पटना: भारतीय रेल ने अब ट्रेन के गार्ड के लाइन बक्सा को बदलने का निर्णय लिया है. अब गार्ड ट्रॉली बैग के साथ ड्यूटी करेंगे. रेलवे के इस फैसले का विरोध ट्रेन गार्ड करते नजर आ रहे हैं. पूरे देश में ट्रेन में नौकरी करने वाले गार्ड 11 सितंबर को इसके विरोध में प्रदर्शन भी करेंगे.
काला बक्सा बदलने के आदेश से गार्डों में नाराजगी: ट्रेन गार्ड का साफ-साफ कहना है कि लाइन बॉक्स से अच्छा किसी भी सूरत में ट्रॉली बैग नहीं होगा और हम इसको लेकर ड्यूटी करने में समर्थ नहीं होंगे. यही कारण है कि हम लोग ट्रॉली बैग का विरोध कर रहे हैं.मेल एक्स्प्रेस ट्रेन के गार्ड सह मैनेजर अभय कुमार ने कहा कि इस बक्सा में हमारा कोई सामान नहीं होता है. रेलवे की सुरक्षा और संरक्षा से जुड़े सामान इसमें होते हैं.
"जो ट्रॉली हमको लेकर चलने के लिए कहा जा रहा है, उसका वजन तीस के पैंतीस किलो होता है. उसमे हम सक्षम नहीं है. 40 से 45 किलो वजन ढोने में हम लोग सक्षम नहीं है. जब हम लोग ब्रेक से उतर कर कहीं एसीपी होते हैं, इस स्थिति में उसकी चोरी होने की संभावना होती है. अक्सर हमारे बैग से सामान भी चोरी हो जाते हैं तो ऐसी स्थिति में ट्राली रहना ठीक नहीं है."-अभय कुमार, मैनेजर सह गार्ड, मेल एक्सप्रेस ट्रेन
'डेटोनेटर और एक्सप्लोसिव नहीं ले जा सकते घर': अभृय कुमार ने बताया कि बक्से में डेटोनेटर एक एक्सप्लोसिव होता है उसे घर पर ले जाना संरक्षा और सुरक्षा की दृष्टि से उचित नहीं है. यह रेल का समान है उसका मिसयूज भी हो सकता है. इसलिए बक्सा के बदले ट्रॉली बैग लेकर चलना हम लोग उचित नहीं समझ रहे हैं और इसीलिए इसका हम लोग विरोध कर रहे हैं.
'हमें बक्सा ही चाहिए': वहीं ट्रेन गार्ड आशीष कुमार बताते हैं कि बक्सा ही ठीक है. ट्रॉली बैग ठीक नहीं होगा. ट्रॉली बैग काफी भारी हो जाता है और उसे लेकर हम लोग कहां-कहां जाएंगे. क्या नियम बना रहा है रेलवे कुछ पता नहीं चल रहा है.
"इतना वजन लेकर कहीं से कहीं रुकना कहीं से कहीं जाना स्वास्थ्य के लिए भी ठीक नहीं है. ऐसा नहीं होना चाहिए. हमें ट्रॉली से कई तरह की परेशानी हो सकती है."- आशीष कुमार, ट्रेन गार्ड
'ट्रॉली बैग से कैसे करेंगे ड्यूटी?': वहीं ट्रेन गार्ड संतोष कुमार का कहना है कि बरसात में ट्रॉली बैग को लेकर चलने से हम लोगों को काफी परेशानी होगी. कहीं-कहीं रुकना रहता है. रनिंग रूम में भी पानी भरा रहता है. बरसात के मौसम में ट्रॉली बैग लेकर इतना भारी सामान लेकर हम लोग कहां जाएंगे.
"इससे अच्छा जो हमारा लाइन बक्सा है. ट्रॉली बैग किसी भी सूरत में ठीक नहीं होगा."- संतोष कुमार, ट्रेन गार्ड
रेलवे से आदेश वापस लेने की मांग: वही ट्रेन गार्ड अखिलंदर कुमार भी साफ-साफ ट्रॉली बैग का विरोध करते नजर आते हैं और कहते हैं कि हम लोग चाहते हैं कि भारतीय रेल इस आदेश को बदले क्योंकि जो पहले का बक्सा है वह सहूलियत से कहीं से कहीं हम लोग ले जाते हैं. लेकिन ट्रॉली ट्रॉली बैग लेकर के कहां-कहां जाएंगे. इस आदेश का पालन हम लोग करें.
"क्योंकि ट्रॉली बैग लेकर चलने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. इसलिए हम लोग इसका विरोध कर रहे हैं. इतना वजन कैसे उठाएंगे."- अखिलेंद्र कुमार, ट्रेन गार्ड
क्या होता है गार्ड के काले बक्से में: आखिर गार्ड के बक्सा में क्या होता है ये सवाल सबके मन में आता है. दरअसल रेलवे के सामान्य एवं सहायक नियमों के अनुसार गार्ड के लिए निर्धारित किया गया सामान ड्यूटी के दौरान उनके साथ रहना चाहिए.इस बॉक्स में नवीनतम दुर्घटना नियमावली पुस्तक या कम से कम इस पुस्तक का उसकी ड्यूटी से रिलेटेड भाग होता है. सामान्य और सहायक नियम की नवीनतम पुस्तक या कम से कम ड्यूटी से संबंधित भाग होता है. अभी हाल में इन दोनो पुस्तकों को डिजिटल फॉर्म में रखने की इजाजत दी गई है.
लाइन बॉक्स में गार्ड की मेमो बुक, 10 डेटोनेटर (आपातकालीन पटाखा सिग्नल), दो लाल एवं एक हरी झंडी, पैड लॉक (ताला) एवं चाबी, एमयू पाइप के लिए रबर वॉशर-3, पार्सल लदान पुस्तिका, एलईडी प्रकार का टेल लैंप और टेल बोर्ड, डिटैचेबल एयर प्रेशर गेज, एक फ्यूजी सिग्नल, एलईडी प्रकार की तीन रोशनियों वाली टॉर्च, कैरिज चाबी, शिकायत पुस्तिका, सेल के साथ एक टॉर्च, एक हल्का प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स गार्ड के काला बक्सा में होता है.
कौन उठाता है लाइन बॉक्स?: काले रंग के बड़े आकार के लाइन बॉक्सों को ट्रेन में चढ़ाने और उतारने के लिए बॉक्स पोर्टर नियुक्त किए जाते हैं. बॉक्स पोर्टर ट्रेन के प्लेटफॉर्म पर पहुंचने के बाद पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक आने वाले गार्ड का लाइन बॉक्स उतारते हैं और फिर क्रू लॉबी या स्टेशन मास्टर से मिली जानकारी के मुताबिक जाने वाले गार्ड और लोको पायलट का बक्सा चढ़ाते हैं. बॉक्स में सफेद रंग से गार्ड का पूरा नााम, पदनाम और मुख्यालय का नाम लिखते हैं.