कुल्लू: सनातन धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है. श्रावण मास की एकादशी भी अपने आप में विशेष महत्व रखती है. इस एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा आराधना करने पर पुत्र प्राप्ति होती है. पुत्रादा एकादशी का व्रत रखने पर संतान के भाग्य और उन्नति के अवसर भी खुलते हैं.
इस साल 16 अगस्त शुक्रवार को पुत्रदा एकादशी मनाई जाएगी. इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा आराधना करते हैं. आचार्य आशीष कुमार ने बताया कि, 'श्रावण के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 15 अगस्त को सुबह 10.26 मिनट पर शुरू होगी और 16 अगस्त को सुबह 9.39 मिनट पर इसका समापन होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार पुत्रदा एकादशी व्रत 16 अगस्त को रखा जाएगा. इस दिन पूजा का मुहूर्त सुबह 5 बजकर 51 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 47 मिनट तक होगा. वही, व्रत का पारण 17 अगस्त सुबह 5 बजकर 51 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 5 मिनट तक रहेगा.'
पुत्रदा एकादसी की पूजन विधि
आचार्य आशीष कुमार ने बताया कि, 'हिंदू शास्त्रों के अनुसार एकादशी का व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ है और इस व्रत के करने से भक्त को ऐश्वर्य, संतान, स्वर्ग, मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस व्रत में जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णु की पूजा की जाती है. भगवान विष्णु की कृपा से महिलाओं की सूनी गोद भी भर जाती है. इसी कारण से सावन माह में आने वाली पुत्रदा एकादशी महत्वपूर्ण होती है. इस दिन भक्तों को व्रत से पूर्व दशमी के दिन सात्विक भोजन करने के साथ-साथ संयमित और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान का ध्यान करना चाहिए. उसके बाद गंगा जल,तुलसी,तिल,फूल और पंचामृत से भगवान नारायण की पूजा करें. संध्या काल में दीपदान के बाद फलाहार का सेवन करें. अगले दिन द्वादशी तिथि पर किसी जरुरतमंद व्यक्ति को भोजन करवाकर, दान-दक्षिणा देकर विदा करें और फिर इसके बाद व्रत का पारण करें.'
इन बातों का रखें ध्यान
मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने पर भक्तों को उनका आशीर्वाद मिलता है और मनुष्यों के पाप मिट जाते हैं. मनुष्यों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन चावल के साथ-साथ नमक और अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पुत्रदा एकादशी पर चावल का सेवन करने पर अगले जन्म मनुष्य योनि के बजाय रेंगने वाले जीव की योनि में मनुष्य जन्म लेता है. इसी के साथ इस दिन दूसरों की निंदा नहीं करनी चाहिए साथ ही क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए.
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