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कोरबा में जमीन पर उतरे प्रकृति के देवता तैय्यम, देवता और प्रकृति के रिश्तों का दिखा संगम, जानिए कांतारा फिल्म से नाता - Nature God Tayyam - NATURE GOD TAYYAM

कोरबा में हिंदू नववर्ष के मौके पर आकर्षक शोभा यात्रा का आयोजन हुआ.लेकिन इस आयोजन में जब झांकी की शुरुआत हुई,तो सड़क के किनारे खड़े हर एक शख्स की आंखें ठहर सी गई.क्योंकि इस झांकी में लोगों ने प्रकृति के देवता के दर्शन किए.

Presentation of Nature God Tayyam
कोरबा में जमीन पर उतरे प्रकृति के देवता तैय्यम
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 10, 2024, 6:39 PM IST

देवता और प्रकृति के रिश्तों का दिखा संगम
Presentation of Nature God Tayyam
नृत्य में पारंपरिक वाद्ययंत्रों का इस्तेमाल

कोरबा : कोरबा में हिंदू नववर्ष की झांकी में लोगों ने प्रकृति के देवता को साक्षात् देखा. प्रकृति के देवता इसलिए भी लोगों के लिए अनजाने नहीं थे क्योंकि हाल ही आई फिल्म कांतारा ने जंगल के इस देवता के चेहरे को भारत के कोने-कोने तक पहुंचाने का काम किया है. केरल आए से इस ग्रुप के लोगों ने अपने ऊपर 40 किलो वजनी कॉस्ट्यूम पहन रखा था.चेहरे की भाव भंगिमा रंगों के जरिए अलग तरह से बनाई गई थी.ईटीवी भारत ने भी इस ग्रुप के बीच जाकर इनकी कला के बारे में बारीकी से जाना.

Presentation of Nature God Tayyam
कांतारा फिल्म ने दिलाई लोकप्रियता

केरल से बुलाया गया है ग्रुप : कोरबा में केरल के श्री रंजनी कलारूपम ग्रुप को कार्यक्रम देने के लिए बुलाया गया है. ग्रुप के पास कांतारा फिल्म जैसी वेशभूषा वाले कलाकारों के साथ ही लगभग डेढ़ सौ देवी देवताओं के वेषम यानी वेशभूषा वाले कलाकार हैं . कोरबा में इस ग्रुप ने अपनी कला का नमूना दिखाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. इस ग्रुप के संचालक डॉ के एम निशांत से ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

कांतारा फिल्म ने तैय्यम को दिलाई लोकप्रियता

अब तक पांच हजार से ज्यादा की प्रस्तुति : ग्रुप के संचालक डॉ निशांत ने बताया कि कोरबा में हिंदू नवरात्रि के अवसर पर उनके ग्रुप को बुलाया गया था.ग्रुप में 40 आर्टिस्ट हैं. इस पूरी वेशभूषा को तैय्यम कहा जाता है. जो केरल के स्थानीय देवी देवता होते हैं.सभी देवी देवताओं की वेश भूषा हम ही तैयार करते हैं. अब तक हमारा ग्रुप 5000 से ज्यादा शो कर चुका है. दिल्ली, गुजरात के साथ ही अयोध्या में भी प्रस्तुति दे चुके हैं.ज्यादातर गवर्मेंट के कार्यक्रमों में ग्रुप को बुलाया जाता है.

Presentation of Nature God Tayyam
प्रकृति से जुड़ा नृत्य करते हैं देवता

4 घंटे के मेकअप के बाद आता है लुक : ग्रुप के कलाकार कांतारा के साथ ही कड़कली, तैय्यम, कवड़ी, डॉल डांस और बटरफ्लाई डांस की प्रस्तुति भी देते हैं. एक आर्टिस्ट को पूरा मेकअप करने में 3 से 4 घंटे लगते हैं.जो पोशाक कलाकार पहनते हैं,उसका वजन करीब 40 किलो होता है.इसी वजन के साथ कलाकार 4 से 5 घंटे तक परफॉर्म करते हैं.

कांतारा फिल्म से नाता : डॉ निशांत की माने तो कांतारा फिल्म के बाद आर्टिस्ट को सबसे ज्यादा फायदा हुआ हैं. फिल्म आने के बाद काफी ज्यादा पॉपुलॉरिटी मिल रही है. तैय्यम की वेशभूषा सबसे ज्यादा लोकप्रिय है.जिसकी डिमांड हर कार्यक्रम में होती है.आज हमारे पास साल के 300 दिन काम रहते हैं. हमारी टीम एक साथ तीन से चार जगहों पर परफॉर्म करती है.

