कैथल: हरियाणा विधानसभा चुनाव सिर पर है. कैथल जिले की पुंडरी विधानसभा में भी प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे हैं. हालांकि पिछले 30 सालों से यहां किसी भी पार्टी की दाल नहीं गली और हर बार निर्दलीय उम्मीदवार ही बाजी मारता है. 1996 के बाद यहां पर आज तक ना ही कांग्रेस का प्रत्याशी जीत हासिल कर पाया है, और ना ही भारतीय जनता पार्टी का प्रत्याशी. करीब 60 प्रतिशत मतदाता रोड़ जाति के हैं. ऐसे में रोड़ जाति ही उम्मीदवार के भाग्य का फैसला करती है.
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना हैं कि पुंडरी विधानसभा सीट से जो भी नेता विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी करते हैं, वो किसी पार्टी का टिकट लेने से ज्यादा निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ना ज्यादा अच्छा समझते हैं, क्योंकि यहां की जनता निर्दलीय उम्मीदवार पर ही अपना विश्वास जताती है और उसे विधायक बनाती है. साथ ही, यहां दो जातियों के ही ज्यादा विधायक बनते आ रहे हैं, वो जाती है रोड़ और ब्राह्मण. दोनों जातियां ही किसी प्रत्याशी का भाग्य तय करती हैं.
पिछले 6 चुनावों से निर्दलीय ही सिरमौर : पुंडरी विधानसभा हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से सबसे अलग इतिहास रखती है. यहां की जनता एक अलग सोच के साथ चलती है, जिसके चलते वो किसी पार्टी को समर्थन करने के बजाय अपने खुद के उम्मीदवार को विधानसभा चुनाव में खड़े करवाती है. अधिकतर मामलों में देखा गया है कि विधायक बनने के बाद जिस पार्टी की सरकार बनती है, उस पार्टी को यहां के विधायक समर्थन दे देते हैं, ताकी हलके में विकास हो सके.
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1996 के बाद नहीं बना भाजपा-कांग्रेस का विधायक: बता दें कि 1996 के बाद यहां पर आज तक ना ही कांग्रेस का प्रत्याशी जीत हासिल कर पाया है, और ना ही भारतीय जनता पार्टी का प्रत्याशी. यहां विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे नेता पार्टी का टिकट लेने से भी परहेज करते हैं, क्योंकि अगर वो पार्टी का टिकट लेते हैं तो माना जाता है कि उनकी हार निश्चित है.
यहां ये निर्दलीय मार चुके बाजी : इस विधानसभा सीट की बात करें तो पिछले 6 विधानसभा चुनावों में यहां आजाद उम्मीदवार ही विधायक बने हैं. जो इस प्रकार है-
वर्ष | विजयी निर्दलीय प्रत्याशी |
1996 | नरेंद्र शर्मा |
2000 | तेजवीर सिंह |
2005 | दिनेश कौशिक |
2009 | सुल्तान सिंह |
2014 | दिनेश कौशिक |
2019 | रणधीर सिंह गोलन |
दो जातियों का सबसे ज्यादा वोट बैंक : पुंडरी विधानसभा सीट की बात करें तो यहां दो जातियों का सबसे ज्यादा प्रभाव है. यहां पर प्रमुख जाती रोड़ है. करीब 60 प्रतिशत मतदाता रोड़ जाति के हैं. ऐसे में रोड़ जाति ही उम्मीदवार के भाग्य का फैसला करती है. इसके बाद ब्राह्मण समाज का यहां पर 17 फीसदी वोट बैंक है. अन्य जाति ओबीसी और एससी आती हैं.
