कवर्धा: छत्तीसगढ़ में आईएएस पूजा खेडकर जैसा मामला सामने आया है. यहां कई पूजा खेडकर दिव्यांगों का हक मार रहे हैं. पिछले कई सालों से छत्तीसगढ सेवा दिव्यांग संघ इसके विरोध में समय-दर-समय आंदोलन करते आए हैं. इस बीच प्रदेश में एक बार फिर फर्जी दिव्यांगता सर्टिफिकेट का मामला गरमा गया है. आरोप है कि यहां कई डिप्टी कलेक्टर, चिकित्सक से लेकर पशु विभाग तक ऐसे अधिकारी शामिल हैं, जो कि फर्जी दिव्यांगता का सर्टिफिकेट बनाकर नौकरी लिए हैं. इसे लेकर दिव्यंग सेवा संघ की ओर से सरकार से शिकायत की गई है. साथ ही 10 बिंदुओं को लेकर मांग भी की गई है.
सरकारी नौकरी में 50 फीसद दिव्यांग फर्जी: इस बारे में दिव्यांग संघ के प्रदेश अध्यक्ष बोहित राम चंद्राकर ने ईटीवी भारत से बातचीत की. उन्होंने कहा, "सरकारी नौकरी में 50% दिव्यांग फर्जी हैं. वर्तमान में PSC से सिलेक्ट होकर 7 डिप्टी कलेक्टर, 3 लेखा अधिकारी, 3 नायब तहसीलदार, 2 सहकारिता निरीक्षक, 3 चिकित्सक समेत 21 लोग फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र के जरिए नौकरी में हैं. छत्तीसगढ़ सेवा दिव्यांग संघ के शिकायत के बाद राज्य मेडिकल से परीक्षण करने 200 लोगों में से केवल तीन लोग पहुंचे थे, जिनमें से तीनों फर्जी दिव्यांग साबित हो चुके हैं."
कई अधिकारी भी हैं शामिल: दिव्यांग संघ के प्रदेश अध्यक्ष बोहित राम चंद्राकर ने आगे कहा, "इनमें महासमुंद कृषि सहायक संचालक रिचा दुबे बर्खास्त हो चुकी हैं. सत्येंद्र सिंह चंदेल व्याख्याता जिला जांजगीर और अक्षय सिंह राजपूत व्याख्याता जिला मुंगेली के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. वहीं, मुंगेली के गांव में सबसे ज्यादा फर्जी सर्टिफिकेट लोरमी विकासखंड के लोरमी, फुलझर, बोडतरा, सारधा, झाफल, सुकली, विचारपुर गांव में सबसे ज्यादा फर्जी सर्टिफिकेट बनाने का मामला सामने आया है. यहां 200 लोग श्रवण बाधित के फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र बनवाकर नौकरी कर रहे हैं. उन गांवों में ऐसी क्या महामारी है कि मां-बाप और बच्चों के साथ बहू भी श्रवण बाधित हो जाती है. सभी के दिव्यांग प्रमाण-पत्रों की जांच के साथ ही सरगना का मास्टरमाइंड अधिकारी ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी लोरमी गुलाब सिंह राजपूत, मुंगेली के ENT विशेषज्ञ डॉ. एमके राय हैं. साथ ही बिलासपुर संभाग में संयुक्त स्वास्थ्य संचालक डॉ. प्रमोद महाजन सहित तीनों अफसर को बर्खास्त कर जेल भेजने की मांग कर रहे हैं. ये लाख रुपए लेकर फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवा देते हैं. जहां कुछ केस डॉक्टरों या स्टाफ की जानकारी में होता है."
उग्र आंदोलन की दी गई चेतावनी: दिव्यांग संघ का आरोप है कि प्रमाण-पत्र बनवाते समय अन्य वास्तविक दिव्यांग को पैसा देकर अपनी जगह पेश कर दिया जाता है. इस कारण सरकारी नौकरी में वास्तविक दिव्यांग लाभ से वंचित रह जाते हैं. प्रदेश में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने वाले कई गैंग सक्रिय हैं. इसकी शिकायत पहले भी की जा चुकी है. संघ की ओर से 10 बिंदुओं पर मांग रखते हुए 15 दिनों में कार्रवाई न होने पर छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ की ओर से उग्र आंदोलन की चेतावनी दी गई है.