देहरादून: आज विधानसभा में पेश किए गये यूसीसी विधेयक में कहा गया है कि इस संहिता के शुरू होने के पहले या बाद में हुए किसी भी विवाह का कुछ आधारों पर न्यायालय के समक्ष याचिका प्रस्तुत किए जाने पर शून्यीकरण होगा. इन आधारों में प्रतिवादी की नपुसंकता या जानबूझकर प्रतिषेध के कारण विवाहोत्तर संबंध नहीं हुआ है या विवाह की धारा 4 के खंड 2 में विनिर्दिष्ट अपेक्षित आवश्यकताओं का उल्लंघन करता है. याचिकाकर्ता की सहमति बलपूर्वक, प्रपीड़न या धोखाधड़ी से प्राप्त की गई थी. इसके साथ ही पत्नी विवाह के समय पति के अलावा किसी अन्य पुरुष से गर्भवती थी या पति ने विवाह के समय पत्नी के अलावा किसी अन्य महिला को गर्भवती किया था. ये सभी कारण शून्य विवाह के लिए पर्याप्त होंगे.
संहिता में पत्नी को पति के बराबर अधिकार दिए गए हैं. इसके साथ ही उपधारा 1 में किसी बात के होते हुए भी शून्य विवाह की कोई याचिका खंड ख के विनिर्दिष्ट आधार पर ग्रहण नहीं की जाएगी, यदि याचिकाकर्ता द्वारा 21 वर्ष की आयु प्राप्त होने की तिथि से एक वर्ष की अवधि समाप्त होने के पश्चात कार्यवाही योजित की गई हो. यूसीसी के शून्य विवाह अध्याय 4 में ये भी उल्लेख किया गया है कि याचिका यथास्थिति, बल प्रयोग या प्रपीड़न के प्रवर्तनीय न हो जाने या कपट का पता चल जाने के एकाधिक वर्ष के पश्चात प्रस्तुत की गई हो. या याचिकाकर्ता यथास्थिति बल प्रयोग या प्रपीड़न के प्रवर्तनहीन हो जाने या कपट का पता चल जाने के बाद विवाह के दूसरे पक्षकार के साथ अपनी पूर्ण सम्मति से पति या पत्नी के रूप में रह रहा हो या रही हो तो न्यायालय में इसके समाधान के लिए कुछ बिंदु रखे गए हैं. इनमें क्या याचिकाकर्ता विवाह से पहले इन तथ्यों से अनभिज्ञ था. इसके साथ ही शून्य विवाह के लिए ऐसे प्रक्रिया अपनाई जाएगी जिससे पीड़ित पक्ष को न्याय मिल सके.
इन कारणों से विवाह शून्य हो जाएगा-
- प्रतिवादी की नपुसंकता या जानबूझकर विवाह के बाद संबंध न बनाना.
- याचिकाकर्ता की सहमति अगर धोखाधड़ी या बल से हासिल की गई हो.
- विवाह के समय अगर महिला किसी अन्य पुरुष से गर्भवती हो या पुरुष ने विवाह के समय पत्नी के अलावा किसी अन्य महिला को गर्भवती किया हो.
- पति या पत्नी मानसिक विकार से पीड़ित रहा हो.
- पति या पत्नी असाध्य यौन रोग से पीड़ित हो.
- पति या पत्नी ने अपने धर्म से किसी अन्य धर्म में परिवर्तन किया हो.
- भरण पोषण के आदेश का एक वर्ष तक पालन करने में असमर्थता.
क्या होता है शून्य विवाह? शून्य विवाह या void marriage एक ऐसा विवाह है, जो गैरकानूनी है. इसे कानून के हिसाब से अमान्य कह सकते हैं. ये एक ऐसा विवाह होता है, जो शुरुआत से ही अमान्य है. या ऐसा मान लीजिए जैसे कि ये विवाह अस्तित्व में नहीं आया हो.
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