हल्द्वानी: गौलापार में वन विभाग की 412 हेक्टेयर जमीन पर प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय स्तर के चिडिय़ाघर को लेकर बड़ी उम्मीद जगी है. जू निर्माण की शासन से अनुमति मिलने के बाद डीपीआर तैयार करने के लिए कंपनी को नामित किया गया है. जहां कंपनी जू प्रोजेक्ट की डीपीआर तैयार कर शासन को जल्द उपलब्ध कराएगी.
गौलापार में तराई पूर्वी वन प्रभाग की 412 हेक्टेयर जमीन पर नौ साल पहले चिडिय़ाघर का शिलान्यास हुआ था. शुरुआत में काम तेजी से चला. बाद में रफ्तार थम सी गई. 2021 में प्रोजेक्ट को और बड़ा झटका लगा. केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने कहा वन विभाग की जमीन जू के नाम अभी नहीं हुई है. ऐसे में गैरवानिकी के दायरे में आने वाला कोई काम यहां नहीं हो सकता.
राज्य सरकार के बाद केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने जू को गैरवानिकी मानते हुए जू निर्माण की अनुमति दे दी है. जू के डायरेक्टर डीएफओ हिमांशु बागड़ी ने बताया केंद्र और राज्य सरकार से प्रस्तावित जू निर्माण की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है. जू निर्माण के लिए डीपीआर तैयार करने के लिए एक निजी कंपनी को अधिकृत किया गया है. कंपनी द्वारा जू की डीपीआर तैयार कर शासन को उपलब्ध कराएगी. इसके बाद बजट मिलते ही जू का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा.
उन्होंने बताया प्रस्तावित जू में वन्य जीव हॉस्पिटल में वन्यजीवों के लिए बाड़े बनाकर उसे प्रस्तावित जू के पहले चरण का रूप दिया जाना है. इसके बाद यहां जू सफारी की योजना शुरू की जानी है. इस बारे में सभी अनुमतियां राज्य सरकार को प्राप्त हो गई हैं. जू और वन्य जीव अस्पताल के प्रस्तावित स्थल की चाहरदीवारी का काम पहले ही पूरा हो चुका है. कुछ विभागीय औपचारिकताएं पूरी करने का काम राज्य स्तर पर बाकी है.
गौरतलब है कि कुमाऊं के मेगा प्रोजेक्ट गौलापार के चिड़ियाघर और सफारी के सेंट्रल जू अथॉरिटी (सीजेडए) से पूर्व में स्वीकृति मिल गई है. इस प्रोजेक्ट को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी काफी गंभीर दिख रहे थे. इस मेगा प्रोजेक्ट में बायो डायवर्सिटी पार्क के अलावा बाघों-तेंदुओं को रखने के लिए बाड़ा, वन्यजीवों का अस्पताल, पक्षियों के ब्रीडिंग सेंटर से लेकर मानव- वन्यजीव संघर्ष में घायल वन्य जीवों को रेस्क्यू कर यहां पर रखा जाएगा. डीपीआर के लिए शासन ने कंपनी नामित कर दिया है. जिससे उम्मीद जताई जा रही है कि जू का निर्माण जल्द शुरू हो सकेगा.