इस बार 18 प्रत्याशी मैदान में : इस बार विधानसभा चुनाव में 18 प्रत्याशी चुनावी रण में है. यहां पर रोड़ जाति का सबसे ज्यादा प्रभाव माना जाता है. ऐसे में इस बार रोड़ जाति से 6 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं
- रोड़ जाति के प्रत्याशी : भारतीय जनता पार्टी से सतपाल जांबा, कांग्रेस पार्टी से पूर्व विधायक सुल्तान जड़ौला, पूर्व विधायक रणधीर सिंह गोलन, आजाद प्रत्याशी सुनीता बतान, प्रमोद चूहडमाजरा और नरेश कुमार यहां से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
- जाट समुदाय से प्रत्याशी : हरपाल पहलवान और सज्जन सिंह दुल आजाद उम्मीदवार के तौर पर यहां से चुनाव लड़ रहे हैं.
- ब्राह्मण समाज के प्रत्याशी : दिनेश कौशिक, नरेंद्र शर्मा और नरेश शर्मा चुनावी मैदान में उतरे हैं.
- अन्य प्रत्याशी : सतवीर बाना जांगड़ा समाज से आते हैं. गुरविंदर सिंह पंजाबी समाज से आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं.
यहां कभी नहीं खिला कमल : यहां पर निर्दलीय उम्मीदवार ही विधायक बनते हैं, लेकिन फिर भी 1996 से पहले यहां पर अन्य पार्टियों से विधायक बन चुके हैं, लेकिन खास बात यह है कि यहां भारतीय जनता पार्टी का कोई प्रत्याशी विधानसभा तक नहीं पहुंचा, जबकी कांग्रेस पार्टी यहां पर चार बार विधायक दे चुकी हैं, तो वहीं, लोकदल पार्टी से भी यहां पर एक बार विधायक बन चुका है.
विधायक बनाने का पंचायत में होता है फैसला : पुंडरी विधानसभा में निर्दलीय उम्मीदवार को विधायक बनाने का चलन पिछले 6 दशक से हैं. इसका मुख्य कारण ये है कि यहां पर रोड़ और ब्राह्मण समाज का सबसे ज्यादा प्रभाव है. रोड़ समाज की विधानसभा चुनाव से पहले एक बैठक होती है, जिसमें फैसला लिया जाता है कि इस बार किस प्रत्याशी को अपना समर्थन दिया जाएगा. ब्राह्मण समाज के लोग भी ऐसा ही करते हैं. ज्यादातर विधायक इन दोनों जातियों से ही बनते हैं.
2019 में क्या रहा था जीत का आंकड़ा : 2019 विधानसभा चुनाव में रणधीर सिंह गोलन पुंडरी विधानसभा से विधायक बने थे, हालांकि वे भारतीय जनता पार्टी से टिकट मांग रहे थे लेकिन उनसे टिकट न मिलने के चलते उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन पत्र भरा. इसके बाद रोड़ समाज ने उनको अपना पूरा समर्थन दिया और उन्होंने 41008 वोट प्राप्त करके जीत हासिल की. वहीं दूसरे नंबर पर सतवीर बाना को 28,184 वोट मिले.
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इस बार क्या बन रहे हैं समीकरण : मौजूदा समय में पुंडरी विधानसभा पर समीकरण कुछ हद तक स्पष्ट हो गए हैं, लेकिन अभी तक रोड़ और ब्राह्मण समाज की पंचायतों ने फाइनल फैसला नहीं लिया है कि वे किसको समर्थन कर रहे हैं. रोड़ समुदाय से 6 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में अगर पंचायत नहीं होती तो रोड़ समाज का वोट आपस में बांट सकता है. ऐसा ही ब्राह्मण समाज के साथ भी है. ब्राह्मण समाज से भी तीन प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन अभी तक उनके समाज में भी कोई फैसला नहीं लिया गया है. मौजूदा विधायक रणधीर सिंह भी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन उनका यहां पर काफी विरोध देखने को मिल रहा है. वर्तमान में दो रोड़ जाति के प्रत्याशी कांग्रेस प्रत्याशी सुल्तान जड़ौला और सतपाल जांबा और 2019 में कांग्रेस से चुनाव लड़ चुके सतबीर बाना निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं, इन तीनों में ही टक्कर दिखाई दे रही है.