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हाईकोर्ट का अहम फैसला, अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने वाली पुत्रवधू को करनी होगी सास की देखरेख - PUNJAB HARYANA HIGH COURT

बुजुर्ग मां के पक्ष में हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. अब पुत्रवधू को 10 हजार रुपये प्रति माह देने होंगे.

Punjab Haryana High Court
Punjab Haryana High Court (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jan 7, 2025, 12:41 PM IST

Updated : Jan 7, 2025, 1:33 PM IST

पंचकूला: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सोनीपत फैमिली कोर्ट के उस फैसले को सही ठहराया है जिसमें कोर्ट ने बहू को अपने सास को भरण पोषण के लिए प्रतिमाह दस हजार रुपये देने का आदेश दिया था. बहू ने पति की मौत के बाद नौकरी मिलने पर अपनी सास की देखभाल करने से इनकार कर दिया था.

हाईकोर्ट ने दिए आदेश: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पति की मौत के बाद यदि पत्नी अनुकंपा आधार पर उसकी नौकरी संभालती है तो उसे सास (पति की मां) की देखरेख भी करनी होगी. जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने फैसले में कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत सास-ससुर के देखरेख की जिम्मेदारी पुत्रवधू पर नहीं डाली जा सकती. लेकिन न्याय के लिए अपवाद संभव है. इसके साथ ही कोर्ट ने महिला याची की याचिका खारिज करते हुए सास को प्रति माह 10 हजार रुपए देने के आदेश दिए हैं.

अनुकंपा पर रेल कोच फैक्ट्री में नौकरी मिली: पति की मौत के बाद पत्नी को रेल कोच फैक्ट्री में बतौर जूनियर क्लर्क नौकरी दी गई थी. लेकिन नौकरी मिलने के बाद महिला ने अपने बेटे के साथ पति का घर (ससुराल) छोड़ दिया. इस पर महिला की सास द्वारा सोनीपत की फैमिली कोर्ट में याचिका दायर कर पुत्रवधू से अपने भरण पोषण के लिए खर्च दिलाए जाने की मांग की गई. याची ने कहा कि उनके एक बेटी की शादी हो चुकी है. एक बेटा रिक्शा चलाता है, जिसकी कमाई बीमार बेटे पर खर्च हो रही है. ऐसे में उनके बेटे की मौत पर उसकी जगह नौकरी कर रही पुत्रवधू से खर्च दिलाया जाए.

80 हजार वेतन, 10 हजार खर्च देने में समर्थ: कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125, जो अब बीएनएस की धारा 144 के तहत खर्च का प्रावधान निराश्रय या आर्थिक रूप से कमजोर को मदद के लिए किया गया है. मौजूदा मामले में देखना होगा कि महिला को पति की मौत के बाद उसकी जगह पर नौकरी दी गई है. ऐसे में पति की मां की देखरेख की जिम्मेदारी से वह पीछे नहीं हट सकती. महिला का वेतनमान 80 हजार रुपए प्रति माह है. नतीजतन सास को प्रति माह मेंटेनेंस के 10 हजार रुपये का भुगतान करने संबंधी फैमिली कोर्ट का फैसला सही है.

ये भी पढ़ें: भिवानी छात्रा सुसाइड केस: कांग्रेस विधायक केस में तलब, कांग्रेस-बीजेपी नेताओं में जुबानी जंग तेज

ये भी पढ़ें: हिसार का बहादुर बेटा, 10 साल के बच्चे ने दादी को बदमाशों के चंगुल से छुड़ाया, लिफ्ट देने के बहाने की थी लूटने की कोशिश

पंचकूला: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सोनीपत फैमिली कोर्ट के उस फैसले को सही ठहराया है जिसमें कोर्ट ने बहू को अपने सास को भरण पोषण के लिए प्रतिमाह दस हजार रुपये देने का आदेश दिया था. बहू ने पति की मौत के बाद नौकरी मिलने पर अपनी सास की देखभाल करने से इनकार कर दिया था.

हाईकोर्ट ने दिए आदेश: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पति की मौत के बाद यदि पत्नी अनुकंपा आधार पर उसकी नौकरी संभालती है तो उसे सास (पति की मां) की देखरेख भी करनी होगी. जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने फैसले में कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत सास-ससुर के देखरेख की जिम्मेदारी पुत्रवधू पर नहीं डाली जा सकती. लेकिन न्याय के लिए अपवाद संभव है. इसके साथ ही कोर्ट ने महिला याची की याचिका खारिज करते हुए सास को प्रति माह 10 हजार रुपए देने के आदेश दिए हैं.

अनुकंपा पर रेल कोच फैक्ट्री में नौकरी मिली: पति की मौत के बाद पत्नी को रेल कोच फैक्ट्री में बतौर जूनियर क्लर्क नौकरी दी गई थी. लेकिन नौकरी मिलने के बाद महिला ने अपने बेटे के साथ पति का घर (ससुराल) छोड़ दिया. इस पर महिला की सास द्वारा सोनीपत की फैमिली कोर्ट में याचिका दायर कर पुत्रवधू से अपने भरण पोषण के लिए खर्च दिलाए जाने की मांग की गई. याची ने कहा कि उनके एक बेटी की शादी हो चुकी है. एक बेटा रिक्शा चलाता है, जिसकी कमाई बीमार बेटे पर खर्च हो रही है. ऐसे में उनके बेटे की मौत पर उसकी जगह नौकरी कर रही पुत्रवधू से खर्च दिलाया जाए.

80 हजार वेतन, 10 हजार खर्च देने में समर्थ: कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125, जो अब बीएनएस की धारा 144 के तहत खर्च का प्रावधान निराश्रय या आर्थिक रूप से कमजोर को मदद के लिए किया गया है. मौजूदा मामले में देखना होगा कि महिला को पति की मौत के बाद उसकी जगह पर नौकरी दी गई है. ऐसे में पति की मां की देखरेख की जिम्मेदारी से वह पीछे नहीं हट सकती. महिला का वेतनमान 80 हजार रुपए प्रति माह है. नतीजतन सास को प्रति माह मेंटेनेंस के 10 हजार रुपये का भुगतान करने संबंधी फैमिली कोर्ट का फैसला सही है.

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Last Updated : Jan 7, 2025, 1:33 PM IST
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