रांची: राजधानी के झिरी वासियों को कचरे के पहाड़ से फैलने वाली बदबू और मच्छरों के प्रकोप से निजात मिलने वाली है. यहां जमा गीले कचरे से सीबीजी यानी कंप्रेस्ड बायोगैस और जैविक खाद का उत्पादन शुरू हो गया है. इसके लिए गेल इंडिया लिमिटेड की ओर से स्थापित प्लांट का 2 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के विज्ञान भवन में स्वच्छ भारत दिवस 2024 के मौके पर ऑनलाइन उद्घाटन किया है.
गेल ने रांची के झिरी में आठ हेक्टेयर भूमि पर प्लांट स्थापित किया है. यहां हर दिन 150 टन गीले कचरे को प्रोसेस करके 5 हजार किलोग्राम कंप्रेस्ड बायोगैस में परिवर्तित किया जाएगा. साथ ही 25 टीपीडी जैविक खाद का उत्पादन भी होगा. प्लांट को जरूरत के हिसाब से गीला कचरा आपूर्ति कराने की जिम्मेदारी रांची नगर निगम की है. इसको ध्यान में रखते हुए पिछले कई माह से निगम जागरूकता अभियान भी चल रहा था. शहर वासियों को बताया जा रहा था कि वह घरों से निकलने वाले गीले कचरे को अलग डस्टबिन में रखें. रांची नगर निगम के प्रशासक संदीप सिंह ने यह जानकारी दी है.
गेल इंडिया द्वारा स्थापित पहले संयंत्र से कंप्रेस्ड बायोगैस बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. यहां एक और प्लांट भी चालू करने की योजना है. पिछले कई दिनों से हर दिन 25-30 टन कचरे से ट्रायल का काम चल रहा था. अब प्लांट से निकलने वाले कंप्रेस्ड बायोगैस को कैसकेड में भर कर शहर के अलग-अलग सीएनजी स्टेशनों पर भेजा जायेगा. मार्च 2021 में गेल इंडिया लिमिटेड अरुणाचल नगर निगम के बीच कंप्रेस्ड बायोगैस प्लांट की स्थापना को लेकर कंसेशन एग्रीमेंट हुआ था.
रांची से औसतन हर दिन 600 टन कचरा निकलता है. झिरी में कचरा डंपिंग यार्ड है जो 33 एकड़ में फैला हुआ है. यहां करीब 18 लाख टन कचरा जमा है. प्लांट में प्रोसेसिंग का काम शुरू होने से झिरी में दिखने वाला कचरा का पहाड़ खत्म हो जाएगा. इस डंप यार्ड की वजह से आसपास के लोगों को कई तरह की परेशानी झेलनी पड़ती थी. अब लोगों को उस परेशानी से निजात मिल जाएगी.
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