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राज्य स्थापना दिवस पर थराली में सम्मान समारोह आयोजित, उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी हुए सम्मानित

आज उत्तराखंड का राज्य स्थापना दिवस है. इस मौके पर तहसील थराली में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को सम्मानित किया गया है.

UTTARAKHAND FOUNDATION DAY
राज्य स्थापना दिवस पर थराली में सम्मान समारोह आयोजित (Photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 9, 2024, 3:42 PM IST

थराली/ रामनगर: उत्तराखंड के 25वें राज्य स्थापना दिवस के मौके पर तहसील कार्यालय थराली के सभागार में सम्मान समारोह आयोजित किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता तहसीलदार दिगम्बर सिंह नेगी की. इसी बीच देवाल और थराली के उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को माल्यार्पण और अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया.

राज्य के विकास में योगदान करने पर बल: उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के लिए आयोजित सम्मान समारोह में राज्य प्राप्त के लिए 1994 में किए गए आंदोलन की खट्टी-मीठी यादों को ताजा किया गया और राज्य के विकास में योगदान करने पर बल दिया गया. साथ ही विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलनकारियों ने तहसीलदार के माध्यम से मुख्यमंत्री धामी को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा.

उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों ने रखी ये मांग: ज्ञापन में आंदोलनकारियों को प्रति माह 22 हजार रुपए पेंशन देने, 1950 को आधार मानकर मूल निवास प्रमाण पत्र निर्गत किए जाने, यूसीसी लागू नहीं किए जाने, गैरसैंण को राज्य की स्थायी राजधानी बनाने, हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखंड में भी सशक्त भू कानून लागू करने, राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को 10 लाख तक का निशुल्क उपचार उपलब्ध करवाने की मांग की गई है. वहीं, इस मौके पर राज्य आंदोलनकारी भूपाल सिंह गुसाईं, देवी प्रसाद जोशी, मोहन बहुगुणा, लक्ष्मी प्रसाद देवराड़ी, नरेंद्र सिंह बिष्ट, कुंदन सिंह परिहार, हरेंद्र सिंह बिष्ट, कृष्णपाल सिंह गुसाईं और खीमानंद खंडूड़ी आदि को सम्मानित किया गया.

रामनगर में संयुक्त संघर्ष समिति ने दिया धरना: संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा लखनपुर में प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए धरना-प्रदर्शन किया गया. राज्य आंदोलनकारी प्रभात ध्यानी ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तराखंड की जनता ने जिस मकसद को लेकर उत्तराखंड राज्य की लड़ाई लड़कर इस राज्य को हासिल किया, उस अवधारणा को पिछले 24 सालों में उत्तराखंड में सत्ता पर बैठने वाली कांग्रेस और भाजपा ने कुचलने का प्रयास किया और जनता की आवाज को दबाने का काम किया. उन्होंने कहा कि आज उत्तराखंड में लोगों को शिक्षा और चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. बेरोजगारी और पलायन तेजी से बढ़ रहा है. ग्रामीणों की फसलें भी लगातार जंगली जानवर चौपट कर रहे हैं.

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थराली/ रामनगर: उत्तराखंड के 25वें राज्य स्थापना दिवस के मौके पर तहसील कार्यालय थराली के सभागार में सम्मान समारोह आयोजित किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता तहसीलदार दिगम्बर सिंह नेगी की. इसी बीच देवाल और थराली के उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को माल्यार्पण और अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया.

राज्य के विकास में योगदान करने पर बल: उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के लिए आयोजित सम्मान समारोह में राज्य प्राप्त के लिए 1994 में किए गए आंदोलन की खट्टी-मीठी यादों को ताजा किया गया और राज्य के विकास में योगदान करने पर बल दिया गया. साथ ही विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलनकारियों ने तहसीलदार के माध्यम से मुख्यमंत्री धामी को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा.

उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों ने रखी ये मांग: ज्ञापन में आंदोलनकारियों को प्रति माह 22 हजार रुपए पेंशन देने, 1950 को आधार मानकर मूल निवास प्रमाण पत्र निर्गत किए जाने, यूसीसी लागू नहीं किए जाने, गैरसैंण को राज्य की स्थायी राजधानी बनाने, हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखंड में भी सशक्त भू कानून लागू करने, राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को 10 लाख तक का निशुल्क उपचार उपलब्ध करवाने की मांग की गई है. वहीं, इस मौके पर राज्य आंदोलनकारी भूपाल सिंह गुसाईं, देवी प्रसाद जोशी, मोहन बहुगुणा, लक्ष्मी प्रसाद देवराड़ी, नरेंद्र सिंह बिष्ट, कुंदन सिंह परिहार, हरेंद्र सिंह बिष्ट, कृष्णपाल सिंह गुसाईं और खीमानंद खंडूड़ी आदि को सम्मानित किया गया.

रामनगर में संयुक्त संघर्ष समिति ने दिया धरना: संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा लखनपुर में प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए धरना-प्रदर्शन किया गया. राज्य आंदोलनकारी प्रभात ध्यानी ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तराखंड की जनता ने जिस मकसद को लेकर उत्तराखंड राज्य की लड़ाई लड़कर इस राज्य को हासिल किया, उस अवधारणा को पिछले 24 सालों में उत्तराखंड में सत्ता पर बैठने वाली कांग्रेस और भाजपा ने कुचलने का प्रयास किया और जनता की आवाज को दबाने का काम किया. उन्होंने कहा कि आज उत्तराखंड में लोगों को शिक्षा और चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. बेरोजगारी और पलायन तेजी से बढ़ रहा है. ग्रामीणों की फसलें भी लगातार जंगली जानवर चौपट कर रहे हैं.

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