''कांतारा के अलावा हम जो स्थानीय देवी देवता रहते हैं उनकी वेशभूषा को अपनाते हैं. हमारे पास 150 वेशम और 250 कलाकार हैं. हमने श्रीलंका से लेकर मलेशिया, अंडमान निकोबार सब जगह परफॉर्म किया है. हम ऐसा मानते हैं कि साल में एक दिन देवी देवता धरती से नीचे उतरते हैं . उसी वेशभूषा में जाकर लोगों को आशीर्वाद देते हैं.''- डॉ केएम निशांत,श्री रंजनी कलारूपम ग्रुप

क्या है कांतारा ?: कांतारा' का मतलब रहस्यमयी जंगल होता है. दूसरे भाव में इसे 'मायावी जंगल' भी कहा जा सकता है. इस जंगल में आकर इंसान प्रकृति में विलीन हो जाता है.इंसान के प्रकृति में समाहित होते ही इंसान के अंदर दैवीय शक्ति का संचार होता है.इसके बाद जंगल में होने वाले सारे कार्यक्रम और फैसले इसी शक्ति के इशारे पर सारा काम करते हैं. इस दौरान विशेस नृत्य का आयोजन भी किया जाता है.जिसे स्थानीय भाषा में भूत कोला नृत्य कहा जाता है.

भूत कोला नृत्य का मतलब : नाम सुनकर लगेगा मानो आप किसी भूत प्रेत से जुड़ी बात करने वाले हैं.लेकिन कर्नाटक में भूत का मतलब देवता के सामान माना गया है.जबकि कोला का मतलब प्रदर्शन होता है.भूत कोला यानी देवता के जैसे प्रदर्शन करना होता है. दक्षिण भारत के जंगलों में बसे ग्रामीणों का मानना है कि उनके देवता ही जंगल और जमीन की रक्षा करते हैं.देवता ही गांव को आपदा और बुरी शक्तियों से बचाते हैं.इसलिए भूत कोला नृत्य के दौरान प्रदर्शन करने वाले शख्स के अंदर पंजुरी देवता का वास हो जाता है.देवता पारिवारिक और गांव के मुद्दों को सुलझाते हैं.इस दौरान देवता जो भी निर्देश देते हैं,उसे गांव वालों को मानना पड़ता है.देवता के बोले गए शब्द गांव के लिए सर्वोपरि माने जाते हैं.

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देवता और प्रकृति के रिश्तों का दिखा संगम
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नृत्य में पारंपरिक वाद्ययंत्रों का इस्तेमाल

कोरबा : कोरबा में हिंदू नववर्ष की झांकी में लोगों ने प्रकृति के देवता को साक्षात् देखा. प्रकृति के देवता इसलिए भी लोगों के लिए अनजाने नहीं थे क्योंकि हाल ही आई फिल्म कांतारा ने जंगल के इस देवता के चेहरे को भारत के कोने-कोने तक पहुंचाने का काम किया है. केरल आए से इस ग्रुप के लोगों ने अपने ऊपर 40 किलो वजनी कॉस्ट्यूम पहन रखा था.चेहरे की भाव भंगिमा रंगों के जरिए अलग तरह से बनाई गई थी.ईटीवी भारत ने भी इस ग्रुप के बीच जाकर इनकी कला के बारे में बारीकी से जाना.

Presentation of Nature God Tayyam
कांतारा फिल्म ने दिलाई लोकप्रियता

केरल से बुलाया गया है ग्रुप : कोरबा में केरल के श्री रंजनी कलारूपम ग्रुप को कार्यक्रम देने के लिए बुलाया गया है. ग्रुप के पास कांतारा फिल्म जैसी वेशभूषा वाले कलाकारों के साथ ही लगभग डेढ़ सौ देवी देवताओं के वेषम यानी वेशभूषा वाले कलाकार हैं . कोरबा में इस ग्रुप ने अपनी कला का नमूना दिखाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. इस ग्रुप के संचालक डॉ के एम निशांत से ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

