नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में यूनिवर्सिटी जनरल बॉडी मीटिंग (यूजीबीएम) में जेएनयू छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) के पदाधिकारियों को चुनाव समिति बनाने और छात्रों (प्रत्याशियों) को आयु सीमा में दो वर्ष की छूट देने के प्रस्ताव पास किए गए हैं. मंगलवार सुबह छात्रों ने प्रस्तावों की जानकारी डीन ऑफ स्टूडेंट्स (डीओएस) प्रोफेसर अनुराधा चौधरी को दी है. अब डीओएस 48 घंटे में जेएनयूएसयू के प्रस्तावों पर अपनी प्रतिक्रिया देंगी. इस प्रक्रिया को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) ने असंवैधानिक बताया है.
दरअसल, सोमवार को हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि 2023-24 के लिए छात्रसंघ चुनाव जेएनयूएसयू संविधान, सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों, लिंगदोह समिति की सिफारिशों और पिछली प्राथमिकताओं के अनुसार होने चाहिए. चुनाव के लिए जेएनयू प्रशासन को सकारात्मक माहौल तैयार करना चाहिए. बैठक में कहा गया कि चार वर्ष से चुनाव न होने से कई स्कूलों में छात्र परिषद नहीं हैं. जेएनयूएसयू संविधान के मुताबिक, चुनाव में चुने हुए प्रतिनिधि की ओर से स्कूल जीबीएम के बाद तय चुनाव समिति ही कराती है. इसी प्रक्रिया को दोहराया जाना चाहिए. जिन स्कूलों में छात्र परिषद नहीं हैं, वहां जेएनयूएसयू की अध्यक्ष आइशी घोष और संयुक्त सचिव एमडी दानिश स्कूल जनरल बॉडी मीटिंग कराकर, चुनाव समिति के लिए पैनल चुनेंगे.
वहीं, जिन स्कूलों में परिषद हैं, वहां के काउंसलर मिलकर चुनाव समिति के लिए पैनल बनाएंगे. जेएनयू प्रशासन छात्रसंघ के अधिकृत न होने का बहाना बनाकर निर्वाचित जेएनयूएसयू के अधिकारों को खारिज नहीं कर सकता. बैठक में तय किया गया कि कोविड महामारी के कारण चार वर्ष चुनाव न होने से कई छात्र उम्र के बाहर हो गए हैं. इसलिए उन्हें चुनाव लड़ने के लिए दो वर्ष की छूट दी जानी चाहिए. फिलहाल चुनाव लड़ने के लिए स्नातक में 17 से 22 वर्ष, स्नातकोत्तर में 25 वर्ष और पीएचडी के लिए 30 वर्ष आयु निर्धारित है.
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उधर, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने कहा है कि जेएनयूएसयू भंग हो चुका है. ऐसे में उसके प्रतिनिधि जीबीएम कराने के लिए मान्य नहीं हैं. उन्होंने सभी छात्र संगठनों की जेएनयू प्रशासन के साथ बैठक कर रास्ता निकालने की मांग की है. एबीवीपी ने नौ फरवरी को हुई यूजीबीएम में चार प्रस्ताव पारित होने की बात कही है, जिसमें जेएनयूएसयू को गैर अधिसूचित बताया है और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की मांग की है. वाम संगठनों ने कहा है कि अगर जेएनयू प्रशासन, जेएनयूएसयू के प्रस्तावों पर सहमति नहीं देता है तो छात्र बड़ा आंदोलन करेंगे.
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