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किसानों के काम की खबर : मॉनसून से पहले ऐसे तैयार करें खेत, लहलहा उठेगी फसल - farming in chhattisgarh

Prepare fields before monsoon छत्तीसगढ़ के अधिकांश किसान मानसूनी बारिश पर निर्भर रहते हैं. बहुत कम ऐसे किसान हैं जो सिंचाई सुविधाओं के माध्यम से खेती का काम करते हैं. लेकिन मध्य भारत में ज्यादातर किसान मानसून के बारिश पर निर्भर रहकर अपनी फसल लगते हैं. ऐसे में मानसून के पूर्व खेतों की तैयारी कैसे करें. किस तरह की जुताई करें, किस बात की सावधानी रखी जाए. Farm care in chhattisgarh

Prepare fields before monsoon
मॉनसून से पहले कैसे तैयार करें खेत (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 6, 2024, 5:51 AM IST

रायपुर : मानसून के पूर्व खेतों की तैयारी करने के क्या-क्या फायदे हैं. कौन-कौन सी फसल या साग सब्जियों के लिए खेतों को तैयार करना जरूरी है. इन्हीं सब बातों को लेकर हमने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर घनश्याम दास साहू से बात कि. आईए जानते हैं उनका क्या कहना है.

मॉनसून से पहले कैसे तैयार करें खेत (ETV Bharat Chhattisgarh)
मृदा जनित रोगों से मिलती है मुक्ति : इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर घनश्याम दास साहू ने बताया कि मध्य प्रदेश, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र का कुछ क्षेत्र ऐसा है. जहां पर मानसून के पूर्व खेतों की तैयारी जरूरी होती है. मई और जून का महीना ऐसा होता है. जिसमें संपूर्ण रूप से खरपतवार नियंत्रण मृदा जनित रोग कीड़ा जनित रोग से बचाया जा सकता है. जिसे स्वाइल सोलराइजेशन कहा जाता है. धान फसल हो सब्जी वर्गीय बागवानी ऐसे में मानसून के पूर्व ग्रीष्मकालीन जुताई बहुत आवश्यक है.

''साल में जून के प्रथम सप्ताह से लेकर पूरे जून के महीने में ग्रीष्मकालीन खेतों की जुताई बहुत आवश्यक है. खेतों की जुताई प्राचीन समय में बैल चलित नागर से की जाती थी लेकिन आधुनिक और वर्तमान समय में एमबी, पलाउ और ट्रैक्टर के माध्यम से भी जुताई की जाती हैं. जमीन की जुताई करते समय कम से कम डेढ़ से 2 फीट आवश्यक है. इससे यह फायदा होता है कि मिट्टी पलटने के साथ ही बहुत सारे ऐसे खरपतवार भी इस दौरान खत्म हो जाते हैं. डेढ़ से 2 फीट तक गहरी खुदाई करने से फफूंद जनित रोग पौधों में नहीं लगता. जमीन से कीट और बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है."- घनश्याम साहू, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक

क्यों खेत की जुताई करना है जरुरी : मानसून पूर्व खेतों की जुताई भी इसलिए आवश्यक मानी जाती है कि मृदा जनित कीट का लार्वा और अंडा जमीन के बाहर आ जाता है.जिसे पक्षी खा जाते हैं. वो नष्ट हो जाता है. जिससे बहुत आसानी से खरपतवार नियंत्रण रोग नियंत्रण और कीट नियंत्रण ग्रीष्मकालीन जुताई करने से हो जाता है. फल और फूल लगाने वाले किसानों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए. मेड नाली निर्माण करके फल और फूलों की खेती करनी चाहिए. जिससे पानी का जमाव ना हो. बारिश के दिनों में अधिक बारिश होने पर फल और फूल को ज्यादा नुकसान नहीं होगा. इसके साथ ही पैदावार भी अच्छी होगी. ऐसा करके जून के महीने में खेतों को संरक्षित किया जा सकता है.

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मृदा जनित रोगों से मिलती है मुक्ति : इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर घनश्याम दास साहू ने बताया कि मध्य प्रदेश, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र का कुछ क्षेत्र ऐसा है. जहां पर मानसून के पूर्व खेतों की तैयारी जरूरी होती है. मई और जून का महीना ऐसा होता है. जिसमें संपूर्ण रूप से खरपतवार नियंत्रण मृदा जनित रोग कीड़ा जनित रोग से बचाया जा सकता है. जिसे स्वाइल सोलराइजेशन कहा जाता है. धान फसल हो सब्जी वर्गीय बागवानी ऐसे में मानसून के पूर्व ग्रीष्मकालीन जुताई बहुत आवश्यक है.

''साल में जून के प्रथम सप्ताह से लेकर पूरे जून के महीने में ग्रीष्मकालीन खेतों की जुताई बहुत आवश्यक है. खेतों की जुताई प्राचीन समय में बैल चलित नागर से की जाती थी लेकिन आधुनिक और वर्तमान समय में एमबी, पलाउ और ट्रैक्टर के माध्यम से भी जुताई की जाती हैं. जमीन की जुताई करते समय कम से कम डेढ़ से 2 फीट आवश्यक है. इससे यह फायदा होता है कि मिट्टी पलटने के साथ ही बहुत सारे ऐसे खरपतवार भी इस दौरान खत्म हो जाते हैं. डेढ़ से 2 फीट तक गहरी खुदाई करने से फफूंद जनित रोग पौधों में नहीं लगता. जमीन से कीट और बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है."- घनश्याम साहू, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक

क्यों खेत की जुताई करना है जरुरी : मानसून पूर्व खेतों की जुताई भी इसलिए आवश्यक मानी जाती है कि मृदा जनित कीट का लार्वा और अंडा जमीन के बाहर आ जाता है.जिसे पक्षी खा जाते हैं. वो नष्ट हो जाता है. जिससे बहुत आसानी से खरपतवार नियंत्रण रोग नियंत्रण और कीट नियंत्रण ग्रीष्मकालीन जुताई करने से हो जाता है. फल और फूल लगाने वाले किसानों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए. मेड नाली निर्माण करके फल और फूलों की खेती करनी चाहिए. जिससे पानी का जमाव ना हो. बारिश के दिनों में अधिक बारिश होने पर फल और फूल को ज्यादा नुकसान नहीं होगा. इसके साथ ही पैदावार भी अच्छी होगी. ऐसा करके जून के महीने में खेतों को संरक्षित किया जा सकता है.

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