कांतारा फिल्म ने तैय्यम को दिलाई लोकप्रियता

अब तक पांच हजार से ज्यादा की प्रस्तुति : ग्रुप के संचालक डॉ निशांत ने बताया कि कोरबा में हिंदू नवरात्रि के अवसर पर उनके ग्रुप को बुलाया गया था.ग्रुप में 40 आर्टिस्ट हैं. इस पूरी वेशभूषा को तैय्यम कहा जाता है. जो केरल के स्थानीय देवी देवता होते हैं.सभी देवी देवताओं की वेश भूषा हम ही तैयार करते हैं. अब तक हमारा ग्रुप 5000 से ज्यादा शो कर चुका है. दिल्ली, गुजरात के साथ ही अयोध्या में भी प्रस्तुति दे चुके हैं.ज्यादातर गवर्मेंट के कार्यक्रमों में ग्रुप को बुलाया जाता है.

Presentation of Nature God Tayyam
प्रकृति से जुड़ा नृत्य करते हैं देवता

4 घंटे के मेकअप के बाद आता है लुक : ग्रुप के कलाकार कांतारा के साथ ही कड़कली, तैय्यम, कवड़ी, डॉल डांस और बटरफ्लाई डांस की प्रस्तुति भी देते हैं. एक आर्टिस्ट को पूरा मेकअप करने में 3 से 4 घंटे लगते हैं.जो पोशाक कलाकार पहनते हैं,उसका वजन करीब 40 किलो होता है.इसी वजन के साथ कलाकार 4 से 5 घंटे तक परफॉर्म करते हैं.

कांतारा फिल्म से नाता : डॉ निशांत की माने तो कांतारा फिल्म के बाद आर्टिस्ट को सबसे ज्यादा फायदा हुआ हैं. फिल्म आने के बाद काफी ज्यादा पॉपुलॉरिटी मिल रही है. तैय्यम की वेशभूषा सबसे ज्यादा लोकप्रिय है.जिसकी डिमांड हर कार्यक्रम में होती है.आज हमारे पास साल के 300 दिन काम रहते हैं. हमारी टीम एक साथ तीन से चार जगहों पर परफॉर्म करती है.

''कांतारा के अलावा हम जो स्थानीय देवी देवता रहते हैं उनकी वेशभूषा को अपनाते हैं. हमारे पास 150 वेशम और 250 कलाकार हैं. हमने श्रीलंका से लेकर मलेशिया, अंडमान निकोबार सब जगह परफॉर्म किया है. हम ऐसा मानते हैं कि साल में एक दिन देवी देवता धरती से नीचे उतरते हैं . उसी वेशभूषा में जाकर लोगों को आशीर्वाद देते हैं.''- डॉ केएम निशांत,श्री रंजनी कलारूपम ग्रुप

क्या है कांतारा ?: कांतारा' का मतलब रहस्यमयी जंगल होता है. दूसरे भाव में इसे 'मायावी जंगल' भी कहा जा सकता है. इस जंगल में आकर इंसान प्रकृति में विलीन हो जाता है.इंसान के प्रकृति में समाहित होते ही इंसान के अंदर दैवीय शक्ति का संचार होता है.इसके बाद जंगल में होने वाले सारे कार्यक्रम और फैसले इसी शक्ति के इशारे पर सारा काम करते हैं. इस दौरान विशेस नृत्य का आयोजन भी किया जाता है.जिसे स्थानीय भाषा में भूत कोला नृत्य कहा जाता है.

भूत कोला नृत्य का मतलब : नाम सुनकर लगेगा मानो आप किसी भूत प्रेत से जुड़ी बात करने वाले हैं.लेकिन कर्नाटक में भूत का मतलब देवता के सामान माना गया है.जबकि कोला का मतलब प्रदर्शन होता है.भूत कोला यानी देवता के जैसे प्रदर्शन करना होता है. दक्षिण भारत के जंगलों में बसे ग्रामीणों का मानना है कि उनके देवता ही जंगल और जमीन की रक्षा करते हैं.देवता ही गांव को आपदा और बुरी शक्तियों से बचाते हैं.इसलिए भूत कोला नृत्य के दौरान प्रदर्शन करने वाले शख्स के अंदर पंजुरी देवता का वास हो जाता है.देवता पारिवारिक और गांव के मुद्दों को सुलझाते हैं.इस दौरान देवता जो भी निर्देश देते हैं,उसे गांव वालों को मानना पड़ता है.देवता के बोले गए शब्द गांव के लिए सर्वोपरि माने जाते हैं.

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