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लातेहार में बदहाल आदिम जनजाति परिवार, सरकारी सुविधाओं का है इंतजार - Primitive Tribe in Latehar

Primitive Tribe in Latehar: एक तरफ सरकार के दावे हैं तो वहीं दूसरी तरफ गांव की सच्चाई. आजादी के 75 साल बाद भी आदिम जनजाति समाज के लोगों के पास रहने को घर नसीब नहीं है. लातेहर के कमेश्वर और उसकी बहन की भी कुछ ऐसी ही कहानी है, जो तमाम सरकारी सुविधाओं से महरूम हैं.

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कामेश्वर व उसकी बहन (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 9, 2024, 1:46 PM IST

Updated : Sep 9, 2024, 2:04 PM IST

लातेहार: आदिम जनजाति समुदाय आज भी सरकारी सुविधाओं का इंतजार कर रहा है. इस समुदाय में शामिल मनिका प्रखंड के बिजलीदाग परहिया टोला में रहने वाले कामेश्वर परहिया और फुलमनी परहिया हैं जिन्हे अब भी सरकारी सुविधाओं के नाम सिर्फ राशन ही मिल पाता है. इसके अलावा सभी सरकारी सुविधाओं से ये आज भी वंचित हैं.

दरअसल बिजलीदाग के परहिया टोला निवासी कामेश्वर परहिया का परिवार बदहाली की जिंदगी जीने को मजबूर है. कामेश्वर बताते हैं कि उनके परिवार में ना किसी को पेंशन मिल रहा है और ना ही उन्हें आवास की सुविधा दी गई है. यही कारण है कि वो बड़ी बहन फुलमनी के साथ दूसरे के मिट्टी के घर में रहकर किसी तरह गुजर-बसर कर रहे हैं. कामेश्वर ने बताया कि उसे सरकारी सुविधा के नाम पर सिर्फ राशन मिल पाता है. नल-जल योजना के तहत शुद्ध पानी तक नसीब नहीं हुआ है. गांव में उसकी अपनी जमीन भी है, लेकिन आज तक आवास की सुविधा नहीं मिल पाई.

50 वर्ष से ऊपर की हुई फुलमनी, पर पेंशन भी नसीब नहीं

वहीं कामेश्वर की बड़ी बहन फूलमनी परहिया की उम्र 50 वर्ष से अधिक हो गई है. इसके बावजूद उसे आज तक पेंशन नहीं मिल पाया है. जबकि सरकारी प्रावधान है कि आदिम जनजातियों को 18 वर्ष पूरा होने के बाद पेंशन की सुविधा मिलनी है. फुलमनी को इस नियम का कोई लाभ नहीं मिल पाता है. फुलमनी बताती हैं कि उसका घर बगल के गांव में है, परंतु घर में उसके सिवा कोई नहीं है. इसी कारण वह अपने भाई के गांव में आकर रहती है. उन्होंने कहा कि कई बार पेंशन और आवास के लिए उसने गुहार लगाई, लेकिन जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारी तक उनकी बात को सुनने को तैयार नहीं हैं.

परहिया टोला है बदहाल

बिजलीदाग गांव का परहिया टोला पूरी तरह बदहाल है. इस टोले में आदिम जनजाति के 10 से अधिक परिवार निवास करते हैं. सभी लोगों का आवास जर्जर हालत में हैं. हालांकि कल्याण विभाग के द्वारा गांव में रहने वाले अधिकांश परिवारों को आवास की सुविधा मुहैया कराई गई है. बिचौलियों की वजह से ऐसे आवास बने, जो समय से पहले ही जर्जर हो गए.

हालांकि समेकित आदिवासी विकास परिषद के परियोजना निदेशक प्रवीण गगराई को जब मामले की सूचना दी गई तो उन्होंने इस पर त्वरित संज्ञान लिया. परियोजना निदेशक ने कहा कि वे मामले की जांच कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि विभाग इस बात के लिए कटिबद्ध है कि उचित लाभुकों को सभी प्रकार की सरकारी सुविधाओं का लाभ उपलब्ध कराया जाएगा. साथ ही आदिम जनजातियों को सुविधा देने के लिए वर्तमान में जनमन योजना के तहत शिविर भी आयोजित किए जा रहे हैं. सभी आदिम जनजातियों को प्रावधान के अनुसार सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.

ये भी पढ़ें- पाकुड़ में आदिम जनजाति पहाड़िया गांव में डायरिया का कहर, दर्जनों लोग बीमार, गांव में ही चल रहा इलाज - Many people sick due to diarrhea

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दरअसल बिजलीदाग के परहिया टोला निवासी कामेश्वर परहिया का परिवार बदहाली की जिंदगी जीने को मजबूर है. कामेश्वर बताते हैं कि उनके परिवार में ना किसी को पेंशन मिल रहा है और ना ही उन्हें आवास की सुविधा दी गई है. यही कारण है कि वो बड़ी बहन फुलमनी के साथ दूसरे के मिट्टी के घर में रहकर किसी तरह गुजर-बसर कर रहे हैं. कामेश्वर ने बताया कि उसे सरकारी सुविधा के नाम पर सिर्फ राशन मिल पाता है. नल-जल योजना के तहत शुद्ध पानी तक नसीब नहीं हुआ है. गांव में उसकी अपनी जमीन भी है, लेकिन आज तक आवास की सुविधा नहीं मिल पाई.

50 वर्ष से ऊपर की हुई फुलमनी, पर पेंशन भी नसीब नहीं

वहीं कामेश्वर की बड़ी बहन फूलमनी परहिया की उम्र 50 वर्ष से अधिक हो गई है. इसके बावजूद उसे आज तक पेंशन नहीं मिल पाया है. जबकि सरकारी प्रावधान है कि आदिम जनजातियों को 18 वर्ष पूरा होने के बाद पेंशन की सुविधा मिलनी है. फुलमनी को इस नियम का कोई लाभ नहीं मिल पाता है. फुलमनी बताती हैं कि उसका घर बगल के गांव में है, परंतु घर में उसके सिवा कोई नहीं है. इसी कारण वह अपने भाई के गांव में आकर रहती है. उन्होंने कहा कि कई बार पेंशन और आवास के लिए उसने गुहार लगाई, लेकिन जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारी तक उनकी बात को सुनने को तैयार नहीं हैं.

परहिया टोला है बदहाल

बिजलीदाग गांव का परहिया टोला पूरी तरह बदहाल है. इस टोले में आदिम जनजाति के 10 से अधिक परिवार निवास करते हैं. सभी लोगों का आवास जर्जर हालत में हैं. हालांकि कल्याण विभाग के द्वारा गांव में रहने वाले अधिकांश परिवारों को आवास की सुविधा मुहैया कराई गई है. बिचौलियों की वजह से ऐसे आवास बने, जो समय से पहले ही जर्जर हो गए.

हालांकि समेकित आदिवासी विकास परिषद के परियोजना निदेशक प्रवीण गगराई को जब मामले की सूचना दी गई तो उन्होंने इस पर त्वरित संज्ञान लिया. परियोजना निदेशक ने कहा कि वे मामले की जांच कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि विभाग इस बात के लिए कटिबद्ध है कि उचित लाभुकों को सभी प्रकार की सरकारी सुविधाओं का लाभ उपलब्ध कराया जाएगा. साथ ही आदिम जनजातियों को सुविधा देने के लिए वर्तमान में जनमन योजना के तहत शिविर भी आयोजित किए जा रहे हैं. सभी आदिम जनजातियों को प्रावधान के अनुसार सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.

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Last Updated : Sep 9, 2024, 2:04 PM IST
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