिल्ली में बाढ़ के दौरान जलभराव के कारण सुरंग को कई बार बंद करना पड़ा था. नोटिस में आरोप लगाया गया कि समय बीतने के साथ परियोजना में गंभीर कमजोरियाँ सामने आईं जो न केवल तकनीकी प्रकृति की थीं बल्कि डिजाइन संबंधी खामियाँ भी थीं. सबसे गंभीर और चिंताजनक मुद्दा सुरंग और अंडरपास में विभिन्न स्थानों पर पानी का जमा होना था. "इस मुद्दे ने, विशेष रूप से मानसून के दौरान, पूरी परियोजना को आम जनता के लिए असंचालित कर दिया और अंततः दूरगामी परिणाम देने वाला साबित हुआ.

नोटिस में लोक निर्माण विभाग ने यह भी कहा है कि नई दिल्ली क्षेत्र की मुख्य सड़कों पर अधिक रुकावटें और भीड़भाड़ ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के मूल उद्देश्य को विफल कर दिया. नोटिस में इस तथ्य को भी रेखांकित किया गया कि परियोजना का संपूर्ण डिजाइन और कार्यान्वयन L&T के नियंत्रण में था. किसी भी सरकारी एजेंसी की इसमें कोई भूमिका नहीं थी.

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने प्रगति मैदान सुरंग परियोजना में कथित गंभीर खामियों को लेकर लार्सन एंड टूब्रो को नोटिस जारी किया है. साथ ही कंपनी से 500 करोड़ रुपये की टोकन राशि की मांग की. इसके अलावा अनुबंध के अनुसार लार्सन एंड टूब्रो (L&T) को टनल की तुरंत मरम्मत और सुधार कार्य शुरू करने के लिए कहा.

हालांकि, अब लार्सन एंड टूब्रो (L&T) ने PWD के खिलाफ 500 करोड़ रुपये का काउंटर क्लेम किया है. प्रगति मैदान टनल जून 2022 में शुरू होने के बाद से ही लीकेज और पानी भरने की समस्या से जूझ रहा है. कई बार टनल को बंद कर पानी निकालने और मरम्मत का काम किया जा चुका है. बावजूद उसके यह समस्या अभी भी बनी हुई है. यह टनल मथुरा रोड और इंडिया गेट सी-हेक्सागोन को रिंग रोड से जोड़ती है.

नोटिस 3 फरवरी को जारी किया गया था, जिसमें कंपनी से 15 दिनों के भीतर जवाब देने को कहा गया था. प्रधानमंत्री मोदी ने 19 जून, 2022 को प्रगति मैदान इंटीग्रेटेड ट्रांजिट कॉरिडोर परियोजना के हिस्से के रूप में 1.3 किलोमीटर लंबी सुरंग और पांच अंडरपास का उद्घाटन किया था. इसका उद्देश्य शहर के पूर्वी हिस्सों और उपग्रह शहरों के साथ मध्य दिल्ली के बीच कनेक्टिविटी को आसान बनाना है.

पिछले साल दिल्ली में बाढ़ के दौरान जलभराव के कारण सुरंग को कई बार बंद करना पड़ा था. नोटिस में आरोप लगाया गया कि समय बीतने के साथ परियोजना में गंभीर कमजोरियाँ सामने आईं जो न केवल तकनीकी प्रकृति की थीं बल्कि डिजाइन संबंधी खामियाँ भी थीं. सबसे गंभीर और चिंताजनक मुद्दा सुरंग और अंडरपास में विभिन्न स्थानों पर पानी का जमा होना था. "इस मुद्दे ने, विशेष रूप से मानसून के दौरान, पूरी परियोजना को आम जनता के लिए असंचालित कर दिया और अंततः दूरगामी परिणाम देने वाला साबित हुआ.

नोटिस में लोक निर्माण विभाग ने यह भी कहा है कि नई दिल्ली क्षेत्र की मुख्य सड़कों पर अधिक रुकावटें और भीड़भाड़ ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के मूल उद्देश्य को विफल कर दिया. नोटिस में इस तथ्य को भी रेखांकित किया गया कि परियोजना का संपूर्ण डिजाइन और कार्यान्वयन L&T के नियंत्रण में था. किसी भी सरकारी एजेंसी की इसमें कोई भूमिका नहीं थी.

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