शिमला: दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में आतंक विरोधी अभियान के दौरान भारतीय सेना आतंकियों की मौजूदगी की सूचना पर एक गांव में पहुंची थी. देवभूमि हिमाचल के वीर सपूत पवन कुमार धंगल भी सर्च ऑपरेशन की टुकड़ी में शामिल थे. सारा गांव तलाश लिया, लेकिन आतंकी नहीं मिले. फिर गांव की मस्जिद में तलाशी शुरू की गई तो सिपाही पवन कुमार ने साहस भरा फैसला लिया. वे सबसे पहले मस्जिद के भीतर घुसे. आतंकी मस्जिद के भीतर घात लगाकर बैठे थे. आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी. एक सैनिक को गोलियां लगी तो उसे पीछे धकेल कर पवन धंगल आगे बढ़े.
पवन कुमार मां भारती पर हो गए बलिदान: पवन का सामना भीषण गोलीबारी से हुआ. वे घायल हो गए, लेकिन एक आतंकी को दबोच कर उसे नीचे गिरा दिया. पवन उस आतंकी की छाती पर सवार हो गए और उसकी राइफल को पकड़कर मुंह आसमान की तरफ कर दिया. तभी मस्जिद में छिपे एक आतंकी ने पीठ पीछे से गोलीबारी की. पवन कुमार मां भारती पर बलिदान हो गए, लेकिन आतंकियों के मंसूबे कामयाब नहीं होने दिए. अदम्य साहस के लिए पवन कुमार को कीर्ति चक्र (बलिदान उपरांत) की घोषणा की गई. ये घटना 27 फरवरी 2023 की है.
पवन धंगल के साहस को देश ने सैल्यूट किया: हिमाचल के शिमला जिला के बलिदानी पवन कुमार धंगल के साहस को देश ने सैल्यूट किया है. गैलेंट्री अवार्ड-2024 समारोह में देश की राष्ट्रपति और सेना की सर्वोच्च कमांडर महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पवन कुमार धंगल की बहादुरी को बलिदान उपरांत कीर्ति चक्र दिया. ये सम्मान पवन कुमार के गर्वित मां और पिता ने ग्रहण किया. राष्ट्रपति भवन में पीएम नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अन्य गणमान्य लोगों की मौजूदगी में जब पवन कुमार की शौर्य गाथा का वर्णन किया जा रहा था तो बलिदानी के माता-पिता का चेहरा गर्व से चमक रहा था. बेशक दिल के टुकड़े के खोने का दर्द भी था, लेकिन उसका मां भारती के प्रति बलिदान ने आंसुओं को बहने न दिया. अलबत्ता आंखों के कोर जरूर नम थे.
गैलेंट्री अवार्ड से बलिदानी को किया गया सम्मानित: अमर बलिदानी पवन कुमार धंगल की मां भजन दासी और पिता शिशुपाल ने संपूर्ण गर्व के साथ सम्मान ग्रहण किया. पवन कुमार शिमला जिला के रामपुर के पिथवी गांव के रहने वाले थे. पवन कुमार राष्ट्रीय राइफल्स में 55 वीं बटालियन में 16 ग्रेनेडियर्स में तैनात थे. वे अपने मां-पिता की इकलौते संतान थे. बलिदान के समय पवन कुमार की आयु सिर्फ 26 साल थी. कुछ समय तक सोलह ग्रेनेडियर्स में सेवाएं देने के बाद पवन के साहस को देखते हुए उन्हें आरआर की 55वीं बटालियन में तैनात किया गया था.
मस्जिद की मर्यादा भंग न करने पर पवन को सैल्यूट: पवन कुमार व उनके साथियों ने मस्जिद की मर्यादा भंग न करने का फैसला लिया और फायरिंग से परहेज किया. पवन कुमार ने एक आतंकी को हैंड टू हैंड कांबेट में धराशायी किया था. पवन कुमार बेहद मजबूत शरीर और इरादों वाले सैनिक थे. उन्होंने बिना हथियार के ही एक आतंकी को मार गिराया था. इस अदम्य साहस के लिए बलिदानी पवन कुमार को देश का दूसरा सबसे बड़ा सैन्य सम्मान (पीस टाइम गैलेंट्री अवार्ड) कीर्ति चक्र दिया गया.