देवघर: देश के द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक देवघर का बैद्यनाथ धाम, जहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु आते हैं. बाबा बैद्यनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार बड़ा फैसला लेने जा रही है. देवघर स्थित बाबा बैधनाथ धाम मंदिर में एक स्पेशल कॉरिडोर बनाने के प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है. जिससे मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को काफी राहत होगी.
नई सरकार की गठन के बाद यह चर्चा जोरों पर है कि जल्द ही सरकार देवघर के बाबा मंदिर को विकसित करने के लिए करीब 900 करोड़ की लागत से कॉरिडोर का निर्माण करेगी. जिसके लिए सरकार 31 एकड़ जमीन को भी चिन्हित करेगी. लेकिन कॉरिडोर बनने की चर्चा शुरू होते ही देवघर जिला में सरगर्मी तेज हो गई है.
कॉरिडोर बनने की चर्चा पर मंदिर में आने वाले श्रद्धालु सरकार के इस कदम को बेहतर बता रहे हैं. वहीं मंदिर के आसपास रहने वाले सैकड़ों स्थानीय सरकार की इस परियोजना का विरोध करते दिख रहे हैं. दुकानदार विनोद कुमार केसरी और सौरभ केसरी बताते हैं कि सरकार श्रद्धालुओं के लिए बेहतर सुविधा ला रही है तो राज्य सरकार को दुकानदारों के हितों को भी ध्यान रखना चाहिए. क्योंकि कॉरिडोर बनने से मंदिर के आसपास दुकान करने वाले दुकानदारों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा और उनके व्यापार का भी नुकसान होगा.
वहीं मंदिर में काम करने वाले पंडा मनीष राज और चंदन परिहस्त बताते हैं कि कॉरिडोर का स्थानीय लोग इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योंकि मंदिर परिसर में करीब एक हजार से ज्यादा ऐसे पंडा हैं. जो कई दशकों से मंदिर के आसपास रहते हैं और मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं से ही उनका गुजारा चलता है.
मंदिर के आसपास बने घरों में रहने के कारण श्रद्धालुओं से मकान किराए के रूप में भी लाभ लिया जाता है. ऐसे में मंदिर के आसपास बने मकान और दुकानों को तोड़ा जाता है तो इससे निश्चित रूप से स्थानीय लोगों को आर्थिक रूप से सीधा नुकसान होगा. अपने नुकसाने को देखते हुए सभी स्थानीय कॉरिडोर का विरोध कर रहे हैं.
मंदिर में काम करने वाले पुजारी मनीष राज बताते हैं कि सरकार उज्जैन और काशी विश्वनाथ की तर्ज पर बाबा बैद्यनाथ में भी कॉरिडोर बनाना चाहती है. लेकिन सरकार को यह समझना होगा कि काशी विश्वनाथ और उज्जैन मंदिर के आसपास रहने वाले लोगों को रोजगार की कमी नहीं है क्योंकि उज्जैन और काशी दोनों ही विकसित शहर में आते हैं.
देवघर शहर की बात करें तो यहां पर सिर्फ मंदिर ही एक साधन है, जिससे आसपास के लोग अपनी जीविका चलाते हैं. यदि मंदिर के आसपास बने मकानों को तोड़कर कॉरिडोर बनाया जाता है तो इससे कहीं ना कहीं स्थानीय लोगों के जीविका पर सीधा असर होगा. इसीलिए मंदिर के आसपास आने वाले हजारों लोग मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से अनुरोध करते हैं कि कॉरिडोर बनाने की प्रक्रिया पर फिर से विचार किया जाए ताकि लोगों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े.
लेकिन मंदिर परिसर में आने वाले श्रद्धालु बताते हैं कि जब भी वह पूजा करने देवघर पहुंचते हैं तो सबसे ज्यादा दिक्कत उन्हें मंदिर पहुंचने में होती है. क्योंकि मंदिर पहुंचने का रास्ता काफी संकीर्ण है और इसमें कई बार लोगों की जान को भी खतरा बना रहता है. इसलिए श्रद्धालुओं के सुरक्षा को देखते हुए कॉरिडोर का निर्माण अति आवश्यक है. सरकार जल्द से जल्द कॉरिडोर के निर्माण की प्रक्रिया शुरू करें.
दार्जिलिंग से आए श्रद्धालु संतोष पटवारी बताते हैं कि काशी विश्वनाथ और उज्जैन में जब से कॉरिडोर का निर्माण हुआ है तब से श्रद्धालु आसानी से पूजा करने चले जाते हैं. श्रद्धालुओं के लिए साधन का भी इंतजाम कॉरिडोर में रहता है लेकिन देवघर मंदिर में आए दिन श्रद्धालुओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कॉरिडोर नहीं बनने के कारण प्रशासन भी श्रद्धालुओं की परेशानी को कम करने में असफल रहती है.
इसे भी पढे़ं- देवघर सिविल सर्जन का एक आदेश कर्मचारियों के लिए बना तुगलकी फरमान! जानें, इसका क्यों कर रहे विरोध
इसे भी पढे़ं- देवघर पुराना सदर अस्पताल का किया जाएगा कायाकल्प, श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य सुविधा के लिए बनाया जाएगा 100 बेड का अस्पताल