गोरखपुर: पूर्वांचल का पहला व्हीकल स्क्रैप सेंटर गोरखपुर के औद्योगिक क्षेत्र गीडा (Gorakhpur Industrial Development Authority) में बन रहा है. फरवरी माह में इसके लोकार्पण की तैयारी है. इसका निर्माण हो जाने से पुराने वाहनों के स्क्रैप पर नई गाड़ी की खरीद में टैक्स से लेकर रजिस्ट्रेशन तक में लोगों को रियायत मिलेगी. यह सेंटर दो एकड़ भूमि पर बनाया जा रहा है, जिसके माध्यम से 15 साल पुराने वाहनों को स्क्रैप किया जाएगा. ऐसे वाहन मालिकों को व्हीकल स्क्रैप सेंटर पर ही स्क्रैप के रूप में अपने वाहन की बिक्री करनी होगी. इसके बाद उन्हें जो प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा, वह नया वाहन खरीदते समय उन्हें लाभ देगा. केंद्र और प्रदेश सरकार के परिवहन मंत्रालय की अनुमति और जरूरी प्रक्रियाओं को पूरी करने के बाद यह केंद्र निजी हाथों में गोरखपुर में संचालित होगा. वैसे तो 22 रुपये प्रति किलो की दर बिक्री के लिए निर्धारित की गई है, लेकिन अगर लोहे की मौजूदा दर बढ़ी हुई होगी तो उसका लाभ भी मिलेगा.
दो एकड़ में तैयार हो रहा सेंटर: संभागीय परिवहन अधिकारी प्रवर्तन संजय कुमार झा ने बताया है कि औद्योगिक क्षेत्र के जमुआड़ में दो एकड़ भूमि पर स्क्रैप केंद्र को खोलने के लिए मशीन लगाने का कार्य अंतिम चरण में है. बहुत जल्द व्हीकल स्क्रैप सेंटर काम करने लगेगा. इससे वाहन स्वामियों को अतिरिक्त सुविधाएं मिलेंगी. पुराने वाहनों के स्क्रैप पर नए की खरीद में टैक्स और रजिस्ट्रेशन में छूट मिलेगी. कहा कि पूर्वांचल का यह पहला व्हीकल स्क्रैप सेंटर होगा. हालांकि, इसके अलावा गोरखपुर में ही एक और सेंटर बनाया जाएगा, जिसकी प्रक्रिया भी अंतिम दौर में है. उसके पहले जल्द से जल्द इसका लोकार्पण हो जाएगा. व्हीकल स्क्रेपिंग पॉलिसी के लागू होने के बाद अब अधिकतम 15 वर्ष पूरे कर चुके वाहन स्क्रैप की श्रेणी में आ जाएंगे. मौजूदा समय में कार, जीप और बाइक जैसे पुराने वाहनों के पंजीकरण का नवीनीकरण तो हो रहा है, लेकिन आने वाले दिनों में यह भी बंद हो जाएगा. पूरी संभावना है कि फरवरी में यह सेंटर काम करने लगेगा.
175652 वाहन 15 साल पुराने: बताया कि गोरखपुर में करीब 8 लाख 2505 निजी वाहनों में 175652 वाहनों की उम्र पूरी हो चुकी है. कमर्शियल कुल वाहनों की संख्या 56522 है, जिसमें 28869 अपनी आयु पूरी कर चुके हैं. इन सभी वाहनों पर नई व्हीकल स्क्रेपिंग पॉलिसी लागू होगी. जिस पर नियमों का पालन वाहन मालिकों को करना ही होगा. परिवहन विभाग 31 मार्च 2023 तक उम्र पूरी कर चुके जिले के 255 सरकारी वाहनों को भी स्क्रैप की सूची में डाल दिया है. यही वजह है कि 15 साल की उम्र पूरी कर चुके कार, टैक्सी, मोटरसाइकिल, स्कूटर आदि अब कबाड़ की श्रेणी में घोषित हो जाएंगे और स्क्रैप केंद्र के श्रेडर मैं पढ़ते ही यह कबाड़ बन जाएंगे.
वाहन मालिकों को मिल सकेगा पुराना नंबर: स्क्रैप होते ही परिवहन विभाग के अभिलेखों में दर्ज वाहनों का पंजीयन भी समाप्त हो जाएगा. हालांकि, कोई अपने पुराने वाहन का नंबर नए वाहन पर लेना चाहेगा तो उसे प्राप्त हो जाएगा. अगर वीआईपी नंबर है तो भी मिलेगा. इस स्क्रैप सेंटर के संचालक और मालिक ओंकार सिंह श्रीनेत ने ईटीवी भारत को बताया कि जब कोई भी वाहन स्वामी अपनी गाड़ी को स्क्रैप करने जाएगा तो इसका उन्हें प्रमाण पत्र भी मिलेगा. स्क्रैप करने के बाद वाहन स्वामी को प्रमाण पत्र मिलेगा, जिसे प्रस्तुत करने पर किसी भी डीलर के यहां नए वाहनों की खरीद पर छूट प्राप्त कर सकेगा. इससे पुरानी गाड़ी को बेचना और भी लाभदाई हो सकेगा. इसका लोकार्पण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों होने की उम्मीद है क्योंकि उनके ही विचार पर पूर्वांचल का यह पहला केंद्र स्थापित हो रहा है.
वाहन मालिकों को इस तरह मिलेगा लाभ: उन्होंने बताया कि मानक के अनुसार दो मुख्य श्रेडर मशीन इसमें लगाई जा रही हैं. इसके साथ ही कुछ सहयोगी छोटी मशीन भी लगाई जाएगी. उत्तर प्रदेश परिवहन निगम से सभी जरूरी प्रक्रियाएं पूरी कर ली गई हैं. केंद्रीय परिवहन मंत्रालय से दो बिंदुओं पर अनापत्ति मिलने के साथ, लॉगिन, पासवर्ड जैसे ही मिल जाएगा, यह केंद्र अपना कार्य करना शुरू कर देगा. फिलहाल 22 रुपए प्रति किलो की दर से वाहन की खरीद का मूल्य निर्धारण किया गया है, लेकिन इसमें वर्तमान में चल रही दर के हिसाब से परिवर्तन भी संभव है, जिसका प्रमाण पत्र वाहन स्वामी को मिलेगा. इससे वाहन स्वामी को सीधा लाभ मिलेगा. हालांकि अगर वर्तमान दर कम है तो भी वाहन स्वामी को 22 रुपये प्रति किलो की दर से कम नहीं मिलेगा. शोरूम से नया वाहन खरीदने पर पांच प्रतिशत और रोड टैक्स पर 20 से 25% की छूट का प्रावधान है.
श्रेडर मशीन ऐसे करेगी काम: ओंकार सिंह के अनुसार श्रेडर मशीन में डालते ही गाड़ियां पलक झपकते टुकड़ों में विभक्त हो जाएंगी. इसके बाद टुकड़ों का बंडल बनाकर फिर उसे गलाकर लोहा बनाने के लिए चिन्हित स्थल पर या जिन कंपनियों से अनुबंध होगा, उनको भेजा जाएगा. वाहनों से उपयोगी उपकरणों के अलावा रबर और इलेक्ट्रिक सामान निकाल लिए जाएंगे. इस प्रक्रिया के दौरान पर्यावरण संरक्षण का भी पूरा ख्याल रखा जाएगा.